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अल्ट्रासाउंड के बाद एक्स-रे सेवा भी हुई ताले के हवाले
भुगतान नहीं होने के कारण संवेदक ने एक्स-रे कक्ष में भी लगाया ताला निजी संस्थानों का सहारा लेने को विवश हैं मरीज 200 से 300 रुपये तक का आता है खर्च मार्च 2016 के बाद से नहीं मिली फूटी कौड़ी भी दाउदनगर अनुमंडल : एक तरफ जहां सरकार द्वारा सभी स्वास्थ्य केंद्रों में मूलभूत सुविधाएं […]
भुगतान नहीं होने के कारण संवेदक ने एक्स-रे कक्ष में भी लगाया ताला
निजी संस्थानों का सहारा लेने को विवश हैं मरीज
200 से 300 रुपये तक का आता है खर्च
मार्च 2016 के बाद से नहीं मिली फूटी कौड़ी भी
दाउदनगर अनुमंडल : एक तरफ जहां सरकार द्वारा सभी स्वास्थ्य केंद्रों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराये जाने का दावा किया जाता है, तो दूसरी तरफ राशि भुगतान के अभाव में एक्स-रे जैसी सुविधा भी बंद होती दिख रही है.
तकनीकी कारणों से करीब चार साल पहले नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड सुविधा तो बंद हो ही गयी थी, लेकिन अब करीब डेढ़ वर्षों से भी अधिक समय से बकाया राशि का भुगतान नहीं होने के कारण एक्स-रे संचालक ने एक्स-रे सुविधा को भी बंद कर दिया है. दाउदनगर पीएससी में छह दिनों से यह सुविधा बंद हो गयी है. मरीज तो पहुंच रहे हैं, चिकित्सकों द्वारा उन्हें एक्स-रे लिखा भी जा रहा है, लेकिन पीएचसी में नि:शुल्क एक्स-रे सुविधा बंद हो जाने के कारण वे निजी एक्स-रे संचालकों के यहां जा कर अपना एक्स-रे कराने को मजबूर हैं, जहां साधारण एक्स-रे के लिए 200 रुपया, तो डिजिटल एक्स-रे के लिए 300 रुपये लिया जाता है.
क्या है मामला : जानकारी के अनुसार आइजीआइ मेडिकल सिस्टम के तहत अप्रैल 2009 से पीएचसी में नि:शुल्क एक्स-रे सुविधा संचालित है. इसके बदले सरकार द्वारा बड़ा प्लेट से किये गये एक्स-रे का 100 रुपया और छोटा प्लेट से किए गए एक्स-रे का 70 रुपया का भुगतान एक्स-रे संचालक को किए जाने का प्रावधान है. एक्स-रे संचालक अविनाश कुमार मिश्रा का कहना है कि मार्च 2016 से अब तक उन्हें बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया है. यह राशि लगभग छह लाख रुपया के आसपास है. बकाया नहीं मिलने के कारण वे अब एक्स-रे चलाने में आर्थिक रूप से असमर्थ हो गये हैं, क्योंकि एक्स-रे सुविधा को संचालित करने में दो कर्मचारियों के वेतन, प्लेट खरीदने, जेनेरेटर समेत अन्य मद में करीब 20 हजार रुपये तक प्रतिमाह खर्च हो जाते है.
इस संबंध में उन्होंने कई बार स्वास्थ्य विभाग के जवाबदेह पदाधिकारियों को मौखिक रूप से एवं एक बार लिखित रूप से जानकारी देकर बकाया राशि भुगतान कराने की गुहार लगायी, इसके बावजूद आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पायी. अंततः बाध्य होकर उन्होंने पिछले सप्ताह के शुक्रवार को एक्स-रे सुविधा का संचालन बंद कर दिया है. यदि थोड़ा भी भुगतान होता है, तो वे एक्स-रे चालू कर सकते हैं.
हर रोज पहुंचते हैं 15 से 20 मरीज : स्थानीय पीएचसी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिदिन लगभग 15 से 20 एक्स-रे के मरीज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचते हैं, जिन्हें नि:शुल्क एक्स-रे सुविधा का लाभ मिलता रहा है.
चूंकि निजी संचालकों के यहां साधारण एक्स-रे का 200 और डिजिटल एक्स-रे का 300 रुपया निर्धारित है, इसलिए यदि देखा जाये, तो प्रतिदिन आम जनता का करीब तीन से चार हजार रुपया निजी एक्स-रे संचालकों के यहां जा रहा है, जबकि यह लाभ पीएचसी में गरीबों को मुफ्त मिलता. ऐसी स्थिति में यदि पिछले छह दिनों का आकलन किया जाए तो करीब 20 से 24 हजार रुपये तक का एक्स-रे का भुगतान गरीब मरीजों द्वारा निजी एक्स-रे संचालकों के यहां कर दिया गया है. यदि जल्द इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो गरीब मरीजों को काफी आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ेगी.
सरकार से आवंटन आने पर ही होगा भुगतान
संवेदक द्वारा अपना एक्स-रे बंद करने की लिखित सूचना नहीं दी गयी है. लेकिन, जानकारी मिली है कि उनके द्वारा यह सुविधा बंद कर दी गयी है. उनका पैसा बकाया है, इसके लिए सरकार बजट देती है और बजट आने पर ही उनका भुगतान किया जा सकता है. अक्तूबर महीने में ही बजट आने की संभावना है. जितनी राशि का बजट आयेगा, उतना ही उन्हें भुगतान किया जायेगा. यदि कम राशि आवंटित होती है, तो शेष राशि के आवंटन का अनुरोध सरकार से किया जायेगा.
विकास शंकर, स्वास्थ्य प्रबंधक, पीएचसी
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