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ऑटो के लिए रूट का निर्धारण होने से ही सुधरेगी ट्रैफिक
शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए शहरवासियों ने रखी राय ग्रामीण इलाके के ऑटो को शहर से बाहर ही रोकने पर जोर औरंगाबाद सदर : हाल के कुछ वर्षों में ग्रामीण इलाकों की शहरों से कनेक्टिविटी बढ़ी है. गांव से शहर में रोजी-रोटी कमाने, पढ़ने और पढ़ाने आनेवालों की संख्या भी दिन ब […]
शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए शहरवासियों ने रखी राय
ग्रामीण इलाके के ऑटो को शहर से बाहर ही रोकने पर जोर
औरंगाबाद सदर : हाल के कुछ वर्षों में ग्रामीण इलाकों की शहरों से कनेक्टिविटी बढ़ी है. गांव से शहर में रोजी-रोटी कमाने, पढ़ने और पढ़ाने आनेवालों की संख्या भी दिन ब दिन बढ़ ही रही है. लेकिन, इनकी सुविधा पर किसी का कोई ध्यान नहीं है.
सस्ता और सुगम साधन उपलब्ध हो, इसे लेकर ग्रामीण यातायात सेवा पर न तो जिले के जनप्रतिनिधियों का ध्यान है और ना ही जिला प्रशासन ही इस पर गंभीर दिखता है. बस ले देकर लोग शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पर माथापच्ची करते रहते हैं. वैसे कोई समस्या जब व्यवस्था से बड़ी हो जाए, तो उस पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है और उसके निराकरण में सभी प्रभावित तबकों की राय को भी तवज्जो देनी चाहिए. साथ ही, आपस में मिल-बैठ कर इस समस्या का हल निकालना चाहिए. शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की हालत क्या है?
वह किसी से छुपी नहीं है और ग्रामीण परिवहन सेवा की स्थिति क्या है. उससे भी लोग वाकिफ हैं. प्रभात खबर ने शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने व ग्रामीण यातायात व्यवस्था को ठीक करने पर कुछ लोगों की राय ली. लोगों से हुई बातचीत में बहुत सारी चीजें स्पष्ट रूप से सामने आयीं और कई लोगों ने सुझाव भी दिये.
इस दौरान लोगों ने कहा कि हाल के दिनों में ऑटो की तादाद तेजी से बढ़ी है. इससे सुविधा और परेशानी दोनों है. शहर में ऑटो के अनियंत्रित परिचालन को नियंत्रित करने की जरूरत है. इसके लिए शहर में चलनेवाले सभी ऑटो के लिए रूट निर्धारित कर उनकी कोडिंग करने की जरूरत है. साथ ही ग्रामीण इलाके से शहर में आनेवाले ऑटो को मुख्य शहर में प्रवेश करने से रोकने की जरूरत भी लोगों ने जतायी.
प्रभात खबर से बातचीत में प्रबुद्ध लोगों ने शहर की सड़कों को जाममुक्त करने को लेकर दिये कई सुझाव
शहर के ट्रैफिक व्यवस्था को ठीक करने का जिला प्रशासन अच्छे से मूड बना ले, तो बहुत कम समय में शहर की यातायात व्यवस्था ठीक हो सकती है. शहर से जोड़नेवाली गांव की सड़कों पर जो बसें चलते आ रही हैं, वह काफी पुरानी हो चुकी हैं. सभी गांवों की सड़कें इतनी अच्छी नहीं हैं कि उस पर लग्जरी बसें चल सकें. अगर इन ग्रामीण इलाकों में एक पड़ाव बना कर ऑटो का परिचालन बढ़ा दिया जाये, तो शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधर जायेगी और ग्रामीण परिवहन सेवा भी ठीक हो जायेगी.
सुजीत सिंह, अध्यक्ष, मुखिया संघ
मोटरयान अधिनियम के तहत शहर के ऑटो का रूट निर्धारण कर दिया जाये, ताकि अधिनियम के तहत निर्धारित मार्ग पर ही ऑटो चल सकें. शहर में ऑटो की संख्या काफी है. इसलिए जिला प्रशासन एक योजना बना कर ऐसा मार्ग जो शहर को गांव से जोड़ता है या नगर को दूसरे ग्राम या प्रखंड व अनुमंडल को जोड़ता है, उस पर ऑटो का परिचालन बढ़ा दें. इससे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था भी ठीक हो सकती है और ग्रामीण परिवहन सेवा के क्षेत्र में परिवर्तन भी. प्रशासन को इस पर ध्यान देना चािहए.
अनिल कुमार सिंह, प्रांतीय संयोजक, हिंदू युवा
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए किसी के पास कोई जादू की छड़ी नहीं. बेवजह लोग इस पर माथा खपाये रहते हैं. ग्रामीण परिवहन सेवा शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. बहुत कम लोगों को ऐसे आइडिया आते हैं. शहर में चल रहे ऑटो के परिचालन का अगर रूट निर्धारण कर दिया जाये और उन्हें शहर से जुड़नेवाली गांवों की सड़को की ओर मोड़ दी जाये, तो निश्चित शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधर सकती है.
उमेश मिश्रा, शिक्षक
बहुत से राज्यों में ग्रामीण बस सेवा का प्रावधान है. पर अपने औरंगाबाद जिले के सभी गांवों की सड़के इतनी अच्छी नहीं कि उन पर बस सेवा ठीक से लोगों को मिल सके .पहले से जो ग्रामीण इलाको में बसे चल रही है, उनकी स्थिति भी काफी खराब हो चुकी है. शहर की ट्रैफिक स्थिति यह है कि गांव से लोग ऑटो लेकर शहर में कमाई करने पहुंचते है और दिन ब दिन ऑटो की संख्या शहर में बढ़ रही है. अगर ग्रामीण परिवहन सेवा पर फोकस करते हुए ऑटो का रूट निर्धारण कर दे तो शहर को काफी राहत मिलेगी.
हृदयानंद सहाय, शहरवासी
औरंगाबाद के 11 प्रखंडों में स्थापित बस पड़ाव की स्थिति जो पहले थी आज भी वहीं है. कहीं-कहीं सड़कें बन गयीं, लेकिन बहुत से इलाकों में जर्जर सड़कों की समस्या है और वे संकीर्ण भी हैं. इन रास्तों पर इक्के-दुक्के सीटी राइड या बस चल रही हैं, जिससे आम लोगों को अच्छी परिवहन सुविधा नहीं मिल रही. आज लोग गांव से कमाने या मजदूरी करने शहर में आते हैं, उन्हें शाम के वक्त घर लौटने में बड़ी परेशानी होती है. शहर के ऑटो चालक शाम होने पर यात्रियों से नाजायज फायदा उठाते हैं.
वीरेंद्र गुप्ता, व्यवसायी
रफीगंज के जाखिम रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के लिए कोइ भी परिवहन सेवा उपलब्ध नहीं है. वही औरंगाबाद शहर आने के लिए भी लोगों को सोचना पड़ता है. एक या दो ऑटो दिन में चलते मिल जाते है, लेकिन शाम ही यहां से ऑटो भी गायब हो जाते है. ऐसे कई इलाके है,जहां भी परिवहन सेवा सुलभ रूप से उपलब्ध नहीं. ऐसे में अगर इन रास्तों पर ऑटो की संख्या भी बढ़ जाये, तो यातायात में बड़ी सुविधा मिलेगी. ग्रामीण परिवहन सेवा को ठीक करने के लिए जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता है.
रवींद्र कुमार रवि, अभिकर्ता
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