पटना: कमाई और संपत्ति का हिसाब बताने में सरकार से ही सच नहीं बोल रहे हैं सरकारी अधिकारी. आर्थिक अपराध यूनिट (इओयू) के नेट में आये 23 अफसरों ने ऐसा ही किया है.
शासन में पारदर्शिता लाने के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने तीन वर्षो से सरकारी अफसरों व कर्मचारियों की संपत्ति को सार्वजनिक करने का निर्देश दे रखा है. लोकसेवकों द्वारा दायर शपथ पत्र की समीक्षा में भी कई अफसर पकड़े जा रहे हैं. इओयू के नेट में आये सरकारी अफसरों की घोषित संपत्ति लाखों में है, तो अघोषित करोड़ों में. इसका साफ अर्थ है कि ऐसे अफसर सरकार को भी झांसे में रख रहे हैं. यह लिखंत-पढं़त से ज्यादा नैतिक सवाल है. सभी आरोपितों के शपथ पत्र और वास्तविकता के बीच बड़ा अंतर है.
आरोपित यह दावा करते हैं कि बरामद संपत्ति उनके नाम पर नहीं है. इसलिए शपथ पत्र में उन संपत्तियों का ब्योरा नहीं दे सकते. मगर इओयू का कहना है कि वस्तुत: आरोपितों ने भ्रष्ट तरीके से धन अजिर्त कर उसे संबंधियों के नाम पर ले लिया. अब जांच एजेंसी को यह साबित करना है कि बरामद संपत्ति आरोपितों की ही है.