औरंगाबाद : शहर में चल रहे फर्जी जांच घरों पर शिकंज कसने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब निबंधन कराने में पैसों का खेल शुरू हो गया है. फर्जी जांच घरों के मालिक लगातार संबंधित कार्यालय का चक्कर लगा रहे है. यही नहीं जांच घरों का निबंधन कराने में बिचौलिये भी सक्रिय हो गये है. हालांकि, विभागीय सूत्रों की माने, तो जांच में जांच घरों के फर्जी पाये जाने के बाद इन्हें बंद करने से संबंधित नोटिस भेजा गया है.
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फर्जी जांचघरों पर शिकंजा कसते ही निबंधन कराने में पैसों का खेल शुरू
औरंगाबाद : शहर में चल रहे फर्जी जांच घरों पर शिकंज कसने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब निबंधन कराने में पैसों का खेल शुरू हो गया है. फर्जी जांच घरों के मालिक लगातार संबंधित कार्यालय का चक्कर लगा रहे है. यही नहीं जांच घरों का निबंधन कराने में बिचौलिये भी सक्रिय हो गये […]
लेकिन, इसके बावजूद चोरी-छिपे अधिकतर फर्जी जांच घर चल रहे हैं. निबंधन लेने की कोशिश में जुटे जांच घर जरूरी मानकों को पूरा नहीं करते हैं. पर, पैसों के दम पर अपना निबंधन कराने की फिराक में हैं. इस पूरे मामले पर वरीय स्तर से नजर रखी जा रही है.
पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर में वर्षों से चल रहे सभी जांच घरों की जांच करायी गयी थी. इसमें 30 में से 26 जांच घर फर्जी पाये गये थे. इसके बाद फर्जी जांच घरों को बंद करने का नोटिस भेजा गया है. हालांकि, इस नोटिस का विशेष असर उन पर नहीं हुआ और अधिकतर जांच घर अभी भी चल रहे हैं. जबकि, विभाग से निबंधन कराने की फिराक में भी हैं.
कुछ जांचघरों की जांच नहीं होना चर्चा का विषय
सिविल सर्जन के निर्देश पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नागेंद्र शर्मा द्वारा शहर के जांच घरों की जांच करते हुए रिपोर्ट भी सौंप दी गयी. लेकिन, कुछ जांच घरों की जांच नहीं होना चर्चा का विषय बन गया है. अब कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं.
आखिर इन जांच घरों की जांच नहीं हुई और रहम क्यों बरता गया? यह सवाल लोगों के जेहन में घूम रहा है. जांच रिपोर्ट में न्यू एरिया स्थित डॉ सुमन के क्लिनिक में चल रहे जांच घर, एमजी रोड में पीएनबी समीप एक जांच घर, एमजी रोड स्थित मेडिलेंड जांच घर व डॉ अनिल कुमार सिंह के क्लिनिक में चल रहे जांच घर के नामों का जिक्र नहीं किया गया था. आखिर ये जांच घर सही हैं या फिर अवैध.
जांचघरों के निबंधन के लिए ये जरूरी
जांच घरों के निबंधन के लिए मानक का ख्याल रखना होगा. सैंपल कलेक्शन के लिए एक कमरा, जांच करने के लिए एक अलग कमरा, डॉक्टर चैंबर, टॉयलेट, पेयजल की सुविधा, प्रदूषण सर्टिफिकेट, अग्निशामक यंत्र व इससे संबंधित कागजात, यंत्रों के रखरखाव से संबंधित प्रमाण पत्र, संक्रमण नियंत्रण से संबंधित दस्तावेज होना जरूरी है. जांच घर के संचालन के लिए एक एमबीबीएस डॉक्टर, डिप्लोमा इन एमएलटी की डिग्रीधारी कर्मचारी भी होना चाहिए.
लेकिन, वर्तमान में शहर में एक कमरे में ही जांच घर चल रहे हैं. वह भी वर्षों से. ताज्जुब तो यह है कि नियम के विरुद्ध खुलेआम वर्षों से ये जांच घर चल रहे हैं, लेकिन कभी भी इन पर कार्रवाई नहीं हुई. अब देखना दिलचस्प होगा कि अब मानक के अनुसार ये संचालक अपने जांच घरों के लिए निबंधन कराते हैं या फिर नियमों को ताक पर रख कर निबंधन कर दिया जाता है.
फर्जी जांच घर होंगे सील : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सुरेंद्र प्रसाद ने बताया कि जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को अवैध पैथोलॉजी लैब की जांच कर सील करने का आदेश दिया गया है. औरंगाबाद प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा 30 जांच घरों की जांच की गयी, जिनमें 26 जांच घर अवैध पाये गये है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा फर्जी जांच घरों को क्यों नहीं सील किया गया, यह जांच का विषय है.
जितने भी फर्जी जांच घर हैं, उन्हें सील किया जायेगा. मानक के अनुसार जांच घरों का निबंधन होगा. जब निबंधन के नाम पर पैसे कुछ कर्मियों द्वारा पैसे लिये जाने की बात पूछी गयी, तो उन्होंने कहा कि यह मेरे संज्ञान में नहीं है. निबंधन के लिए पैसे की जरूरत नहीं है, बस मानक को पूरा करना जरूरी है.
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