पटना: चुनाव आयोग से हरी झंडी मिलने के बाद भाजपा ने अपने 210 चुनाव रथों को 243 विधानसभा क्षेत्रों में भेजना शुरू कर दिया है. सभी 210 चुनाव रथों के दैनिक संचालन पर भाजपा औसतन एक लाख 78 हजार 600 रुपये खर्च कर रही है.
यदि औसतन 20 दिन तक इन रथों को चुनाव प्रचार में लगाया गया, तो इनके संचालन पर कुल खर्च 35 लाख 72 हजार रुपये आयेगा. एक रथ के निर्माण पर 32 हजार रुपये खर्च किये गये हैं. इस हिसाब से 210 रथों के निर्माण पर 67 लाख 20 हजार रुपये खर्च हुए हैं. इस तरह इन रथों के इस्तेमाल पर भाजपा एक करोड़ दो लाख 92 हजार रुपये खर्च करेगी.
आयोग की आपत्ति के बाद सात मार्च से ही ये चुनाव रथ पार्टी मुख्यालय और गेट-वे पब्लिक लाइब्रेरी में खड़े थे. पार्टी सभी रथों को मार्च के पहले ही सप्ताह में गांव-पंचायतों में भेजने की तैयारी कर रही थी, लेकिन आयोग की रोक के कारण यह अभियान देरी से शुरू हुआ है. भाजपा चुनाव सेल के संयोजक जय प्रकाश ने बताया कि आयोग ने चुनावी रथ को लेकर कई चुनावी पेच फंसा दिये थे. आयोग ने एमवीआइ एक्ट के तहत चुनावी रथ को लेकर अनापत्ति प्रमाणपत्र की मांग की थी. पार्टी ने सभी रथों का अनापत्ति प्रमाणपत्र पेश किया, तब जाकर इसकी अनुमति मिली.
भाजपा ने रथ बनाने के लिए 210 गाड़ियों को तीन हजार दैनिक किराये पर लिया है. इन गाड़ियों को चुनावी रथ का लुक पार्टी स्तर पर बनाया गया है. रथ में नरेंद्र मोदी के पोस्टर, वीडियो वैन और एलसीडी लगाये गये हैं. रथों को शहरी क्षेत्रों में कम, गांव-पंचायतों में अधिक घुमाया जायेगा. रथ में वीडियो से पटना के गांधी मैदान में हुए नरेंद्र मोदी के भाषण की वीडियो रेकॉर्डिग लोगों को सुनायी जायेगी.
चुनाव रथ से गांव-पंचायतों में कॉर्नर मीटिंग भी होगी. कॉर्नर मीटिंग को पंचायत और मंडलों के भाजपा अध्यक्षों के अलावा कई चर्चित नेता भी संबोधित करेंगे. चुनाव रथ के संयोजक संजीव चौरसिया ने बताया कि चुनावी रथों का 10 मई तक विभिन्न क्षेत्रों में इस्तेमाल होगा.