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अपराध में युवकों को धकेल रहे नक्सली

सुधीर कुमार सिन्हा, औरंगाबाद : नक्सली मासूम व कम उम्र के युवकों को अपराध की खौफनाक दुनिया में धकेल रहे हैं. झूठे सपने दिखा कर कम उम्र के युवकों को आसानी से बहला-फुसला लिया जाता है. अपरिपक्व होने के कारण ये हथियार उठा लेते हैं और अपराध के रास्ते पर चल पड़ते हैं. गुरुवार को […]

सुधीर कुमार सिन्हा, औरंगाबाद : नक्सली मासूम व कम उम्र के युवकों को अपराध की खौफनाक दुनिया में धकेल रहे हैं. झूठे सपने दिखा कर कम उम्र के युवकों को आसानी से बहला-फुसला लिया जाता है. अपरिपक्व होने के कारण ये हथियार उठा लेते हैं और अपराध के रास्ते पर चल पड़ते हैं.

गुरुवार को देव के सतनदिया इलाके में पुलिस की गोलियों से चार नक्सलियों ढेर होने के बाद यह बात पुष्ट हो जाती है. क्योंकि, पुलिस के साथ मुठभेड़ के मारे गये नक्सलियों में तीन शवों देखने से उनकी उम्र काफी कम लग रही है. वह बच्चों के जैसे लग रहे हैं.
चौथे शव की तलाश में देर शाम तक पुलिस के जवान जुटे थे. वैसे बरामद तीन नक्सलियों के शव को देख कर यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी उम्र 19-20 साल से कम है. पहले भी जिले में पुलिस की मुठभेड़ में इसी उम्र के बाल नक्सली मारे गये हैं. इससे स्पष्ट है कि अब अधिक उम्र के लोगों के बजाय कम उम्र के बच्चों को नक्सली संगठन से जोड़ा जा रहा है.
नक्सलियों पर भारी पड़ रही पुलिस : नक्सलियों और सीआरपीएफ कोबरा के बीच हुए मुठभेड़ में चार नक्सलियों की मारे जाने की सूचना मिली है. यह दावा एएसपी अभियान राजेश कुमार सिंह ने की. जवानों की जोरदार कार्रवाई से नक्सलियों को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा. वैसे हाल की घटनाओं पर गौर करें तो पुलिस लगातार नक्सलियों पर भारी पड़ रही है. पुलिस पदाधिकारी यह दावा भी करते हैं कि नक्सली संगठन अब खात्मे के कगार पर है.
नक्सलियों को घेरने में जुटे जवान
सीआरपीएफ 153वीं व कोबरा 205 बटालियन की कई कंपनियां जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चला रही है. इसमें गया व झारखंड पुलिस से मदद मांगी गई है. मुठभेड़ के बाद एएसपी अभियान राजेश कुमार सिंह दल-बल के साथ जंगल में कूच कर गये.
खुफिया जानकारी मिली है कि जंगलों में नक्सली पहाड़ के गुप्त ठिकानों में शरण ले चुके हैं. नक्सलियों को उनके ठिकाने पर दबिश देकर पकड़ने के लिए ऑपरेशन को और तेज कर दिया है.
जंगली इलाके में हर कदम पर बिछा है मौत का जाल : जंगली इलाके में नक्सलियों ने हर कदम पर मौत का जाल बिछा रखा है. समय-समय पर पुलिस जवान इसके शिकार भी होते आये हैं. नक्सली खासकर कच्चे रास्ते, पुल-पुलियों को चुनते हैं और पूर्व में भी उसमें बम प्लांट कर देते हैं.
बाद में उसका उपयोग पुलिस जवानों को निशाना बनाने के लिए करते हैं. जिले में नक्सलियों ने कई ऐसी घटनाओं को अंजाम भी दिया है. पुलिस भी इस बात को मानती आयी है कि नक्सलियों द्वारा जंगली व पहाड़ी इलाके में आने-जाने वाले रास्तों में आईईडी बम लगा दिया जाता है.
ढाल के रूप में बच्चों का किया जा रहा इस्तेमाल
नक्सली न सिर्फ बच्चों को अपने संगठन से जोड़ रहे हैं, बल्कि ढाल के रूप में भी इनका इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि, पुलिस सूत्रों की मानें तो बच्चों के साथ-साथ महिलाओं को भी बहला-फुसला कर संगठन में शामिल किया जा रहा है. ऐसे में नक्सलग्रस्त इलाके के लोगों के अलावा पुलिस को भी सावधान होने की जरूरत है.
बिहार के औरंगाबाद व अन्य जिले ही नहीं, झारखंड समेत दूसरे राज्यों में हुई कुछ घटनाओं को देखते हुए यही कहा जा सकता है. जब भी पुलिस नक्सलियों को घेरती है, तो बच्चों को आगे कर संगठन के शीर्ष नेता फरार हो जाते हैं. हालांकि, पुलिस इससे पूरी तरह अवगत है और इसी अनुसार अपनी रणनीति बना कर अब कार्रवाई कर रही है.
नहीं भागते, तो मारे जाते सारे नक्सली
