औरंगाबाद सदर : पॉलीथिन बंदी अभियान बेअसर हो चुका है. प्रतिबंध के बावजूद शहर में धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है. प्रदेश सरकार के आदेशों के बावजूद व्यवसायियों व आम लोगों पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है. पॉलीथिन शहर की आबो हवा में जहर घोल रहा है. शहर में हर दिन पांच क्विंटल से अधिक पॉलीथिन का अभी भी इस्तेमाल हो रहा है.
ऐसे में पॉलीथिन के बड़े पैमाने पर उपयोग के कारण शहर का दम घुट रहा है और यहां की जमीनें बंजर हो रही है. ये प्लास्टिक शहर की नालियों को ब्लॉक करता है, जिससे जलजमाव की समस्या उत्पन्न होती है. इतना ही नहीं सबसे अधिक परेशानी बेजुबान जानवरों के साथ है.
जिनकी हर दिन पॉलीथिन खाने के कारण जान जा रही है. सड़क किनारे फेंके गये पॉलीथिन खाकर हर दिन जानवर मर रहे हैं. जब पॉलीथिन के इस्तेमाल पर पाबंदी का बात चली थी तो एक आस जगी थी कि प्रदूषण कम होगा, लेकिन बंदी अभियान अब पूरी तक मृतप्राय हो चुका है. एक बार फिर से सब्जी, दूध, घी, आटा, चावल, दाल, मसाला, सिनैक्स, दवाईया, कपड़े सहित अन्य जरूरत की चीजों के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल होने लगा है.
कुछ दिन ही चला अभियान, फिर ठंडे बस्ते में
राज्य सरकार के आदेशानुसार पॉलीथिन पर पाबंदी महज कुछ दिनों तक ही चली. इसके बाद ठंडे बस्ते में चली गयी. पॉलीथिन का इस्तेमाल करने वाले व्यवसायी व आम लोगों पर पांच हजार रुपये तक का जुर्माना निर्धारित था.
शहर में कई बार छापेमारी कर नगर पर्षद ने जुर्माना भी वसूला था. यूं कहे कि जब पॉलीथिन बंदी अभियान की शुरुआत हुई थी तो व्यवसायियों में हड़कंप का माहौल था. पॉलीथिन का प्रयोग लगभग पूरी तरह बंद हो चुका था, पर कार्रवाई के अभाव में दोबारा धड़ल्ले से पॉलीथिन का प्रयोग शुरू हो गया.
90 प्रतिशत मवेशियों के पेट में पॉलीथिन, हर दिन मौत
शहर की सड़कें गाय, बैल,भैंस, खच्चर जैसे जानवरों का अड्डा है. उपयोग के बाद पॉलीथिन के कचरे को सड़क पर फेंक दिया जाता है. जानवर उस पॉलीथिन को खा लेते है. पॉलीथिन पेट में जाम होने से हर दिन किसी न किसी जानवर की सड़कों पर मौत होती है. पशु चिकित्सक की माने तो ऑपरेशन के बाद 90% से अधिक मवेशियों के पेट से पॉलीथिन निकलता है. पॉलीथिन को खाद्य पदार्थ समझकर मवेशी खा लेते है, जो उनकी आंत में फंस जाती है. जिले में हर साल सैकड़ों मवेशियों की मौत पॉलीथिन खाने से होती है.
अदरी नदी दूषित, बनी नगर पर्षद का डंपिंग जोन
शहर का सारा पॉलीथिन कचरा अदरी नदी में गिराया जाता है. इससे नदी का जल प्रदूषित हो रहा है. नगर पर्षद ने अबतक अपना डंपिंग जोन चिह्नित नहीं किया है. शहर का सारा कचरा उठाकर नगर पर्षद अदरी नदी के किनारे डाल देता है, जिससे नदिया धीरे-धीरे संकीर्ण और प्रदूषित हो रही है. इससे नदी के पानी में लेड, कैलशियम व मैगनेशियम की मात्रा बढ़ गयी है. सबसे बड़ी बात यह है कि नगर पर्षद में उदय गुप्ता की सरकार बनने के साथ ही उन्होंने कहा था कि जल्द ही डंपिंग जोन बनाया जायेगा.
