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औरंगाबाद में रोजाना 10 लाख रुपये का पानी गटक जा रहे लोग

बोतलबंद पानी की बढ़ी मांग, लाखों लीटर पानी का कारोबार कर रहे आरो प्लांट औरंगाबाद कार्यालय : शहर में इन दिनों बोतलबंद पानी बाजार के पानी की सप्लाई बढ़ गयी है. शहर के लोग रोजाना 10 लाख रुपये से अधिक के पानी गटक जा रहे हैं. वहीं, शहर के होटल, दुकान व दफ्तरों में पानी […]

बोतलबंद पानी की बढ़ी मांग, लाखों लीटर पानी का कारोबार कर रहे आरो प्लांट

औरंगाबाद कार्यालय : शहर में इन दिनों बोतलबंद पानी बाजार के पानी की सप्लाई बढ़ गयी है. शहर के लोग रोजाना 10 लाख रुपये से अधिक के पानी गटक जा रहे हैं. वहीं, शहर के होटल, दुकान व दफ्तरों में पानी की सप्लाई तेज हो गयी है. सार्वजनिक स्थानों पर पेयजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण मजबूरन लोगों को बोतलबंद पानी ही खरीद कर पीना पड़ता है. पानी के जार की सप्लाई करनेवाले व्यवसायी बताते हैं कि गर्मी में एक आरओ प्लांट से 200 के करीब जार की सप्लाई होती है. एक जार में 20 लीटर पानी आता है. ऐसे में एक प्लांट 200 जार में करीब 4000 लीटर पानी की सप्लाई करता है. इस तरह यह आंकड़ा लाखों लीटर पानी तक पहुंच जाता है.
दो दर्जन से अधिक आरओ प्लांट चल रहे शहर में : औरंगाबाद जिले में आरो पानी की सप्लाई दूर-दराज गांव तक है. कहीं आरो प्लांट अब तो प्रखंड स्तर पर भी लग गये हैं, जिनका कारोबार लाखों का है. वैसे शहर में दो दर्जन से अधिक आरो प्लांट चल रहे हैं. गर्मी में एक आरो प्लांट की सप्लाई 200 पेट जार है. यानी शहर में सिर्फ दो दर्जन आरो प्लांट की बात की जाये तो ये 4800 पेट जार की सप्लाई करते हैं. इस तरह एक दिन में कम से कम 96000 लीटर पानी की सप्लाई शहर में हो रही है.
एक लाख लीटर पानी बनाने में बर्बाद होता है दो लाख लीटर पानी : शहर में पानी के व्यवसाय से जुड़े लोग कई लोगों को रोजगार दे रखे हैं. लघु उद्योग के तौर पर यह धंधा शहर में बड़ी तेजी से बढ़ा. एक तरफ जार के पानी की सप्लाई और दूसरी तरफ बोतलबंद पानी की बिक्री से नये लोगों को रोजगार मिल है. लेकिन इस रोजगार के पीछे कुछ कमियां भी हैं. जी हां, जानकार बताते हैं कि आरो प्लांट एक लीटर पानी बनाने में दो लीटर पानी बर्बाद करता है. इस तरह 100 लीटर पानी बनाने में 200 लीटर पानी बर्बाद जाता है और 10 हजार लीटर पानी बनाने में 20 हजार लीटर पानी को वेस्ट कर दिया जाता है. व्यवसाय के आधार पर आंकड़े बताते हैं कि एक दिन में 96 हजार लीटर पानी की सप्लाई शहर में हो रही है, जिसे फिल्टर करने के नाम पर एक लाख 92 हजार लीटर पानी को वेस्ट कर दिया जा रहा है.
18 से 20 हजार बोतल की रोज होती है बिक्री : आरो प्लांट के पेट जार के व्यवसाय के अलावा शहर में बोतलबंद पानी की जबरदस्त बिक्री है. इसकी मांग गर्मी व शादी समारोह के अलावा अन्य समारोह में होती है. व्यवसायी बताते हैं कि बोतलबंद पानी की आपूर्ति दूसरे जिले से होती है. औरंगाबाद में बोतल बनाने वाले प्लांट सिर्फ एक हैं. बोतलबंद पानी शहर के दुकानों ,होटलों व विभिन्न प्रतिष्ठानों में खपत होता है. गर्मी में इसकी डिमांड 14 से 1500 कार्टन प्रतिदिन है. एक कार्टन में 12 बोतल आते हैं,
जिसकी रीटेल में कीमत 15 से 20 रुपये होती है, वहीं 20 लीटरवाले पानी के जार की कीमत 20 से 30 रुपये तक आती है. लोगों का यह मानना है कि जल आपूर्ति की समस्या शहर में अधिक है. इस कारण लोगों को मजबूरी में भी बोतलबंद पानी बाजार का पानी खरीदना पड़ता है. एक दिन में 15 सौ कार्टन की खपत के आधार पर करीब रोज 18000 बोतल का खपत है. शहर के अलावा पूरे जिले में विभिन्न स्टेशन बस स्टैंड पर भी बोतलबंद पानी का व्यवसाय किया जाता है अगर इन सारे आंकड़ों को मिला दिया जाए तो रोजाना सिर्फ पानी का कारोबार 10 लाख के पार होगा.
सार्वजनिक जगहों पर नहीं पेयजल की व्यवस्था : शहर के रामाबांध बस स्टैंड ,दानी बिगहा बस स्टैंड, रमेश चौक सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग मजबूरन बोतलबंद पानी पीते हैं. भीषण गर्मी को देख कर कभी-कभी शहर के समाजसेवी इन जगहों पर एकाध पानी के मटके रखवा देते हैं, जिससे लोगों का गला तर होता है. लेकिन उन मटको में रोजाना पानी डालने की व्यवस्था नहीं होने के कारण प्याउ की व्यवस्था भी चरमरा जाती है. नगर परिषद के द्वारा भी शहर में कहीं सार्वजनिक जल आपूर्ति की व्यवस्था नहीं की गई है. सप्लाई वाटर की व्यवस्था ना होने के कारण लोगों को मजबूरन आरो पानी खरीदना पड़ता है.

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