अररिया : यह जानना बेहद जरूरी है कि एक योजना को जमीन पर उतारने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है. बावजूद वह योजना अगर नप प्रशासन के शिथिलता के कारण जमीन पर नहीं उतर पाये तो इसका कष्ट न केवल वहां रहने वाले स्थानीय लोगों को उठाना पड़ता है बल्कि उक्त योजना को जमीन पर उतारने का सपना देखने वाले प्रतिनिधि भी खासे दु:खी होते हैं. ऐसी ही स्थिति अब अररिया नप की है. यहां नवंबर 2018 में ही दो एनआईटी के प्रकाशन से 3.79 करोड़ की सात योजनाएं के निविदा में संवेदकों ने भाग लिया.
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योजनाओं का चयन के बाद भी नहीं हो पाता है क्रियान्वयन
अररिया : यह जानना बेहद जरूरी है कि एक योजना को जमीन पर उतारने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है. बावजूद वह योजना अगर नप प्रशासन के शिथिलता के कारण जमीन पर नहीं उतर पाये तो इसका कष्ट न केवल वहां रहने वाले स्थानीय लोगों को उठाना पड़ता है बल्कि उक्त योजना को जमीन […]
लेकिन 09 माह के बावजूद भी नप प्रशासन के द्वारा अब तक इन निविदा पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. जिसके कारण शहर के कई महत्वपूर्ण योजना पर अभी भी ग्रहण लगा हुआ है. यह योजनाएं अगर ससमय पूरी हो जाती तो शहर की महत्वपूर्ण सड़कों पर लगने वाले जल जमाव की समस्या से निश्चित ही निजात मिल पाता व नप प्रशासन को जल निकासी के लिए आये दिन पाइप आदि लगाने की समस्याओं से दो चार नहीं होना पड़ता.
निविदा की प्रक्रिया पूरी
ड्रैनेज निर्माण की प्रक्रिया निविदा में है. संवेदक की चयण की प्रक्रिया की जा रही है. संवेदक के चयण में एहतियात बरतना पड़ता है. इसके लिए बुडको की स्वीकृति से लेकर नगर विकास विभाग की स्वीकृति भी अहम होती है. सारी प्रक्रिया ऑनलाइन है. इसलिए इसके लिए लेटलतीफी या फिर कोताही की कोई बात नहीं है. आचार संहिता व चुनाव कार्यों में फसने के कारण भी विलंब हुआ है. बावजूद जल्द से जल्द निविदा की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास किया जायेगा.
दीनानाथ सिंह, कार्यपालक पदाधिकारी अररिया
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