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मौसम की बेरुखी से हलक में अटकी किसानों की जान

मौसम की बेरुखी से हलक में अटकी किसानों की जान बारिश व ओलावृष्टि से मक्का व गेहूं की फसल को गंभीर क्षति किसानों को उठाना पड़ सकता है दोहरा नुकसान फोटो-1- खेतों में गिरा मक्के का पौधा प्रतिनिधि 4 अररियामौसम की बेरुखी से एक बार फिर जिले के मक्का व गेहूं उत्पादक किसानों की जान […]

मौसम की बेरुखी से हलक में अटकी किसानों की जान बारिश व ओलावृष्टि से मक्का व गेहूं की फसल को गंभीर क्षति किसानों को उठाना पड़ सकता है दोहरा नुकसान फोटो-1- खेतों में गिरा मक्के का पौधा प्रतिनिधि 4 अररियामौसम की बेरुखी से एक बार फिर जिले के मक्का व गेहूं उत्पादक किसानों की जान हलक में अटकी हुई है. पिछले कुछ दिनों से मौसम के बदले तेवर से खेतों में लगे मक्का व गेहूं की फसल को गंभीर क्षति पहुंची है. जिले के अलग-अलग हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश व ओला वृष्टि से फसल की कटाई व तैयारी दोनों प्रभावित हुई है. तेज हवाओं के साथ होने वाले बारिश से मक्का व गेहूं के पौधे खेतों में ही टूट कर गिर पड़े हैं. बारिश व ओला वृष्टि से मक्का की फसल जो अब बाली पर है. खेतों में ही गिर पड़े हैं. इससे फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. फसल को पहुंचे नुकसान के कारण किसानों के चेहरे पर एक बार फिर से मायूसी छाने लगी है. जिले के नौ प्रतिशत भू भाग पर लगी फसल बरबाद हाल के दिनों में जिले के विभिन्न हिस्सों में हुई ओला वृष्टि व तेज हवाओं के साथ हुई बारिश के कारण जिले के नौ प्रतिशत भू भाग पर लगी फसल पूर्णत: बरबाद हो गये. बारिश वे तेज हवाओं के कारण सबसे ज्यादा नुकसान अररिया प्रखंड के किसानों को उठाना पड़ा है. कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़े के मुताबिक प्रखंड क्षेत्र के 18 प्रतिशत भू खंड पर लगे फसल आंधी-तूफान से पूरी तरह बरबाद हो गये. इसके अलावा जोकीहाट में फसल लगे कुल भूमि के 12 प्रतिशत हिस्सा आंधी में बरबाद हो गये. पलासी प्रखंड कुल आच्छादित भूमि का 10 प्रतिशत हिस्सा के बरबाद होने की सूचना है. इसके अलावा कुर्साकांटा के 8 प्रतिशत, सिकटी के 8 प्रतिशत, रानीगंज के 8 प्रतिशत, भरगामा के 7 प्रतिशत, फारबिसगंज के 6 प्रतिशत और नरपतगंज प्रखंड के पांच प्रतिशत खेत आंधी व ओला वृष्टि से प्रभावित हुए हैं. तीन दिन में हुई 36 मिली बारिश मार्च महीने के अंतिम व अप्रैल माह के शुरुआती दिनों में जिले में हुई औसत से ज्यादा बारिश को फसल बरबादी के लिए जिम्मेदार बताया जाता है. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक महज पांच दिनों के अंदर जिले में तेज हवाओं के साथ कुल 36 मिली लीटर बारिश हुई. इसके अलावा अलग अलग जगहों पर ओला वृष्टि भी हुई. 28 मार्च व 1 अप्रैल को सबसे जिले में सबसे ज्यादा बारिश रिकार्ड किये गये. इन दो दिनों में क्रमश: 15 एमएम व 9 एमएम बारिश दर्ज किये गये. अप्रैल माह के पहले तारीख को भी जिले में 12 एमएम बारिश हुई. इसके बाद चार मार्च को भी जिले के छिटपुट जगहों पर अच्छी-खासी बारिश हुई. इससे खेतों में तैयारी के लिये रखे गये मक्का व गेहूं की फसल को गंभीर क्षति उठानी पड़ी. मक्का सहित अन्य फसल को हुआ नुकसानपिछले कुछ दिनों से जिले के अलग अलग हिस्सों में तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश व ओलावृष्टि से किसानों के समक्ष उत्पादन प्रभावित होने का खतरा मंडराने लगा है. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो हल्की बारिश होती तो इससे कई तरह के फसल को लाभ मिलता. लेकिन जिस तरह से बारिश के साथ तेज हवा व ओले गिरे हैं. इससे फसल बरबाद होने का खतरा काफी बढ़ गया है. ओला वृष्टि व तेज हवाओं के कारण मक्का ही नहीं खेतों में तैयार हो रहे गेहूं, दलहन के पौधे को भी क्षति पहुंचा है. इतना ही नहीं मंजर दे चुके आम व लीची के पौधे को भी बारिश व ओला वृष्टि से नुकसान झेलना पड़ा है.पिछले साल भी बड़ी मात्रा में गेहूं की फसल हुई थी बरबाद मालूम हो कि पिछले साल भी किसानों को गेहूं की फसल बरबाद होने से गंभीर क्षति उठानी पड़ी थी. यही वजह है कि इस बार निर्धारित लक्ष्य से तुलना में गेहूं की बुआई कम हो पायी. जबकि जिले में निर्धारित लक्ष्य की तुलना में दोगुनी भू भाग पर मक्का का उत्पादन किया गया है. जानकारी मुताबिक इस बार 30 हजार हेक्टेयर से अधिक भू भाग पर मक्का का उत्पादन किया गया है, जबकि करीब 40 हजार हेक्टेयर भू भाग पर गेहूं के फसल लगाये गये हैं. मक्का के उत्पादन में प्रति एकड़ 25 हजार तक किसानों ने किये हैं खर्च जिस तरह से रोज-रोज जिले में तेज हवा व बारिश का सिलसिला जारी है. इससे जिले के किसानों को दोहरी मार झेलनी पडेगी. मक्का उत्पादक किसान दिनेश मंडल ने बताया कि इस बार मार्च महीने में औसत तापमान ज्यादा होने के कारण किसानों को खेतों में ज्यादा पटवन के लिए मजबूर होना पड़ा है. इसके अलावा खाद बीज की बढ़ी हुई कीमत व मजदूर महंगे होने के कारण भी प्रति एकड़ लागत प्रभावित हुई है. उन्होंने बताया कि अपनी जमीन में मक्का की खेती के लिये किसानों को कम से कम 14-15 हजार रुपये खर्च करने पड़े हैं. तो लीज लेकर खेती करने वालों को मक्का के उत्पादन में 25 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से खर्च करने पड़े हैं. क्या कहते हैं कृषि अधिकारी तेज हवा व बारिश से हुए फसलों के नुकसान का विभाग के द्वारा सर्वे कराया गया था. विभिन्न प्रखंडों से जो रिपोर्ट विभाग को प्राप्त हुए हैं. इसके मुताबिक फसल आच्छादित जिले के कुल भू भाग का नौ प्रतिशत हिस्सा बारिश व ओला वृष्टि से प्रभावित हुआ है. प्रभावित किसानों को उचित मदद उपलब्ध कराने के विभागीय प्रयास किये जाने की बात डीएमओ ने कही. शिवदत्त सिन्हा, डीएओ सह आत्म के निदेशक

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