देव के सतनदिया इलाके में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान यदि इकट्ठा हुए नक्सली नहीं भागते तो सारे मारे जाते. जानकारी के मुताबिक, उक्त इलाके में लगभग तीन दर्जन से अधिक नक्सली इकट्ठा हुए थे. इसमें संगठन के कई शीर्ष नक्सली भी शामिल थे. सभी किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की मंशा से इकट्ठा हुए थे.
लेकिन, सटीक सूचना मिलते ही सीआरपीएफ, कोबरा समेत अन्य पुलिस जवान मौके पर पहुंचे और चारों तरफ से घेर लिया. हालांकि, पुलिस के पहुंचने की भनक लगते ही नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी थी. इसके बाद पुलिस ने तुरंत मोर्चा संभाला और जवाबी फायरिंग शुरू कर दी. जवानों के हौसलों के आगे खुद को कमजोर पाते हुए नक्सलियों के पांव उखड़ गये और वे भाग निकले.
दिसंबर में एमएलसी के घर पर किया था हमला
पिछले वर्ष नक्सलियों के दस्ता ने देव थाना से महज कुछ ही दूरी पर नक्सलियों के दस्ता ने देव थाना से महज कुछ ही दूरी पर एमएलसी राजन सिंह के घर पर हमला कर उनके चाचा नरेंद्र सिंह की हत्या कर दी थी. कई वाहनों को जला दिया था और भवन को भी उड़ा दिया था. इसके बाद से नक्सली लगातार घटना का अंजाम देने के फिराक में थे.
लेकिन पुलिस उनकी कमर को लगातार तोड़ रही थी. यही कारण हुआ कि पिछले सप्ताह नक्सलियों की दस्ता ने अंबा थाना क्षेत्र के परता गांव के समीप बटाने नदी पर बन रहे पुल को उड़ाने पहुंचे थे लेकिन पुलिस से मुठभेड़ हो जाने के बाद वे भाग खड़े हुए. फिर एक बार बड़ी घटना को अंजाम देना चाह रहे थे कि पुलिस ने उन्हें कमजोर कर दी और चार नक्सलियों को मार गिराया.
पहाड़ी इलाके में ग्रामीण आज भी दहशत में
औरंगाबाद जिले के मदनपुर और देव के दक्षिणी इलाके आज भी नक्सलियों के कारगुजारियों के कारण चर्चा में रहते हैं. यूं कहें कि नक्सलियों की धमक से क्षेत्र के ग्रामीण दहशत में हैं. ये अलग बात है कि समय-समय पर पुलिस के जवाब उन ग्रामीणों का हाल जानने पहुंच जाते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि मदनपुर का लंगुराही, पचरूखिया, सहीयारी, बांध गोरैया, बादम आदि कई ऐसे जंगल तटीय गांव हैं, जहां नक्सलियों का एकक्षत्र साम्राज्य है
और समय-समय पर यह इलाका मुठभेड़ का गवाह भी बनता आया है. सच कहा जाये तो पुलिस और नक्सलियों के बीच इन गांवों के ग्रामीण पीस रहे हैं. कभी पुलिस का मुखबिर बता कर नक्सली ग्रामीणों को परेशान करते हैं तो कभी नक्सलियों का मुखबिर बता कर पुलिस परेशान करती है. ऐसे में ग्रामीणों के साथ एक विडंबना है कि वे जाये तो किधर.
अभिजीत के दस्ते ने दिया घटना को अंजाम
नक्सली जोनल कमांडर अभिजीत जी का दस्ता जंगल में एक बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए जुटा था. बड़े पैमाने पर वहां गोला-बारुद इकट्ठा किया गया था. इसकी खुफिया इनपुट सीआरपीएफ को लगी गयी, जिसके बाद सीआरपीएफ 153वीं बटालियन व कोबरा 205 की अलग-अलग चार कंपनियां उस इलाके में नक्सलियों की घेराबंदी में जुटी थी.
तभी सतनदियां के जंगल में जवानों पर नक्सलियों की नजर पड़ गयी. इसके बाद दस्ते ने पुलिस पर अंधाधुंध गोलाबारी शुरू कर दिया. नक्सलियों ने औरंगाबाद व गया के बॉर्डर इलाके वाले डुमरी नाला में 18 जुलाई 2016 को सीरियल ब्लास्ट करा कर 10 कोबरा जवानों को मार दिया था.
जिले में हुईं नक्सली घटनाएं एक नजर में
17 अक्तूबर 2013 को पिसाय ब्लास्ट (जिला पर्षद के पति समेत आठ की मौत)
3 दिसंबर 2013 को टंडवा ब्लास्ट (थानाध्यक्ष अजय कुमार समेत आठ जवान शहीद)
6 अप्रैल 2014 को रामपुर-बरंडा मोड़ ब्लास्ट (सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट समेत दो शहीद)
8 जनवरी 2016 को बांध गोरैया मुठभेड़ (पांच नक्सली ढेर, एक कोबरा जवान घायल)
18 जुलाई 2016 को सोनदाहा जंगल में मुठभेड़ (सात नक्सली ढेर का दावा, चार जवान घायल)
13 जुलाई 2017 को ढाबर टिकर जंगल में मुठभेड़
28 दिसंबर 2017 को तिलैया-नावाडीह में हमला (जेसीबी व ट्रैक्टर समेत आठ वाहन फूंके)
2 जनवरी 2018 को पचरूखिया-लंगुराही जंगल में मुठभेड़ (एक कोबरा जवान शहीद, पांच नक्सली ढेर का दावा)

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