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औरंगाबाद : खून की कमी से परेशान हैं जिले की आधी से अधिक महिलाएं
औरंगाबाद : औरंगाबाद जिले की महिलाओं के स्वास्थ्य काे लेकर एक चौकाने वाली रिपोर्ट सामने आयी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, जिले की आधी से अधिक महिलाएं एनिमिया से ग्रसित हैं. यानी खून की कमी से परेशान हैं. रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आये हैं, वे महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंताजनक हैं. नेशनल […]
औरंगाबाद : औरंगाबाद जिले की महिलाओं के स्वास्थ्य काे लेकर एक चौकाने वाली रिपोर्ट सामने आयी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, जिले की आधी से अधिक महिलाएं एनिमिया से ग्रसित हैं. यानी खून की कमी से परेशान हैं. रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आये हैं, वे महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंताजनक हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट (2015-16) के मुताबिक औरंगाबाद जिले में एनिमिया से पीड़ित महिलाओं का प्रतिशत 54.3 प्रतिशत है.
यही नहीं सर्वे के मुताबिक पुरुष और बच्चे भी इसकी जद में आ रहे हैं. 16.5 प्रतिशत पुरुष और करीब पांच साल तक के 53.4 प्रतिशत बच्चे एनिमिया से ग्रसित हैं. सबसे अधिक खतरा गर्भवती महिलाओं को है और इनका प्रतिशत 55 के करीब है. अगर इस बीमारी के प्रति सावधानी नहीं बरती गयी या आम लोग जागरूक नहीं हुए, तो स्थिति और खराब हो सकती है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट यह समझाने के लिए काफी है कि एनिमिया पर जल्द कंट्रोल नहीं किया गया, तो इसके परिणाम जानलेवा साबित हो सकते हैं. वैसे सदर अस्पताल सहित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन 10 से 15 मरीज एनिमिया की शिकायत लेकर पहुंचे हैं.
क्या हैं एनिमिया और इसके लक्ष्ण
डॉ मणि कुमारी बताती हैं कि एनिमिया आज कल आम समस्या बन गयी है. खासकर महिलाओं में हमेशा यह सुनने को मिलता है कि वह इस बीमारी से पीड़ित हैं. इसमें खून की कमी हो जाती है, हर वक्त थकान महसूस होती है. शरीर पीला या सफेद पड़ जाता है.भूख कम लगने लगती है. सिर में हमेशा दर्द होता है.चक्कर आता है. दिल की धड़कन तेज हो जाती है और अक्सर लोग बीमार रहते हैं. एनिमिया का सबसे बड़ा कारण है शरीर में आयरन की कमी. अगर आप खाने में कैलशियम बहुत ज्यादा लेते हैं, तो यह भी एनिमिया का कारण हो सकता है. शरीर से बहुत अधिक खून बह जाने से भी एनिमिया हो सकता है. वैसे डॉक्टरों की राय में हीमोग्लोबिन का काम शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन का पहुंचाना है, जब किसी कारण से खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा जरूरत से अधिक कम हो जाती है तो उसे एनिमिया कहते हैं.
एनिमिया की स्थिति और प्रकार : व्यक्ति के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर 10 से 12 ग्राम प्रति डीएल हो ऐसी स्थिति में माइल्ड एनिमिया कहलाती है. यदि मात्रा छह से 10 ग्राम प्रति डीएल हो तो उसे मॉडरेट एनिमिया कहते हैं. यदि छह ग्राम प्रति डीएल से भी कम हुई, तो सीवियर यानी खतरनाक एनिमिया की स्थिति पैदा हो जाती है, जिससे कभी भी व्यक्ति की मौत हो सकती है.
गर्भावस्था में आयरन की कमी एनिमिया का कारण : डॉ मणि की माने तो एनिमिया आम समस्या बन गयी है. आयरन की कमी गर्भावस्था के दौरान एनिमिया का कारण बन सकती है. इसकी कमी को रक्त जांच में होने वाले हीमोग्लोबिन टेस्ट से पता लगाया जा सकता है. आयरन की कमी में जन्म लेने वाले शिशु में कमजोरी एनिमिया का कारण बनती है. गर्भवती महिला के शरीर को 50 प्रतिशत अधिक रक्त की मात्रा चाहिए होती है. गर्भावस्था में एनिमिया का पता चलने पर सही से उपचार हो जाये, तो शिशु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
सही खान-पान ही एनिमिया का प्रभावी इलाज
डॉ अभय कुमार के मुताबिक, एनिमिया अब गंभीर बीमारी का रूप लेने लगा है. भाग-दौड़ की जिंदगी में जंक फूड्स हमारी जीवनशैली का एक अहम हिस्सा बनते जा रहा है. लोग भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा नहीं ले पाते हैं, जिसके कारण बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है. एनिमिया से बचाव के लिए हमें सही खान-पान पर ध्यान देना होगा. आयरन की डिमांड पूरी करने के लिए हेल्दी और बैलेंस डाइट खानी होगी. हर दो घंटे पर कुछ हलका स्नैक्स का सेवन करें. खाने में अंडे, सूखे मेवे, फल, सलाद व हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा मात्रा में होनी चाहिए .यूं कहा जाये कि आयरन के भरपूर सेवन से एनिमिया की रोकथाम की जा सकती है. हालांकि इसे ठीक होने में कुछ महीनों का वक्त लग सकता है. एनिमिया के उपचार के लिए बहुत सी दवाएं भी हैं.
एनिमिया से बचने के घरेलू नुस्खे : एनिमिया से बचने के लिए घरेलू नुस्खे भी कारगर हैं. टमाटर, गाजर, चुकंदर का जूस, भूने हुए चने के साथ गुड़ फायदा पहुंचा सकता है. एनिमिया की रोकथाम के लिए व्यायाम भी बेहद जरूरी है.
टीका केंद्रों पर दवा के साथ परामर्श भी
एनिमिया से पीड़ित मरीजों को दवाओं के साथ-साथ परामर्श भी दिया जा रहा है. एनिमिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार लोगों को जागरूक कर रहा है. आंगनबाड़ी केंद्र से लेकर टीका केंद्र तक आयरन की गोली भरपूर मात्रा में दी गयी है, ताकि जांचोपरांत उपचार व सलाह दिया जाये.गर्भवती महिलाओं को आवश्यकता अनुसार आयरन की डोज दी जा रही है. एनिमिया पर रोकथाम के लिए विभाग काम कर रहा है.
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