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तालाब और जलाशयों में डाले गये 410 करोड़ मत्स्य जीरा

रांची; राज्य के तालाबों, आहर-पोखरों के साथ-साथ जलाशयों में पहली बार 410 करोड़ मत्स्य जीरा डाला गया है. यह आंकड़ा निजी व सरकारी क्षेत्रों की है. चालू वित्तीय वर्ष के अक्तूबर माह तक 74,000 मिट्रिक टन मछली का उत्पादन किया जा चुका है. निर्धारित 1.40 लाख मिट्रिक टन मछली उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने […]

रांची; राज्य के तालाबों, आहर-पोखरों के साथ-साथ जलाशयों में पहली बार 410 करोड़ मत्स्य जीरा डाला गया है. यह आंकड़ा निजी व सरकारी क्षेत्रों की है. चालू वित्तीय वर्ष के अक्तूबर माह तक 74,000 मिट्रिक टन मछली का उत्पादन किया जा चुका है. निर्धारित 1.40 लाख मिट्रिक टन मछली उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार प्रयासरत है.


इस कार्य में 1.08 लाख मछलीपालक लगे हुए हैं. सरकार की अोर से उनका जीवन बीमा भी कराया गया है. इनके परिवार का जीविकोपार्जन मछली उत्पादन व बिक्री से होता है. बताया गया कि मछली उत्पादन के क्षेत्र में राज्य आत्मनिर्भर बनने की दिशा में लगातार अग्रसर है. राज्य में मछली उत्पादन बढ़ने के कारण आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों की मछलियों की खपत भी कम होती जा रही है.
राज्य में 1,20,496 सरकारी व निजी तालाब हैं : राज्य में 58,415 हेक्टेयर क्षत्रेफल में 1,20,496 सरकारी व निजी तालाब हैं. वहीं 1.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में 258 जलाशयों में सामुदायिक स्तर पर (मत्स्यजीवी सहयोग समिति) मछलीपालन किया जा रहा है. राज्य में 237 जलाशय को-अॉपरेटिव साेसाइटी काम कर रही हैं. चुनिंदा जलाशयों व तालाबों में केज कल्चर विधि से भी हजारों मिट्रिक टन मछली का उत्पादन किया जा रहा है.

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