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बिना लाइसेंस के चल रहे होटलों-प्रतिष्ठानों पर कसेगा शिकंजा, अगले सप्ताह से होगी जांच
औरंगाबाद : औरंगाबाद शहर से लेकर जिले के सभी इलाकों में चलनेवाले अधिकतर खान-पान के होटल खतरे की घंटी बजा रहे हैं. यूं कहा जाये कि होटल संचालक सरकारी नियमों को ताक पर रख कर मनमानी से होटल का व्यवसाय कर रहे हैं, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. होटलों में परोसे जाने वाले भोजन भी […]
औरंगाबाद : औरंगाबाद शहर से लेकर जिले के सभी इलाकों में चलनेवाले अधिकतर खान-पान के होटल खतरे की घंटी बजा रहे हैं. यूं कहा जाये कि होटल संचालक सरकारी नियमों को ताक पर रख कर मनमानी से होटल का व्यवसाय कर रहे हैं, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. होटलों में परोसे जाने वाले भोजन भी स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर नहीं है या खतरे को आमंत्रित कर रहे हैं.
शहरों में चलने वाले खान-पान की अधिकतर दुकानें फर्जी हैं. इनका न तो रजिस्ट्रेशन है और न दुकान चलाने का लाइसेंस. ऐसे दुकानदार किस तरह के खाद्य पदार्थ बेच रहे है व साफ-सफाई और मानकों का कितना ध्यान रख रहे हैं, यह किसी को पता नहीं है. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकारी महकमे को भी कुछ भी मालूम नहीं. औरंगाबाद जिले में 600 से अधिक छोटे-बड़े होटल चल रहे हैं, जिसमें मात्र 208 होटलों को ही लाइसेंस निर्गत किया गया है. औरंगाबाद शहर में बड़े पैमाने पर होटल, मिठाई की दुकानें, रेस्टोरेंट, बेकरी, आइस फैक्ट्री व सोनपापड़ी फैक्ट्री आदि का संचालन किया जा रहा है. इन सभी प्रतिष्ठानों का नगरपालिका से पंजीकरण कराना होता है, किंतु शहर में बड़ी तादाद में ऐसे प्रतिष्ठान हैं, जो बिना लाइसेंस के ही संचालित किये जा रहे हैं. वर्तमान में महज पांच प्रतिशत ही प्रतिष्ठानों का नगरपालिका से पंजीकरण है.सूत्रों की माने तो अधिकांश मिष्ठान दुकानों में नकली सामान से उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं. खासकर नकली मावे की मिठाई होटल संचालकों के लिए कमाई का बड़ा जरिया बन गया है. अभी लगन का मौसम है. ऐसे में मिष्ठान दुकानों की बाढ़ सी आ गयी है. अधिकतर दुकानों पर नकली खोवा, छेना और मावा का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है. फास्ट फूड की अधिकतर दुकानें मानकों पर खरी नहीं उतरती हैं.
सर्वे के बाद चौंकाने वाला परिणाम, नोटिस जारी करने की तैयारी : औरंगाबाद शहर में अधिकांश प्रतिष्ठान बगैर ट्रेड लाइसेंस के चल रहे है. नगर पर्षद ऐसे प्रतिष्ठानों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर चुकी है. नगर पर्षद द्वारा कराये गये सर्वे में चौकाने वाला परिणाम सामने आया है. पता चला कि महज पांच प्रतिशत व्यवसायी ही अपने प्रतिष्ठानों का ट्रेड लाइसेंस निर्गत कराया है. नगर पर्षद के मुख्य पार्षद उदय प्रसाद गुप्ता और उप मुख्य पार्षद शोभा सिंह ने बताया कि सर्वे का काम लगभग समाप्ति की ओर है. जिन प्रतिष्ठानों ने ट्रेड लाइसेंस नहीं लिया है उनको नगर पर्षद पहले नोटिस की कार्रवाई करेगी और इसके बाद फिर प्राथमिकी की कार्रवाई होगी. सरकारी राजस्व का नुकसान किसी हाल में नहीं होने दिया जायेगा.
व्यवसायियों को पहले अल्टीमेटम जारी कर दिया गया था : जिला फूड निरीक्षक निरीक्षक वीरेंद्र कुमार ने बताया कि खाद्य पदार्थ की दुकानों का संचालन कर रहे व्यवसायियों को पहले अल्टीमेटम जारी कर दिया गया था. इसमें सुधार होते नहीं दिख रहा है. ठेला पर फास्ट फुड की दुकान लगाने वालों से लेकर छोटे-बड़े होटलों की जांच करायी जायेगी. अगले सप्ताह से तमाम होटलों का निरीक्षण किया जायेगा. जिन लोगों ने लाइसेंस नहीं लिया है उनके खिलाफ कार्रवाई होगी.
बिना ट्रेड लाइसेंस के चल रहे कई उत्सव पैलेस भी
औरंगाबाद शहर से लेकर प्रखंड मुख्यालयों में उत्सव पैलेस भी धड़ल्ले से चल रहे है. वह भी बिना ट्रेड लाइसेंस के.जिससे नगर पर्षद व नगर पंचायत को राजस्व का नुकसान हो रहा है. सच कहा जाये, तो उत्सव पैलेस का धंधा उद्योग का रूप लेता जा रहा है. लगन के समय में ऐसे उत्सव पैलेसों के आसपास की आबादी खासी परेशान है. पैसे वाले लोग इस धंधे को कमाई का एक बड़ा जरिया मान रहे है.
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