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लावारिश, मूक व बधिर दिव्यांग जायें कहां अररिया में नहीं है इनके रखने की व्यवस्था

इकाई ने सौंपा आश्रय स्थल को, जबकि आश्रय स्थल बच्चे को रखने में जता रहा है आपत्ति ऐसे ही एक मामले में पुलिस ने सौंपा बाल संरक्षण इकाई को एसपी से लगाया बच्चे को अन्यत्र सिफ्ट कराने की गुहार मृगेंद्र मणि सिंह, अररिया : जिले में लावारिश व्यक्ति या फिर शारारिक रूप से असक्षम द्वियांगों […]

  • इकाई ने सौंपा आश्रय स्थल को, जबकि आश्रय स्थल बच्चे को रखने में जता रहा है आपत्ति
  • ऐसे ही एक मामले में पुलिस ने सौंपा बाल संरक्षण इकाई को
  • एसपी से लगाया बच्चे को अन्यत्र सिफ्ट कराने की गुहार
मृगेंद्र मणि सिंह, अररिया : जिले में लावारिश व्यक्ति या फिर शारारिक रूप से असक्षम द्वियांगों की रखने की कोई व्यवस्था वर्तमान समय में नहीं है. ऐसे बच्चों में अगर नाबालिग हों तो उन्हें बाल संरक्षण इकाई पूर्णिया, किशनगंज या कटिहार में स्थित बाल गृह में भेज देती है. जबकि परिस्थित ऐसी हो कि शारारिक रूप से असक्षम व्यक्ति जो कि नाबालिग नहीं हैं उसे कहां रखा जाए, यहा बड़ा सवाल बनकर उभ है.
ऐसा ही एक मामला नप के इकाई डेएनयूएलएम द्वारा संचालित नव निर्मित बाल संरक्षण इकाई में देखने को मिला है. जहां पर ताराबाड़ी थानाध्यक्ष द्वारा 06 मार्च 19 को एक मूक बधिर बच्चा को अनाधिकृत रूप से रखा गया.
जो कि अब तक वहां रह रहा है. आश्रय स्थल के संचालक प्रगति महिला स्वाबलंबी सहकारी समिति ने एसपी को पत्र लिखकर इस पर आपत्ति प्रकट करते हुए कहा है कि ताराबाड़ी पुलिस द्वारा रखे गये बच्चे को अब तक नहीं ले जाया गया है. वह बच्चा वहां से भागने का प्रयास करता है. जिस कारण आश्रय स्थल को बंद रखना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में उक्त एएलएफ को आवंटित आश्रय स्थल के एकरारनामा को भी रद्द करने की चेतावनी नगर परिषद द्वारा दिया गया है.
ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि बालक/बालिका को रखने के लिए आश्रय स्थल का प्रयोग करना सरासर अनाधिकृत है आश्रय स्थल में गार्ड उपस्थित नहीं रहने की स्थिति में बच्चे को 24 घंटे रखना व उसका निगरानी करना असंभव है. उन्होंने एसपी से बच्चे को अविलंब हटाने के लिए थानाध्यक्ष को निर्देशित करने की गुहार लगाया है.
क्या है नियम
नगर परिषद द्वारा बनाये गये आश्रय स्थल में न्यूनतम किराये पर बेड मिलता है
यहां न्यूनतम दर पर भोजन देने का भी प्रबंध है
ऐसा कोई नियम नहीं है कि वहां पर लावारिश या रेस्क्यू कर लायी गये युवक व युवतियों को रखा जाना है
अररिया में बालिका गृह व बालक गृह नहीं है. बाल संरक्षण गृह है अररिया आरएस में है. जिसके सुपरीटेंडट प्रणव कुमार हैं. उसमें ऐसे ही 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को रखा जाना है जो अपराध करने में पकड़ा गया हो. वहां पर किसी भी प्रकार के अज्ञात व लावारिश नाबालिग बच्चों को रखे जाने का प्रावधान नहीं है.
ऐसे बच्चों को रखे जाने के लिए अररिया में कोई व्यवस्था तत्काल समय में नहीं है. राज्य बाल संरक्षण आयोग व बिहार सामाजिक सुरक्षा कोषांग बिहार सरकार पटना इसकी व्यवस्था करती है. पहले यहां पर बालिका गृह चलाया जा रहा था. जो कि वर्ष 2015-16 से नहीं है.
इसका जो कि कारण सामने आ रहा है वह है कि यहां पर अभी बाल कल्याण समिति का विधिवत गठन नहीं हुआ है. किशोर न्याय बोर्ड की स्थापना की गयी है. किशोर न्याय परिषद में भी तीन ही सदस्य होते हैं. जिसमें अभी मात्र दो सदस्य हैं. क्रमश: उनमें एक जज व एक सदस्य काम कर रही है.
इसलिए अररिया में अगर ऐसे बच्चे मिलते हैं तो उन्हें बाल संरक्षण इकाई द्वारा पूर्णिया, किशनगंज या कटिहार बाल गृह भेजा जाता है. जहां उसकी काउंसलिंग, खाने-पीने, रहने की सारी व्यवस्था होती है. परिजनों की छानबीन होती है. परिजन के मिलने के पश्चात उन्हें पूरी जांच के बाद सौंप दिया जाता है.
बचनेश्वर मिश्र, बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष
बच्चे का कराया जायेगा मेडिकल, तब ही होगा तय कि इसे कहां रखा जायेगा
सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई अक्षय कुमार ने बताया कि ताराबाड़ी पुलिस के द्वारा 18 वर्ष से कम उम्र बताया गया था. ताराबाड़ी थाना द्वारा ही आश्रय स्थल में भरती कराया गया था.
लेकिन यह गलत है. उनके संज्ञान में मामला आया है. बच्चे का मेडिकल सिविल सर्जन के द्वारा कराया जा रहा है. बुधवार को मेडिकल रिपोर्ट आयेगा. अगर बच्चा नाबालिग हुआ तो उन्हें पूर्णिया स्थित बाल गृह में भेजा जायेगा. लेकिन बच्चा अगर बालिग हुआ तो उसे पुन: ताराबाड़ी पुलिस के सुपूर्द कर दिया जायेगा.
हालांकि पूछे जाने उन्होंने बताया कि पटना व पूर्णिया में सेवा कुटिर चलाया जाता है. लेकिन वहां पर भिक्षुक या बुजूर्गों को रखे जाने का प्रावधान है. ऐसे में अगर वह भिक्षुक की श्रेणी में आता है तब ही उसे वहां भरती कराया जायेगा.
अक्षय कुमार, बाल संरक्षण इकाई सहायक निदेशक
सौंपा गया था बाल संरक्षण इकाई को
इस संबंध में पूछे जाने पर ताराबाड़ी थानाध्यक्ष रंजीत कुमार ने बताया कि उन्हें उनके थाना क्षेत्र के ही एक व्यक्ति गोरे झा द्वारा एक मूक बधिर द्वियांग को उन्हें सौंपा गया. जिन्हें जिला बाल संरक्षण इकाई के निर्देश पर आश्रय स्थल में रखा गया. अब जबकि आश्रय स्थल उसे रखने से इनकार कर रहा है तो इस संबंध में बाल संरक्षण इकाई से बात कर अग्रेतर कार्रवाई की जायेगी.
रंजीत कुमार, ताराबाड़ी थानाध्यक्ष

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