पटना: वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए विधानमंडल से इस बार पूर्ण बजट पारित नहीं होगा. इसके बदले चार माह के लिए लेखानुदान पारित कराने की तैयारी में वित्त विभाग जुट गया है. इसके पीछे अप्रैल-मई में होनेवाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में प्रशासनिक व्यस्तता बताया जा रहा है. हालांकि, सरकार की ओर से पूरे वित्तीय वर्ष के लिए योजना आकार तय करने की भी तैयारी शुरू हो गयी है.
इसके आंतरिक संसाधन से कितनी उगाही हो पायेगी, इसके लिए विकास आयुक्त दो जनवरी को विभागीय प्रमुखों के साथ बैठक करेंगे, जबकि योजना आयोग के साथ अधिकारी स्तर की बैठक 15 जनवरी को होगी.
केंद्रीय करों में हिस्सेदारी पर है निर्भर : वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए 98 हजार करोड़ का बजट विधानमंडल से पारित हुआ था, जो दो बार अनुपूरक बजट पारित होने के बाद अब एक लाख करोड़ से अधिक का हो चुका है.
इसमें 34 हजार करोड़ रुपये का योजना आकार था, जो बढ़ कर 43273 करोड़ रुपये का हो गया है. अधिकारियों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2014-15 में 45 हजार करोड़ से अधिक के योजना आकार निर्धारित कराने की तैयारी है. हालांकि, यह केंद्रीय करों में हिस्सेदारी पर निर्भर करता है कि योजना आकार में कितनी राशि की बढ़ोतरी होती है. बिहार को आंतरिक स्नेत से 24380.78 करोड़ रुपये राजस्व संग्रह का लक्ष्य है. इसके विरुद्ध 27 दिसंबर 2013 तक 12697.20 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह हो चुका है. केंद्रीय करों में हिस्सेदारी अपेक्षा के अनुरूप नहीं मिल पा रहा है और ना ही केंद्रीय योजनाओं में हिस्सेदारी ही तय फॉर्मूला के अनुरूप मिल रहा है.