फर्जीवाड़ा. 138 एटीएम कार्ड, 22 पासबुक व पांच लाख बरामद
पटना : लॉटरी और एटीएम फ्रॉड कर एक साल में चार करोड़ की ठगी करनेवाले दो जालसाजों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पकड़े गये जालसाजों में विजय कुमार (लखीसराय) व मनोज कुमार (जमुई) शामिल हैं. इनसे विभिन्न बैंकों के 138 एटीएम कार्ड, चार मोबाइल फोन, 22 बैंक पासबुक व पांच लाख रुपये बरामद हुए हैं.
पुलिस जब इनके बैंक पासबुक का डिटेल खंगाली तो चौंक गयी. इस गिरोह ने एक साल में चार करोड़ रुपये लोगों से ठग कर एकाउंट में डलवाये थे और निकाल लिये थे. पुलिस ने कुछ दिनों पहले अनुराग कुमार (मनिहारी, शेखपुरा) व प्रिंस उर्फ राजकुमार (गनसारा, सरायरंजन, समस्तीपुर) को गिरफ्तार किया था. इन लोगों से भी कई एटीएम व ढाई लाख नकद बरामद किये गये थे. इसी गिरोह के सदस्यों को पुलिस ने रिमांड पर लिया था. इसके बाद इन दोनों को पकड़ने में सफलता मिली. पुलिस के समक्ष इन दोनों ने बताया कि ये केवल पैसा निकालते हैं. सारा काम नवादा के वारसलिगंज निवासी दर्शन सिंह का है. दर्शन ही अखबारों में चेहरा पहचानों इनाम जीतो का विज्ञापन देकर लोगों से लॉटरी जीतने का लालच देकर पैसा ऐंठता था.
साथ ही बैंक एकाउंट बंद होने की जानकारी देकर दर्शन ही पिन कोड जान कर पैसा का निकासी कर लेता था. फर्जी आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज पर एकाउंट खुलवाता था और बैंक से उसका एटीएम भी ले लेता था. अगर किसी ने उसके बताये गये एकाउंट में पैसे डाले तो फिर वह तुरंत ही एटीएम से पैसा निकाल लेता था. इन लोगों के पास से जो पासबुक बरामद किये गये हैं, उसमें कई पासबुक दिल्ली, मुंबई, पुणे के बैंकों के हैं. लॉटरी के नाम पर ठगी का मामला बहादुरपुर थाना में दर्ज हुआ था. इसी मामले में पुलिस को सफलता मिली है.
ऐसे करते थे जालसाजी
यह गिरोह लॉटरी का झांसा देता था और लोगों से ठगी करता था. किसी को भी फोन कर गिरोह के सदस्य उन्हें यह जानकारी देते थे कि आपके मोबाइल नंबर की लॉटरी लगी है और आप विजेता घोषित हुए हैं. इनाम के रूप में दस-पंद्रह लाख की कार या फिर दस लाख नकद रुपये देने का प्रलोभन दिया जाता था. साथ ही लॉटरी जीतने का मैसेज भी भेजते थे.
उनके जाल में जो भी फंस जाते थे तो फिर उनसे रजिस्ट्रेशन व अन्य प्रक्रिया को पूरी करने के नाम पर कभी पांच हजार तो कभी सात हजार अपने एकाउंट में जमा करवा लेते थे. जब तक लोगों को ठगी का अहसास होता, तब तक उनसे वे लोग 40-50 हजार रुपये ऐंठ चुके होते थे. शिकायत करने के बावजूद पुलिस उन्हें नहीं पकड़ पाती थी. क्योंकि तुरंत ही वे अपना एकाउंट बंद कर देते थे और मोबाइल का सीम भी बंद कर देते थे. कभी-कभी सीम बंद नहीं भी करते थे, क्योंकि वह किसी दूसरे के नाम पर लिया गया होता था.
यह गिरोह एटीएम के इर्द-गिर्द भी सक्रिय रहता था और छिप कर पैसा निकालने के क्रम में किसी का भी एटीएम का पिन कोड जान लेता था और फिर पैसे निकाल लेता था. इसके अलावा उक्त पिन कोड के माध्यम से मार्केटिंग तक ऑनलाइन कर लेते थे. इतना ही नहीं मदद करने के नाम पर एटीएम कार्ड बदलने व पिन कोड जानने के बाद भी पैसे की निकासी करते थे.
बैंक अधिकारी बन कर इस गिरोह के जालसाज एटीएम ब्लॉक होने का झांसा देकर एटीएम का पिन कोड जान लेते थे और फिर उसके पैसे को अपने एकाउंट में ट्रांसफर कर लेते थे. कई तरीकों से जालसाजी कर इन लोगों ने करोड़ों रुपये कमाये.
कई राज्यों से जुड़े हैं गिरोह के तार
इस गिरोह के तार कई राज्यों से जुड़े हैं. इन लोगों के बैंक एकाउंट को जब खंगाला गया तो यह जानकारी मिली है कि एक साल के अंदर चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है. एटीएम कार्ड इन लोगों ने फर्जी पैन कार्ड, आधार कार्ड व वोटर कार्ड के माध्यम से बैंकों में खाता खुलवा कर ले लिया था. गिरोह में कई लोग शामिल हैं. आवश्यकता पड़ने पर पकड़े गये इन दोनों को रिमांड पर लिया जायेगा.
मनु महाराज, एसएसपी, पटना