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औसत बारिश का ग्राफ जा रहा है नीचे

आंकड़े दे रहे गवाही, साल दर साल जिले में जून माह में भी अब तक केवल 62 प्रतिशत वर्षापात बीते छह माह में भी लगभग 30 प्रतिशत कम हुई बारिश अररिया : जिले में मॉनसून कब का दस्तक दे चुका है. कहने को तो बारिश भी हो रही है. कभी कभार मूसलाधार भी हो जाती […]

आंकड़े दे रहे गवाही, साल दर साल जिले में

जून माह में भी अब तक केवल 62 प्रतिशत वर्षापात
बीते छह माह में भी लगभग 30 प्रतिशत कम हुई बारिश
अररिया : जिले में मॉनसून कब का दस्तक दे चुका है. कहने को तो बारिश भी हो रही है. कभी कभार मूसलाधार भी हो जाती है. कहा जा सकता है कि जिले में बरसात के मौसम का एहसास हो रहा है. पर ठीक इसके उलट जिले में होने वाले वर्षापात के आंकड़े न केवल चिंता का विषय है, बल्कि भविष्य के नजरिये से देख जाये तो डरावने भी कहे जा सकते हैं. आलम ये है कि पिछले पांच सालों के दरमियान कमोबेश हर साल जिले में औसत से काफी कम बारिश हुई है. इस साल भी पिछले छह में जितनी बारिश होनी चाहिए थी, उससे लगभग 30 प्रतिशत कम बारिश हुई है.
जिले में होने वाले वर्षापात को लेकर चिंता की एक बड़ी बात यह है कि पिछले कई सालों से जिले में साल भर में होने वाली बारिश औसत से काफी कम रही. वहीं बरसात के चार महीनों में भी यही स्थिति रही. जिला सांख्यिकी कार्यालय में उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि साल भर के दौरान जिले में औसतन 1629.20 एमएम बारिश होनी चाहिए. पर वर्ष 2011 में केवल 1166.51, वर्ष 2012 में 775.42, वर्ष 2014 में 1164.29 व 2015 में 996.49 एमएम वर्षापात हुआ.
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार बरसात के चार महीनों यानी जून से लेकर सितंबर तक की अवधि में भी पिछले कुछ सालों मे कम बारिश रिकार्ड हुई है. जून माह में जिले में बारिश का औसत 302 एमएम निर्धारित है. पर वर्ष 2012 में केवल 06.79 प्रतिशत बारिश हुई. वर्ष 2013 में जरूर जिले के औसत से अधिक 108.89 प्रतिशत बारिश हुई. पर 2014 में औसत वर्षापात गिर कर 67.09 प्रतिशत व 2015 में 53.33प्रतिशत पहुंच गया.
इन चार वर्षों में जुलाई, अगस्त व सितंबर माह में भी कमोबश औसत से खासी कम बारिश जिले में रिकार्ड की गयी. वर्ष 2012 में जुलाई माह के औसत की तुलना में 84 प्रतिशत, अगस्त में 36 प्रतिशत व सितंबर में 66 प्रतिशत बारिश हुई. खास ये कि वर्ष 2015 के जुलाई माह में 440 एमएम के बजाये 142 एमएम यानी 32 प्रतिशत ही बारिश हुई थी. आंकड़ों के मुताबिक इस साल के वर्षापात के आंकड़े भी बहुत उत्साहवर्द्ध्रक नहीं हैं. जिला सांख्यिकी पदाधिकारी महेश प्रसाद द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक जनवरी से लेकर जून तक जिले में औसतन 485.3 एमएम बारिश होनी चाहिए थी, पर केवल 361.69 एमएम वर्षापात रिकार्ड हुआ है. जिले में मॉनसून दस्तक दे चुका है. जूलाई माह में जिले में वर्षापात का औसत 302 एमएम निर्धारित है. पर 25 जून तक केवल 187 एमएम के करीब बारिश रिकार्ड हुई है.
पर्यावरण की चिंता रखने वालों का कहना है कि विकास के नाम पर पेड़ों की मनमानी कटाई व लंबे समय तक जिले में रहे वन माफियाओं के वर्चस्व के चलते जंगल समाप्त हो गये. पर्यावरण संतुलन को बिगड़ने का भयावह परिणाम तो भुगतना ही पड़ेगा. कुछ जानकारों को तो यहां तक कहना है कि अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो जिला भी धीरे-धीरे सूखाग्रस्त क्षेत्र बनने की दिशा में बढ़ने लगेगा.
पिछले पांच सालों में होने वाली बारिश
वर्ष जिले का औसत वास्तविक बारिश प्रतिशत
2011 1629.20 1166.51 28.40
2012 1629.20 775.42 52.40
2013 1629.20 1715.3 105.28
2014 1629.20 1164.29 28.54
2015 1629.20 996.49 38.84
भविष्य में पानी की किल्लत से जिले वासियों को पड़ सकता है जूझना

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