डायन एक्ट के तहत दर्ज मामले में हो रही गवाही
Advertisement
अंध विश्वास के दायरे से नहीं निकल पा रहा समाज
डायन एक्ट के तहत दर्ज मामले में हो रही गवाही अररिया : अंधविश्वास के दायरे से शायद अब भी समाज नहीं निकल पाया है. झाड़-फूंक, ओझा-गुणी पर अब भी लोग भरोसा रखते हैं. इसी का परिणाम है कि आज भी समाज में किसी महिला पर डायन होने का लांछन लगा कर उसे प्रताड़ित किया जाता […]
अररिया : अंधविश्वास के दायरे से शायद अब भी समाज नहीं निकल पाया है. झाड़-फूंक, ओझा-गुणी पर अब भी लोग भरोसा रखते हैं. इसी का परिणाम है कि आज भी समाज में किसी महिला पर डायन होने का लांछन लगा कर उसे प्रताड़ित किया जाता है. लांछन लगने के बाद पीड़ित महिला घुट-घुट कर जीवन बिताने पर लाचार हो जाती है. घरों में दुबक कर आंखों से आंसू बहाती रहती हैं. समाज इस संवेदनशील मुद्दों पर खामोशी की चादर ओढ़ कर अंजान बना रह जाता है.
महिला सशक्तिकरण पर जागरुकता अभियान का मुद्दा सवाल उठाते हुए समाज में गौण हो जाता है. बावजूद इतने के लांछन से मुक्ति मिले, प्रताड़ना से तंग महिलाएं अब कानून के द्वार पर दस्तक भी देने लगी हैं. नतीजा है कि महिला थाना में आधा दर्जन मामले सिर्फ व सिर्फ डायन एक्ट के तहत दर्ज हैं.
घुट-घुट कर जी रही है पीड़ित महिलाएं
केस स्टडी एक
रानीगंज थाना क्षेत्र के कमलपुर की एक महिला ने महिला ने डायन कह कर प्रताड़ित करने के मामले में रानीगंज थाना में कांड संख्या 21/16 दर्ज कराया है. अनुसंधानकर्ता ने इस मामले में न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित कर दिया. अब मामला न्यायालय में विचाराधीन है
केस स्टडी दो
भरगामा थाना क्षेत्र के हनुमानगंज सिरसिया की एक महिला ने डायन कह कर मारपीट करने व मैला पिलाने का प्रयास करने को लेकर महिला थाना में मामला दर्ज कराया है. आरोप पत्र समर्पित कर दिया है. मामला न्यायालय में पेंडिंग है. इधर न्याय की आस में महिला घुट-घुट कर जी रही है.
केस स्टडी तीन
फारबिसगंज की एक महिला को लोगों ने का डायन कह कर प्रताड़ित किया. विवश महिला ने आठ लोगों के विरुद्ध फारबिसगंज थाना में कांड संख्या 39/16 दर्ज कराया. मामला अब भी अनुसंधान के दायरे में है. इसी तरह रानीगंज हसनपुर की महिला ने सात लोगों को नामजद करते महिला थाना में कांड संख्या 75/16 दर्ज कराया. वहीं फारबिसगंज थाना क्षेत्र के खवासपुर की एक महिला ने गांव के ही नौ लोगों के विरुद्ध कांड संख्या 92/16 दर्ज कराया. वर्तमान में यह कांड अनुसंधान के दायरे में है. हालांकि वर्ष 2017 में जुलाई माह तक महिला थाना में डायन एक्ट के तहत एक भी मामला अंकित नहीं किया गया है. दरअसल अंधविश्वास के साथ-साथ, भूमि विवाद व अन्य कोई दुश्मनी से भी डायन का मामला सामने आता है. नाम नहीं छापने के शर्त पर एक पुलिस पदाधिकारी ने बताया कि डायन एक्ट के तहत अधिकांश मामलों के पीछे कोई दूसरा ही कारण सामने आता है. ऐसे में इस तरह के मामलों में समाज के लोगों को आगे आना चाहिए. जिससे कोई महिला डायन के लांछन से प्रताड़ित हो कर जिंदगी न गुजारे. बहरहाल आधुनिकता के इस दौर में अंधविश्वास के खिलाफ समाजिक संगठनों को जागरुकता अभियान चलाना समय का तकाजा है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement