औराही (अररिया) से जितेंद्र
यह एक सुखद संयोग है. एक ओर आंचलिक कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु के पौत्र व दूसरी ओर उनकी रचना परती परिकथा की पात्र मलारी की पोती. दोनों का बुधवार को दोनों की शादी हुई. यह शादी एक सच्ची कहानी से जुड़ी है. यह कहानी आज फिर से जीवंत हो उठी.
जो तिलकेश्वर राम कभी रसनचौकी (शहनाई का मूल रूप) बजाते थे, आज वे भले जिंदा न हों, पर उनके आंगन की लक्ष्मी खोंइछा में दूब-धान लेकर रेणु के घर आयी. फणीश्वर नाथ रेणु के पौत्र व विधायक पद्म पराग राय वेणु के पुत्र की शादी गुरुवार को सामाजिक रीति-रिवाज के साथ औराही गांव के सुभाष चंद्र दास की पुत्री अमृता के साथ हुई.
इस शादी में खास बात यह रही कि रेणु परिवार की दुल्हन बननेवाली अमृता उस मलारी की पौत्री हैं, जिसे फणीश्वर नाथ रेणु ने अपनी रचना ‘परती’ परिकथा का पात्र बनाया था. लोगों का मानना है कि रेणु ने कभी भी अपनी रचनाओं में किसी काल्पनिक पात्र का सृजन नहीं किया. उनके गाड़ीवान हीरामन हो या लाल पान की बेगम, सभी समाज के हिस्सा रहे हैं. इस शादी में बरात में कोई बुलाने नहीं गया. रेणु के सभी स्नेही व उनके परिजन इस पुनीत यज्ञ के साक्षी बने.
यह शादी एक नजीर : रेणु जी के पौत्र अनंत कुमार एक व्यवसायी हैं, तो दुल्हन बननेवाली अमृता नियोजित शिक्षिका, लेकिन वह महादलित परिवार से आती है. इसलिए इस शादी को एक मिसाल माना गया. कथा शिल्पी रेणु व उनके पिता शीलानाथ मंडल समता मूलक समाज के पक्षधर थे. उनके समक्ष छुआछूत व जातीय भेदभाव का कोई बंधन नहीं था.