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खून नहीं मिलने पर घायल युवक ने दम तोड़ा

सीवान . कहा जाता है कि अस्पताल व उसमें ड्यूटी करने वाले चिकित्सक को भगवान का दर्जा प्राप्त है. लेकिन इससे इतर हो रहा है. क्योंकि अस्पताल धन उगाही का जरिया बन गया और चिकित्सक अपने फर्ज को भूल को कोरम की पूर्ति कर रहे हैं. जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण एक दिन पहले मार्ग दुर्घटना में […]

सीवान . कहा जाता है कि अस्पताल व उसमें ड्यूटी करने वाले चिकित्सक को भगवान का दर्जा प्राप्त है. लेकिन इससे इतर हो रहा है. क्योंकि अस्पताल धन उगाही का जरिया बन गया और चिकित्सक अपने फर्ज को भूल को कोरम की पूर्ति कर रहे हैं. जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण एक दिन पहले मार्ग दुर्घटना में घायल तरवारा निवासी एक युवक बना, जो गंभीर रूप से घायल था. चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार करते हुए खून व कुछ दवाओं की डिमांड उसके साथ आये लोगों से कर दी. इसके बाद घायल युवक के लिए खून की व्यवस्था के लिए ग्रामीण भटकते रहे. लेकिन अस्पताल से उन्हें खून नहीं मिला. वह कई बार अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाये कि घायल युवक के साथ बूढ़ी मां के सिवा कोई नहीं है. आपकों उसके बदले खून दे दिया जायेगा. लेकिन अस्पताल प्रशासन को उन पर रहम नहीं आया. इधर खून नहीं मिलने से युवक की मौत हो गयी. बता दें कि जीबीनगर थाना क्षेत्र के तरवारा बाजार निवासी अनिल तिवारी के पिता की मौत तीन वर्ष पूर्व हो गयी थी. उसके साथ उसकी मां रहती थी. वह राज मिस्त्री के साथ रह कर मजदूरी का कार्य करता था. बुधवार को शहर में काम पर जाने के लिए वह घर से चला. और बसंतपुर की ओर से आ रही एक बस को रुकवाया. चढ़ने के क्रम में बस चल दी,इससे वह पहिये के नीचे आ गया.और घायल हो गया. घायलावस्था में आसपास के लोग उसे सदर अस्पताल लाये. जहां उसका प्राथमिक उपचार कर चिकित्सक ने उसके साथ आये ग्रामीणों से शीघ्र दो यूनिट खून लाने की बात कही. घायल अनिल को लेकर अस्पताल पहुंचे ग्रामीण खून लेने के सीएस के पास पहुंचे. लेकिन सीएस मौजूद नहीं थे. उन्होंने दूरभाष पर उनसे बात की. इसके बाद उन्होंने ग्रामीणों से अस्पताल उपाधीक्षक डॉ एमके आलम से मिलने की बात कही. उन्होंने ग्रामीणों को रेडक्रॉस सोसाइटी के सचिव डॉ अनिल कुमार सिंह के पास भेजा, लेकिन उन्होंने भी खून देने से इनकार कर दिया. इधर खून के अभाव में तड़प-तड़प पर घायल अनिल की जान चली गयी.
रेडक्रॉस सचिव मांग रहे थे खून के बदले खून
ग्रामीण जब रेडक्रॉस के सचिव के पास पहुंचे तो उन्होंने पहले तो खून देने से इनकार कर दिया. जब ग्रामीणों ने बताया कि उक्त युवक की सिर्फ बूढ़ी मां है और उसका कोई नहीं, इस पर डॉ सिंह ने कहा कि खून के बदले खून दे दीजिए और फिर ले जाइये. ग्रामीण बार-बार उनसे यह गुहार लगाते रहे कि पहले खून दे दीजिए, जैसे ही उसकी हालत में सुधार हो जायेगा तो आपकों हमलोगों में कोई दो आदमी उतनी यूनिट खून दे देगा. लेकिन डॉ सिंह नहीं माने. और खून नहीं दिया.
12 घंटे तक पड़ा रहा शव
खून के अभाव में मृत युवक का शव करीब 12 घंटे तक इमरजेंसी में पड़ा रहा है. इससे आक्रोशित ग्रामीण दोषी चिकित्सक सहित रेडक्रॉस के सचिव के विरुद्ध कार्रवाई की मांग रहे थे, लेकिन उनकी वहां सुनने वाला कोई नहीं था. रात के नौ बजे युवक की मौत हुई थी. लेकिन सुबह नौ बजे तक इमरजेंसी में युवक का शव पड़ा रहा. उसके साथ आये ग्रामीण संत कुमार तिवारी, रामेश्वर तिवारी, हरेंद्र तिवारी, रमेश चंद ठाकुर, आरसी ठाकुर आदि लोगों का कहना था कि अगर समय रहते खून मिल गया होता तो अनिल की मौत नहीं होती. उसकी मौत का जिम्मेदार अस्पताल प्रशासन है और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग हम लोग करेंगे.

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