बारुण हादसा. सोन नदी से हर दिन बालू लेकर गुजरती हैं हजारों गाड़ियां
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बालू का लालच, अवैध कमाई और तेज रफ्तार के आगे जिंदगी की परवाह नहीं
बारुण हादसा. सोन नदी से हर दिन बालू लेकर गुजरती हैं हजारों गाड़ियां कार्रवाई के डर से वाहन चालक बारुण के रास्ते तेजी से भागते हैं बालू लेकर औरंगाबाद नगर : जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर सोन नदी तट के किनारे बारुण शहर बसा हुआ है. यहां सोन नदी से प्रत्येक दिन […]
कार्रवाई के डर से वाहन चालक बारुण के रास्ते तेजी से भागते हैं बालू लेकर
औरंगाबाद नगर : जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर सोन नदी तट के किनारे बारुण शहर बसा हुआ है. यहां सोन नदी से प्रत्येक दिन हजारों गाड़ियां बालू वैध व अवैध रूप से लेकर गुजरती हैं. पुलिस द्वारा वाहनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाये, इसका भय वाहन चालकों को सताते रहता है. यही वजह है कि तेज गति से वाहन चालक बारुण के रास्ते वाहन लेकर गुजरते हैं. इसी क्रम में लोगों की मौत वाहनों की चपेट में आकर हो जाती है. पहले तो पुलिस के प्रति इस तरह का गुस्सा कभी भी देखने को नहीं मिला. जैसा गुरुवार को एक व्यक्ति की मौत हो जाने बाद देखने को मिला.
बारुण थाना क्षेत्र के निम टोला निवासी गौतम कुमार की मौत बालू लदे एक ट्रैक्टर की चपेट में आ जाने के कारण होने के बाद. घटना के सूचना मिलने के तुरंत बाद ही बारुण थाना की पुलिस दल बल के साथ घटनास्थल पहुंची और शव को कब्जे में लेते हुए थाने लायी. इसी क्रम में स्थानीय लोगों का गुस्सा पुलिस के प्रति भड़क उठा और लोग नारेबाजी करते हुए थाने पर पथराव करना शुरू कर दिया. पुलिस पदाधिकारी पथराव को देख घबरा गये. इसके बाद भीड़ को तीतर-बितर करने के उदेश्य से आसमानी फायरिंग की. इसके बाद भीड़ का गुस्सा और उग्र हो गया. थाना के बाहर व अंदर खड़े वाहनों में आग लगा दी, जिससे दर्जनों वाहन धू-धू कर जल गये.
बात-बात पर पुलिस को किया जाता है टारगेट
जिले में चाहे किसी प्रकार की कोई घटना क्यों न घट जाये. इसके बाद लोगों को हंगामा करने का मौका मिल जाता है. बिजली नहीं तो सड़क जाम,पानी नहीं तो सड़क जाम, किसी व्यक्ति की मौत हो तो सड़क जाम. यानी बात-बात पर लोग सड़क जाम कर लोग पुलिस को टारगेट कर लेते है और उनके विरुद्ध जम कर नारेबाजी करना शुरू कर देते हैं, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.
शिकायत के बाद भी पुलिस नहीं करती कार्रवाई
स्थानीय लोगों का आरोप था कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. आये दिन लोगों की जान जा रही है और पुलिस शिथिलता बरत रही है. इससे पहले भी बीआरबीसीएल के दो इंजीनियरों की मौत भी इसी तरह बालू लदे वाहन की चपेट में आकर हो गयी थी. ओवरटेक करने और नियमों को तोड़ कर वाहनों का परिचालन करने की घटनाएं यहां आम हैं. पिछले कुछ महीनों में इस तरह की घटनाएं बढ़ी थी और नतीजा बारुण थाना पर हमले के रूप में सामने आया.
समय पर नहीं पहुंचती क्यूआरटी तो जल जाता थाना
बारुण में जिस तरीके से उग्र भीड़ द्वारा थाने पर हंगामा पथराव किया जा रहा था. यदि समय पर जिला मुख्यालय से क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम) नहीं पहुंचती तो आक्रोशित लोग थाने को जला देते और उसके बाद पुलिस हाथ मलते रह जाती, लेकिन सूचना मिलते ही क्यूआरटी पहुंची और स्थिति को नियंत्रित कर लिया.
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