पटना/नयी दिल्ली: राजद में टिकट बंटवारे को लेकर शुरू हुआ बवाल थमता नहीं दिख रहा. पाटलिपुत्र सीट से लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती को टिकट देने से नाराज चल रहे पार्टी के प्रधान महासचिव रामकृपाल यादव ने राजद के लिए नयी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.
रामकृपाल ने शुक्रवार की देर रात कहा कि मैं राजद में बने रहने को तैयार हूं. बशर्ते मीसा भारती की बातों के अनुसार पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद मुङो पाटलिपुत्र से उम्मीदवार बनाने की घोषणा करें. लेकिन, लालू प्रसाद ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि रेस के बीच में घोड़े बदले नहीं जाते.
मीसा भारती को जब यह मालूम हुआ कि रामकृपाल यादव दिल्ली में हैं, तो वह दिन के 11 बजे उनके घर मिलने पहुंचीं. करीब पांच घंटे तक वहां मीसा के इंतजार करने के बावजूद रामकृपाल उनसे नहीं मिले. मीसा ने प्रभात खबर को बताया कि जब मैं रामकृपाल यादव के आवास पर पहुंचीं, तो वह अपने घर पर ही थे. लेकिन, मेरे आने की सूचना पर वह पिछले दरवाजे से निकल गये. पांच घंटे तक इंतजार करती रही. अंत में जब मुलाकात नहीं हुई, तो मैं शाम में इस उम्मीद से लौट आयी कि रामकृपाल मुझसे बात करेंगे. इस दौरान उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि रामकृपाल उनके पिता तुल्य हैं. यदि वह कहें, तो मैं पाटलिपुत्र से उम्मीदवारी वापस ले सकती हूं. देर शाम रामकृपाल यादव मीडिया के समक्ष आये और उन्होंने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की शर्त लगा दी.
इधर, देर रात चुनाव प्रचार से लौटे राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कहा कि रेस के बीच में घोड़े बदले नहीं जाते. यदि रामकृपाल को कुछ कहना है, तो वह मुझसे आकर कहे. मेरी बेटी गयी थी उसके घर, उसने मुलाकात तक नहीं की और उसकी बातों को लेकर मीडिया में बयानबाजी कर रहे हैं. लालू ने कहा कि पार्टी ने मुङो उम्मीदवार तय करने के लिए अधिकृत किया था. मैंने ठोक बजा कर उम्मीदवार दिया है.
इससे पहले मीसा ने कहा कि मेरा चुनाव लड़ना मायने नहीं रखता. रामकृपाल जी मेरे चाचा हैं. उनसे घरेलू संबंध है. पाटलिपुत्र सीट पर अगर वह चुनाव लड़ने पर सहमत हो जाते हैं, तो वह उनके लिए प्रचार करने को भी तैयार है.
सुबह दिल्ली पहुंचे रामकृपाल ने नपे-तुले शब्दों में कहा कि उनको नेतृत्व से तकलीफ है, वे दु:खी भी हैं. पार्टी की क्या हालत है, यह पार्टी के कार्यकर्ता भलीभांति जानते हैं, मैं क्या बताऊं. राजद के लिए संतोष की बात यह रही कि रामकृपाल ने अपने इस्तीफे की खबर को खारिज किया है. बातचीत में उन्होंने कहा कि अभी इस्तीफा नहीं दिया है. उनकी बात किसी राजनीतिक दल से भी नहीं हुई है. नयी पार्टी में जाने को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इस पर अभी वे कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
दूसरी ओर रामकृपाल की राह पर चलने वाले नेताओं की संख्या बढती ही जा रही है. पूर्व विधायक शिवचंद्र राम ने नेतृत्व के खिलाफ मोरचा खोलते हुए कहा कि उनकी अनदेखी की गयी है. उनकी दावेदारी के बावजूद हाजीपुर सुरक्षित सीट कांग्रेस की झोली में डाल दिया गया. शिवचंद्र राम महुआ विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे. 2010 में लोजपा से तालमेल के नाम पर राजद ने उनका टिकट काट दिया था. इस बार शिवचंद्र राम को उम्मीद थी कि पार्टी हाजीपुर संसदीय सीट से उन्हें उम्मीदवार बनायेगी. पाटलिपुत्र से उम्मीदवारी को लेकर विधायक रामानंद यादव ने भी नाराजगी के संकेत दिये हैं. रामानंद ने कहा कि वह निर्दलीय चुनाव जीतते आये हैं लेकिन हमेशा पार्टी नेता लालू प्रसाद का सम्मान किया है. लेकिन इस बार जनता का दवाब है. जानकारी के मुताबिक रामानंद एक से दो दिनों में कोई निर्णय ले सकते हैं.
छपरा में चुनाव प्रचार के दौरान लालू प्रसाद ने दल के भीतर उपजे विवाद को सिरे से खारिज कर दिया है. रामकृपाल की नाराजगी को लेकर पूछे गये सवाल पर लालू ने कहा कि उसने लोकसभा चुनाव लड़ने की कभी इच्छा जाहिर नहीं की थी. कुछ लोग उनको बहका रहे हैं. वह पार्टी का प्रधान महासचिव था. असली लड़ाई पार्टी के अंदर न होकर सांप्रदायिक ताकतों से है. हम सांप्रदायिक ताकतों को नेस्तनाबूद करेंगे. रामकृपाल समझदार नेता हैं ऐसा कर वे अपना कैरियर खराब नहीं करेंगे.
पूर्व मुख्यमंत्री और छपरा से पार्टी की उम्मीदवार राबड़ी देवी ने कहा कि रामकृपाल यादव पार्टी में हैं. राजद की लड़ाई में वे साथ हैं. उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ा है.
मीसा नहीं, पर रामकृपाल भी क्यों?
मीसा को टिकट देने का विरोध परिवारवाद और जमीन से उनके जुड़े नहीं होने के कारण हो रहा है. इसे कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर पैराशूट इंट्री कहा जा रहा है. इसका सबसे ज्यादा विरोध करनेवाले रामकृपाल खुद भी कार्यकर्ता का ही हक मार रहे हैं. वह राजद से राज्यसभा के सदस्य हैं और उनका अभी 28 माह का कार्यकाल बाकी है. ऐसे में वह लोकसभा सीट भी रखना चाहते हैं. लोकसभा सीट जीतने पर राज्यसभा छोड़नी होगी. इससे पार्टी को नुकसान होगा. एक को दोनों सदनों में मौका देना क्या उचित होगा? कार्यकर्ताओं में इसकी भी चर्चा है.