वर्षों बीत गये, पर अब तक नगर पर्षद डंपिंग जोन के लिए जगह भी चिह्नित नहीं कर सकी है. ऐसे में कथनी और करनी शहरवासियो के सामने है. जो स्थिति अभी अदरी नदी की है उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही नदी को कचरे से भरने की तैयारी नगर पर्षद पूरी कर लेगी. भविष्य में अदरी नदी का अस्तित्व बचेगा या नहीं यह कहा नहीं जा सकता.
पॉलीथिन का दुष्प्रभाव कैंसर व नपुसंकता
पॉलीथिन को जलाने पर कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस निकलता है, जिससे घुटन महसूस होती है और श्वसन तंत्र खराब होता है. इसके कारण मनुष्य की प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है और मनपुसंकता का शिकार होता है. इसके जलने पर सफर डाईऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. प्लास्टिक से ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचता है. इससे खून में थेलेटस की मात्रा बढ़ जाती है.
काम करना बंद कर देता है पशुओं का पाचन तंत्र
लोग आम तौर पर खाद्य पदार्थ प्लास्टिक में डाल कर सड़क पर फेंक देते है. जब पशु उसे खाते हैं, तो उनका आंत ब्लॉक हो जाता है. पशुओं का पाचन तंत्र काम करना बंद कर देता है.प्लास्टिक को गलाने के लिए अभी तक किसी तरह की दवा उपलब्ध नहीं है.
सर्जरी द्वारा उसे बाहर निकाला जा सकता है, जो हाइयर टेक्नोलॉजी से संभव है. औरंगाबाद में एडवांस सर्जरी की व्यवस्था नहीं है. प्लास्टिक पशुओं के पेट में जाने के बाद कुछ ही दिन में अपना असर दिखाना शुरू कर देता है और उनका पेट फुलने लगता है, जिससे पशुओं की मौत हो जाती है.
डॉ ब्रजेश कुमार सिन्हा, जिला पशुपालन पदाधिकारी, औरंगाबाद
पॉलीथिन के खिलाफ हुई छापेमारी, सात किलो जब्त, छह से वसूला जुर्माना
औरंगाबाद शहर. नगर पर्षद द्वारा बुधवार को शहर में पॉलीथिन के खिलाफ छापेमारी की गयी. अधिकारी सियाराम सिंह, सफाई निरीक्षक बलराम सिंह व सिटी मैनेजर विनय कुमार के नेतृत्व में बाजार में छापेमारी की गयी.
रमेश चौक से सब्जी मंडी, धर्मशाला चौक, थाना समीप सब्जी बाजार के अलावा अन्य प्रतिष्ठानों में छापेमारी की गयी. इस क्रम में विभिन्न दुकानों से सात किलो पॉलीथिन जब्त की गयी. जबकि, छह दुकानदारों से जुर्माना वसूला गया. इनसभी दुकानदारों से 1500-1500 जुर्माना लिया गया. नगर पर्षद के इओ डॉ अमित कुमार ने बताया कि यदि यही दुकानदार फिर से पॉलीथिन उपयोग करते पकड़े जायेंगे तो और अधिक जुर्माना लिया जायेगा.
जल्द बड़े पैमाने पर होगी कार्रवाई
प्लास्टिक बंदी अभियान रुकी नहीं है. प्लास्टिक जन जीवन के लिए हानिकारक है. जन सहयोग से ही इसके उपयोग पर काबू पाया जा सकता है. लगातार दुर्गापूजा, दीपावली व छठ पर्व के कारण छापेमारी नहीं हो पायी थी. जल्द ही बड़े पैमाने पर शहर में कार्रवाई होगी. प्लास्टिक का उपयोग करने वालों को बख्शा नहीं जायेगा. इसे लेकर नगर प्रशासन काफी सख्त है.
डॉ अमित कुमार, इओ, नगर पर्षद, औरंगाबाद
