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कांग्रेस के साथ होने तक राजद के साथ कोई समझौता नहीं:माले

पटना : भाकपा माले ने बिहार की 40 सीटों में से 20 पर लडने तथा बाकी सीटें अन्य वामदलों के लिए छोडने का निर्णय लेते हुए आज स्पष्ट कर दिया कि इन दलों के कांग्रेस के साथ होने तक उसका राजद एवं लोजपा के साथ समझौता नहीं हो सकता. पटना में आज संपन्न भाकपा माले […]

पटना : भाकपा माले ने बिहार की 40 सीटों में से 20 पर लडने तथा बाकी सीटें अन्य वामदलों के लिए छोडने का निर्णय लेते हुए आज स्पष्ट कर दिया कि इन दलों के कांग्रेस के साथ होने तक उसका राजद एवं लोजपा के साथ समझौता नहीं हो सकता. पटना में आज संपन्न भाकपा माले की दो दिवसीय राज्य स्थायी समिति बैठक में लिए गए इस आशय के निर्णय से अवगत कराते हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने स्पष्ट किया कि राजद एवं लोजपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन होने पर उनका राजद एवं लोजपा के साथ समझौता नहीं हो सकता.

उन्होंने कहा कि हमने राजद और लोजपा के साथ कोई गठबंधन की बात नहीं कही थी. कुछ लोग जो कि ऐसे गठबंधन की बात कर रहे हैं उनकी भावना को वे समझते हैं. इसमें सबसे बडी राजनीतिक दिक्कत इन दोनों दलों की राजनीति कांग्रेस के साथ जुडी हुई है और हमारा यह मानना है कि आज देश में जो हालात और संकट हैं उसके लिए केंद्र में सत्तासीन कांग्रेस जिम्मेदार है.दीपांकर ने कहा कि राजद का यह मानना कि भाजपा के नरेंद्र मोदी या अन्य सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला कांग्रेस के साथ मिलकर ही किया जा सकता है. उस दल के कुशासन, घोटाला, सांप्रदायिकता की नीति ही आज भाजपा के ताकत के स्नेत हैं. उन्होंने कहा कि राजद के साथ उनकी किसी प्रकार के गठबंधन को लेकर उनकी बातचीत न तो राष्ट्रीय स्तर पर और न ही बिहार स्तर पर अब तक हुई है.

दीपांकर ने कहा कि कांग्रेस के साथ राजद के गठबंधन नहीं होने पर राजद द्वारा पहल किए जाने पर क्या भाकपा माले उसके साथ गठबंधन करेगी दीपांकर ने कहा कि कांग्रेस परस्ती को छोडकर अगर वह दल एक नये रास्ते पर चलती है और उनकी सोच में बदलाव आता है तो निश्चित तौर पर बात हो सकती है. भट्टाचार्य ने कहा कि नीतीश सरकार से प्रदेश की जनता नाराज है. इसलिए उसके साथ उनके दल का कोई समझौता नहीं हो सकता, क्योंकि भाजपा का साथ छोडने के बाद भी उसके साथ सत्ता में रहते हुए भंग किए गए अमीरदास आयोग को फिर से बहाल, भूमि सुधार आयोग और समान शिक्षा आयोग की रिपोर्ट को क्यों नहीं लागू किया.

उन्होंने कहा कि भाकपा और माकपा से उनकी बातचीत चल रही है उनकी पार्टी ने बिहार की 20 सीटों पर लोकसभा चुनाव लडने के अपने फैसले से भाकपा और माकपा को अवगत करा दिया है. दीपांकर ने कहा कि उनकी पार्टी ने बिहार की जिन 20 सीटों पर वर्ष 2014 के दौरान लोकसभा चुनाव लडने का मन बनाया है उनमें आरा, काराकाट, जहानाबाद, पाटलिपुत्र, सीवान, कटिहार, नालंदा, बक्सर, दरभंगा, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, वाल्मिकिनगर, झंझारपुर, गया, सासाराम, उजियारपुर, जमुई, पूर्णिया, अररिया और गोपालगंज शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि भाकपा माले अन्य दोनों वामदलों भाकपा और माकपा के साथ संपूर्ण तालमेल के साथ अगला लोकसभा चुनाव लडना चाहती है. लेकिन माले द्वारा जिन सीटों पर चुनाव लडने का निर्णय लिया है उनमें उन दलों द्वारा लडे जानी वाली सीटों के नाम शामिल नहीं है. दीपांकर ने कहा कि भाकपा माले की इस सूची में शामिल सीटों में से किसी पर भी अगर ये दोनों वामदल चुनाव लडना चाहते हैं तो उसको लेकर उनसे बात की जाएगी.उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान पटना साहिब संसदीय सीट पर साझा उम्मीदवारी का प्रस्ताव लाया है और वे चाहेंगे कि इसको लेकर वाम दलों के बीच आम सहमति बने.

भट्टाचार्य ने कहा कि लोकसभा चुनाव की तैयारी के क्रम में 10 जनवरी से 25 जनवरी तक पूरे राज्य में जिला एवं विधानसभा स्तर तक जनसंवाद यात्र तथा फरवरी महीने में 15 जिलों में जनदावेदारी रैली का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के सर्मथन से सरकार बनाने का जो फैसला लिया है उसका वे स्वागत करते हैं और वे उम्मीद करते हैं कि जनता से वादा किया है उस पर वह अमल करेगी.भट्टाचार्य ने कहा कि इस दंगे के लिए जिम्मेदार दंगाईयों की गिरफ्तारी और दंगा पीडितों के राहत व पुनर्वास के लिए राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद के तहत आगामी दो जनवरी को उनकी पार्टी प्रतिवाद दिवस के रुप में मनाएगी. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर के पीडितों के लिए पार्टी ने राहत अभियान चलाने का भी निर्णय लिया है और 28 दिसंबर को भाकपा माले की एक राष्ट्रीय टीम मुजफ्फरनगर के राहत शिविरों का दौरा करेगी.

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