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सात साल पहले ग्राम पंचायत का मिला दर्जा, विकास शून्य

औरंगाबाद : एक तरफ ग्रामीण इलाकों में विकास की किरण पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं ताकि ग्रामीण इलाकों का विकास हो सके. लेकिन जिले का एक वैसा पंचायत है, जिसको पंचायत का दर्जा प्राप्त हुए 7 साल बीत गये. लेकिन पंचायत का विकास आज तक नहीं हो सका. […]

औरंगाबाद : एक तरफ ग्रामीण इलाकों में विकास की किरण पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं ताकि ग्रामीण इलाकों का विकास हो सके. लेकिन जिले का एक वैसा पंचायत है, जिसको पंचायत का दर्जा प्राप्त हुए 7 साल बीत गये. लेकिन पंचायत का विकास आज तक नहीं हो सका. हम बात कर रहे हैं सदर प्रखंड के जम्होर ग्राम पंचायत का. इस पंचायत के हालात यह है कि पिछले 15 वर्षों तक न तो जम्होर नगर पंचायत में था और नहीं ग्राम पंचायत में.
त्रिशंकु में रहने के कारण जम्होर का विकास नहीं हो सका था. इसके बाद यहां के ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत का दर्जा प्राप्त करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, उसके बाद बिहार सरकार ने वर्ष 2012 में जम्होर को ग्राम पंचायत का दर्जा दिया. फिर दिसंबर महीने में ग्राम पंचायत का चुनाव हुआ. इसमें अलावती देवी जम्होर की प्रथम मुखिया बनी. ढाई साल के कार्यकाल के दौरान वह जम्होर का विकास नहीं करा पायी. कारण यह रहा कि सरकार द्वारा कोई भी पैसे विकास के लिए नहीं दिए गये .
इसके बाद दूसरी बार वर्ष 2016 में ग्राम पंचायत का चुनाव संपन्न हुआ. जिसमें सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता मुखिया बने, लेकिन अभी तक इस ग्राम पंचायत में कोई भी विकास कार्य शुरू नहीं हो पाया है.
कारण यह है कि जम्होर को तो ग्राम पंचायत का दर्जा सरकार ने दे दिया, लेकिन विभाग द्वारा जम्होर को ग्राम पंचायत का कोड अभी तक नहीं दिया है. जिसके कारण इस पंचायत में विकास कराने के लिए कोई फंड नहीं मिला पाया है. हालांकि कई बार जम्होर को कोड देने के लिए मुखिया से लेकर अधिकारियों ने विभाग को पत्र भी भेजा, लेकिन इसका कोई असर अभी तक नहीं दिखाई दे रहा है . इस पंचायत में रहने वाले 12 हजार लोगों का सबसे बड़ी समस्या यह है भी हैं कि एक भी लोगों का बीपीएल सूची में नाम नहीं है.
जिसके कारण प्रधानमंत्री आवास योजना का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है और न ही पेंशन. जब 21 जुलाई को जिलाधिकारी कंवल तनुज जम्होर में स्वच्छता कार्यक्रम में शामिल हुए थे तो उस दौरान ग्रामीणों ने अपनी समस्या जिलाधिकारी के पास रखी थी,फिर भी अभी तक कोई पहल नहीं किया गया. इस संबंध में सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी अजय कुमार प्रिंस ने बताया कि जम्होर को कोड दिलाने के लिए कई बार पत्राचार विभाग से किए है. जब तक ऊपर से विकास के लिए राशि प्राप्त नहीं होगा, तब तक कुछ नहीं होगा.इधर मुखिया सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि ग्राम पंचायत का दर्जा मिल गया है. लेकिन विकास के लिए एक भी रुपया नहीं मिला है, फिर भी संघर्ष कर रहे हैं .
मामला चाहे जो भी हो, जम्होर को तो विकास करने के लिए कोड दिलवाना होगा ,तभी पंचायत का विकास संभव हो सकेगा. इस गांव में न तो चलने के लिए सही कोई सड़क हैं और न ही नाली व गली. जिसके कारण सड़क पर जलजमाव व गंदगी की समस्या है. वही महादलित परिवार के लोग आज भी मिट्टीनुमा घर व झोपड़ी में अपना जीवन व्यतीत करने पर मजबूर है.

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