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मनरेगा संबंधित कार्ययोजना तैयार नहीं, भड़के पर्षद सदस्य
मनरेगा कर्मचारियों की संपत्ति की जांच कराने की उठायी मांग बैठक का बहिष्कार कर की जम कर नारेबाजी औरंगाबाद नगर : जिला पर्षद की बैठक मनरेगा के वार्षिक श्रम अनुमोदन को लेकर बुधवार को आयोजित की गयी. लेकिन, मनरेगा से संबंधित कोई कार्य योजना तैयार नहीं रहने एवं बैठक में संबंधित विभाग के अधिकारी को […]
मनरेगा कर्मचारियों की संपत्ति की जांच कराने की उठायी मांग
बैठक का बहिष्कार कर की जम कर नारेबाजी
औरंगाबाद नगर : जिला पर्षद की बैठक मनरेगा के वार्षिक श्रम अनुमोदन को लेकर बुधवार को आयोजित की गयी. लेकिन, मनरेगा से संबंधित कोई कार्य योजना तैयार नहीं रहने एवं बैठक में संबंधित विभाग के अधिकारी को शामिल नहीं होने पर जिला पर्षद सदस्य, प्रखंड प्रमुख भड़क उठे और बैठक को बहिष्कार कर सदन से बाहर आ गये. इस दौरान पार्षदों ने विभाग के प्रति गहरी नाराजगी व्यक्त की.
जिला पार्षद सदस्य शंकर यादव ने कहा कि जिलाधिकारी का स्पष्ट निर्देश था कि मनरेगा से संबंधित वार्षिक श्रम अनुमोदन की जानकारी एक सप्ताह पूर्व जिला पर्षद को उपलब्ध कराया जायेगा, जिसके आधार पर श्रम बजट तैयार किया जायेगा लेकिन कोई भी जानकारी किसी भी जिला पार्षद सदस्य को उपलब्ध नहीं कराया गया. यही नहीं पंचायतों में होने वाली ग्राम सभा की सूचना भी सदस्यों को नहीं दी जाती है. फर्जी तरीके से ग्राम सभा किया जाता है. बैठक का बहिष्कार करने वालों में अध्यक्ष नीतू सिंह, उपाध्यक्ष महिपत राम, सदस्य दीनानाथ विश्वकर्मा, शशिभूषण शर्मा, निलू देवी, शिला देवी, बैजंती देवी, प्रमुख संजय मंडल, दिलीप सिंह, खुश्बू कुमारी, शांति देवी, कुटुंबा प्रमुख धर्मेंद्र कुमार सहित अन्य लोग शामिल थे.
पदाधिकारियों पर वार्षिक श्रम बजट का अनुमोदन कराने का आरोप
पदाधिकारी लोग गलत तरीके से वार्षिक श्रम बजट का अनुमोदन कराना चाहते थे, लेकिन हमलोगों ने नहीं होने दिया. जब तक श्रम बजट से संबंधित पूरी जानकारी सदस्यों को नहीं दी जायेगी तब जिला पर्षद से अनुमोदन नहीं होगा. आगे भी हमलोग बैठक का बहिष्कार करेंगे. हद तो तब हो गयी जब बैठक में न तो बीडीओ न ही मनरेगा के कार्यकर्म पदाधिकारी भाग लिये. खानपूर्ति करने के लिए कनीय पदाधिकारी को बैठक में भेजा गया था.
जिले में मनरेगा के तहत जो भी कार्य हुआ है उसमें बड़े पैमाने पर लूट हुई है. जिला पार्षद सदस्य अनिल यादव, सरोज देवी ने कहा कि मनरेगा के सभी पदाधिकारियों की संपति की जांच निगरानी से होनी चाहिए ताकि पता चल सके कि वे लोग गलत कार्य करा कर कितना संपति अर्जित किया है. मनरेगा लूट की योजना बनकर रह गयी है.
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