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संसद के बाहर वर्चस्व रखने वाले दल भी फेडरल ब्लाक में शामिल हो सकते हैं: नीतीश

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि संसद के भीतर बनने वाले गैर कांग्रेस एवं गैर भाजपा फेडरल ब्लाक में ग्यारह दल शामिल हैं, लेकिन वैसे दल भी जो संसद में प्रभुत्व नहीं रखते हैं और उनका संसद के बाहर वर्चस्व है इस ब्लाक में शामिल हो सकते हैं. दिल्ली से […]

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि संसद के भीतर बनने वाले गैर कांग्रेस एवं गैर भाजपा फेडरल ब्लाक में ग्यारह दल शामिल हैं, लेकिन वैसे दल भी जो संसद में प्रभुत्व नहीं रखते हैं और उनका संसद के बाहर वर्चस्व है इस ब्लाक में शामिल हो सकते हैं.

दिल्ली से पटना पहुंचे नीतीश से संसद के भीतर बनने वाले गैर कांग्रेस और गैर भाजपा फेडरल ब्लाक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि संसद के अंदर फेडरल ब्लाक के गठन के लिए गैर कांग्रेस एवं गैर भाजपा 11 दलों के बीच बातचीत हुई है. संसद के अंदर एक साथ काम करने का निर्णय हुआ है. उन्होंने कहा कि संसद सत्र के बाद संसद के बाहर एक मोर्चा बने इसको लेकर एक औपचारिक बैठक होगी.

नीतीश ने कहा कि वैसे दल भी जो संसद में प्रभुत्व नहीं रखते हैं लेकिन संसद के बाहर उनका वर्चस्व है इस ब्लाक में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि जनता दल सेक्युलर के अध्यक्ष एवं पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौडा के निवास पर इस ब्लाक को लेकर आज एक बैठक हुयी थी. बैठक में माकपा के महासचिव प्रकाश करात भाकपा के वरिष्ठ नेता एवी वर्धन एवं फारवर्ड ब्लाक के प्रमुख देवव्रत विश्वास मौजूद थे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी गैर भाजपा एवं गैर कांग्रेस मोर्चा के गठन पर बातचीत हो रही है. मुख्य रुप से इसके लिए पहल वाम मोर्चा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस ब्‍लॉक का नामांकरण देश के फेडरल स्वरुप के अनुरुप हो सकता है और इसके बारे में सबके सहमति से निर्णय लिया जायेगा. नीतीश ने कहा कि गैर भाजपा एवं गैर कांग्रेस दलों का यह प्रयास सफल होगा और कोई न कोई निष्कर्ष अवश्य निकलेगा.

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की पार्टी संसद में गैर भाजपा एवं गैर कांग्रेस ब्लाक के साथ हैं. नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री उम्मीदवार के बारे में कोई निर्णय नहीं हुआ है. अभी व्यापक मुद्दे संघीय एवं धर्मनिरपेक्षता को लेकर व्यापक एवं ठोस सहमति बनेगी और एक मोर्चा का गठन होगा.

इस ब्लाक के सफल होने के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि अभी गैर भाजपा एवं गैर कांग्रेस ब्लाक के सफल और असफल होने का प्रश्न कहां है. राजग में पहले 24 दल थे अब तीन दल रह गये हैं. संप्रग में 14 दल थे अब दो या तीन दल रह गये हैं.

उन्होंने कहा कि सफलता और असफलता की बात साक्षेप है. पूरी संभावना है कि यह सबसे व्यापक और सबसे बडा मोर्चा बनेगा. नीतीश ने कहा कि हम लोग राजग के साथ थे. हमलोगों का प्रश्न था कि विवादित मुद्दे नहीं उठाये जायें. भाजपा ने विवादित मुद्दे और विवादित व्यक्ति (नरेंद्र मोदी) को आगे लाया इसलिए अलग हो गये.

उन्होंने भाजपा की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब सांप्रदायिक कार्ड खेलने की पूरी संभावना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरा मोर्चा देश को विकल्प प्रदान करेगा. कांग्रेस और भाजपा से जनता का मोह भंग हो गया है जनता उनके खिलाफ हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा भावनात्मक बातें कर रही है. उसके पास सामाजिक आर्थिक एवं विदेश नीति क्या होगी इस संबंध में कोई नजरिया नहीं है.उन्होंने कहा कि कहा कि अभी गैर भाजपा और गैर कांग्रेस ब्लाक सामने आयी ही है. अभी फ्रंट भी नहीं बना है कि लोगों की परेशानी बढ गयी है.भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि इनका ट्रैक रिकार्ड समाज में सद्भाव को बिगाडने का है. हमेशा नीतियों के आधार पर बातचीत करते हैं.

उन्होंने कहा कि गुजरात में गरीबी की संख्या नहीं घटी. गुजरात में गरीबी के लिये बिहार बंगाल एवं उत्तर प्रदेश के लोगों को दोष दिया जा रहा है. महाराष्ट्र की तरह गुजरात में भी बिहार विरोध का स्वर उभरने लगा है. अगर बिहार के लोग गुजरात नहीं जायेंगे तो वहां हीरा कौन तराशेगा एवं नमक कौन बनायेगा. एक जगह से दूसरे जगह जाकर रोजी रोटी प्राप्त करना संवैधानिक अधिकार है.

उन्होंने कहा कि भाडा समानीकरण की नीति के तहत बिहार का जो सारा सामान बाहर चला गया और कई राज्य सम्पन्न हो गये ्र क्या बिहार का सामान लौटकर आयेगा.

राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता अरुण जेटली के उस कथन कि भाजपा से नाता तोडने वाले जदयू को लोकसभा चुनाव के बाद अपने किए पर पछतावा होगा के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि चुनाव के बाद पता चलेगा कि कौन ‘लूजर’ है और कौन ‘गेन’ करने वाला है. उन्होंने कहा कि अरुण जेटली से उनका पुराना और अच्छा संबंध है. हम अपने स्तर से संबंध का निर्वाह करते हैं.

बिहार में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की शाखा के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उसके लिए जमीन उपलब्ध करायी जाएगी. शिक्षा मंत्री पी के शाही ने बीएचयू एवं केंद्र सरकार को लिखा है.

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