मृगेंद्र मणि सिंह, अररिया : अररिया नगर परिषद शहर के विकास के लिए करोड़ों रुपये का खर्च कर रही है. खर्च की गयी राशि की पूर्ति या तो नगर विकास विभाग करती है या फिर नप अपने आंतरिक संसाधन मद से भी शहर के विकास पर खर्च करती है.
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शिथिलता से कमर्शियल वार्ड रह गये टैक्स वसूली में पीछे, नहीं पूरा हुआ होल्डिंग वसूली का लक्ष्य
मृगेंद्र मणि सिंह, अररिया : अररिया नगर परिषद शहर के विकास के लिए करोड़ों रुपये का खर्च कर रही है. खर्च की गयी राशि की पूर्ति या तो नगर विकास विभाग करती है या फिर नप अपने आंतरिक संसाधन मद से भी शहर के विकास पर खर्च करती है. तुर्रा तो यह कि राशि खर्च […]
तुर्रा तो यह कि राशि खर्च करने में दरियादली दिखाने वाले नगर परिषद का कुछेक टैक्स कर्मी होल्डिंग कर की वसूली में पिछड़ जाते हैं. कहें तो कुछेक टैक्स कर्मियों की मेहनत का ही नतीजा है कि नप वित्तीय वर्ष 2018-19 में निर्धारित किये गये लक्ष्य के आस-पास ही रह सके. टैक्स कर्मियों के द्वारा 1,63,44,480 लक्ष्य के एवज में नप के टैक्स कर्मी महज 1,35,11,078 रुपये की ही वसूली कर पाये.
लगभग 28 लाख रुपये से अधिक के राजस्व को वसूलने से टैक्स कर्मी पीछे रह गये. हालांकि टैक्स कलेक्टर अनंत ठाकुर ने 16,60,199 रुपये वसूल कर पहला स्थान, नौसाद अंसारी ने 16,13,996 रुपये वसूल कर दूसरा स्थान, श्यामचंद्र दास ने 12,30,357 वसूल कर तीसरा स्थान, जीतेंद्र ठाकुर ने 12,25,703 रुपये वसूल कर चौथा स्थान व मुजफ्फर आलम ने 11,62,640 वसूल कर पांचवा स्थान हाशिल कर नप की प्रतिष्ठा को बचा लिया.
इधर 17, 22, 27, 20 व 26 आदि जैसे कमर्शियल वार्ड के टैक्स कलेक्टर वसूली को लक्ष्य कर पाने में पीछे रह गये. अगर इन वार्डों के टैक्स कलेक्टर अपने कार्यों को थोड़ा भी संजीदगी से लेते तो नप अपने राजस्व के लक्ष्य को प्राप्त कर पाने में कामयाब होता.
खास बात तो देखने वाली यह है कि अगर पुराने बकाया को छोड़ दिया जाए तो नप का 2018-19 वित्तीय वर्ष की वसूली महज 48 लाख्स 60 हजार 989 रुपये ही है. जबकि पुराना वसूली गयी बकाया राशि ही 86,50,089 रुपये है. जिन वार्डों के टैक्स कलेक्टर वसूली में पीछे रह गये हैं उनमें मुख्य रूप से मो आजम 10,96,101 रुपये, मो खुर्शीद 9,56,159 रुपये व मो तबारक 7,69,490 रुपये आदि का नाम सामने आ रहा है.
नप अब तक नहीं कर पाया है संपत्ति व रिक्त भूमि का निर्धारण
वर्ष 2013 के संपत्ति व रिक्त भूमि के करों के निर्धारण को नप अररिया ने वर्ष 2017 से पूर्व ही लागू किया था. हालांकि इसको लेकर आपत्ति भी जाहिर की गयी थी. बावजूद नप के द्वारा प्राइवेट भूमि मालिकों के संपत्ति व रिक्त भूमि के करों का निर्धारण किया.
हालांकि अब भी यह पूरा नहीं हो पाया है. लेकिन इसमें खास बात यह है कि सैकड़ों एकड़ की जमीन व बड़े भवनों में चलने वाले सरकारी भवनों का अब तक संपत्ति व रिक्त भूमि का निर्धारण नहीं हो पाया है.
समस्या यही खत्म नहीं हो रही है, सरकारी विभागों के अधिकारियों के उदासीनता के कारण पिछले दो वर्षों में भी उनके द्वारा न तो भवनों की और न ही इस्तेमाल किये जा रहे रिक्त भूमि के ही लंबाई-चौड़ाई व ऊंचाई की गणना की जा सकी है. परिणामत: जहां इन पर करोड़ों का बकाया दिखना चाहिए वहां इन पर महज 75,63,108 रुपये का बकाया दिख रहा है.
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