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देवी की तरह पूजी जाती हैं महिलाएं, फिर भी चार साल में बढ़े 76% हिंसा के मामले

शर्मनाक. लाख कोशिशों के बावजूद महिलाओं के खिलाफ हिंसा में कमी नहीं अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस पर विशेष 2017 में अब तक रेप के 20 मामले दर्ज 2013 में महिला थाने में हिंसा के कुल 21 मामले दर्ज थे 2017 में अब तक 37 मामले हो चुके हैं दर्ज औरंगाबाद : लाख जागरूकता और […]

शर्मनाक. लाख कोशिशों के बावजूद महिलाओं के खिलाफ हिंसा में कमी नहीं

अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस पर विशेष
2017 में अब तक रेप के 20 मामले दर्ज
2013 में महिला थाने में हिंसा के कुल 21 मामले दर्ज थे
2017 में अब तक 37 मामले हो चुके हैं दर्ज
औरंगाबाद : लाख जागरूकता और कड़े कानून के बावजूद महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा में कमी नहीं आ रही है. जी हां, यह हाल तब है, जब हमारे देश में महिलाओं को देवी के तौर पर रख कर पूजा जाता है. औरंगाबाद महिला थाना में दर्ज प्राथमिकी पर गौर करें तो पिछले चार साल में महिलाओं के खिलाफ हिंसा में 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. हिंसा के विभिन्न मामले दर्ज हैं. बलात्कार व दहेज उत्पीड़न के मामले अधिक हैं. छेड़खानी, लड़की भगाने व डायन एक्ट से संबंधित मामले भी दर्ज हैं और इसमे तेजी से वृद्धि हो रही है.
वर्ष 2013 में महिला थाने में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा में कुल 21 मामले दर्ज थे. वहीं 2017 में अब तक 37 मामले दर्ज हो चुके हैं, जिसमें बलात्कार के सबसे ज्यादा 20 मामले दर्ज हुए हैं. वर्ष 2014 में 33 मामले दर्ज हुए वहीं वर्ष 2015 और 2016 में 30 एवं 33 मामले दर्ज हुए. अगर हिंसा की प्रकृति पर गौर करते हुए बलात्कार, रेप एवं छेड़खानी के मामले ज्यादा दर्ज हुए है.
2013 में दहेज के 13, छेड़खानी के तीन, रेप के चार, 2014 में दहेज के 15 एवं बलात्कार के तीन, 2015 में दहेज के 8 एवं बलात्कार के 13, लड़की भगाने के एक, छेड़खानी के छह, 2016 में दहेज के 18, बलात्कार के छह, छेड़खानी के पांच एवं लड़की भगाने के एक मामले दर्ज हुए है. वहीं वर्ष 2017 में बलात्कार के 20 मामलों के अलावा छेड़खानी के दो, लड़की भगाने का एक मामले दर्ज हुआ है.
क्यों मनाया जाता है महिला हिंसा उन्मूलन दिवस
25 नवंबर को, अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का चयन वर्ष 1981 में किया गया था. संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में भी वर्ष 1999 में इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया. इस तारीख का चयन इसलिए किया गया कि इस दिन डोमेनिकन गणराज्य की तीन सक्रिय महिला कार्यकर्ताओं की बड़ी ही निर्दयता से हत्या कर दी गयी थी.
क्या कहती हैं महिला थानाध्यक्ष
महिला थानाध्यक्ष शकुंतला कुमारी ने बताया कि पहले की अपेक्षा महिलाएं जागरूक हुई है. जिस प्रकार से जनसंख्या बढ़ रही है उसके अनुसार मामले नहीं है. उन्होंने बताया कि महिला जागरूक होंगी तो वे घटनाओं में कमी आयेगी. आम लोगों को भी महिलाओं को भी बराबरी का दर्ज दे.
अस्पताल से लापरवाह सुरक्षाकर्मियों को हटाने के लिए डीएस ने लिखा पत्र
औरंगाबाद कार्यालय. सदर अस्पताल की सुरक्षा में लगाएं गये सुरक्षाकर्मियों को हटाया जा सकता है. इसके पीछे एकमात्र कारण लापरवाही है. शुक्रवार को सुरक्षा व्यवस्था की बात को लेकर अस्पताल उपाधीक्षक और सुरक्षा सुपरवाइजर के बीच नोकझोंक हुई. उपाधीक्षक ने सुरक्षा व्यवस्था को कारगर नहीं होते देख अस्पताल से सुरक्षाकर्मियों को हटाने का फरमान जारी किया है.
डीएस ने जिला स्वास्थ्य समिति को पत्र लिखकर स्पष्ट तौर पर कहा कि है संस्थान के सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगातार कर्मचारियों से गलत भाषा का प्रयोग किया जा रहा है. 18 नवंबर को इसकी सूचना पूर्व में भी दी जा चुकी है. 22 नवंबर को गार्ड सुपरवाइजर द्वारा एक अखबार में संस्थान के प्रति आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करते हुए आमजनों में गलत संदेश पैदा की कोशिश की गयी. इतना ही नहीं 24 नवंबर को डीएस कार्यालय में अस्पताल प्रबंधक एवं कर्मियों के समक्ष अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए कार्य नहीं करने की धमकी दी गयी. डीएस ने कहा कि संस्थान में कार्यरत सुरक्षा एजेंसी के कर्मियों को अविलंब हटाते हुए दूसरे सुरक्षा एजेंसी को सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी जाये, ताकि शांति व्यवस्था कायम हो सके. इस संबंध में जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम कुमार मनोज ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों से परेशानी हुई है. पत्र प्राप्त नहीं हुआ है. पत्र प्राप्ति के बाद कार्रवाई की जायेगी.

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