भागलपुर: एफिलिएटेड कॉलेजों में नियम के विरुद्ध नियुक्ति पाकर कार्यरत शिक्षकों को कॉलेज से बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी राज्य सरकार ने कर ली है. ऐसे शिक्षकों को हटाने का तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय को भी सरकार ने निर्देश दिया है.
यह बातें शुक्रवार को अपने कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कुलसचिव डॉ ताहिर हुसैन वारसी ने कही.उन्होंने कहा कि एफिलिएटेड कॉलेजों में अब वैसे ही शिक्षक कार्यरत रह पायेंगे, जिन्हें विज्ञापन प्रकाशन के बाद शासी निकाय ने स्वीकृत पदों के विरुद्ध नियुक्त किया हो. नियमानुकूल नियुक्ति पानेवाले शिक्षकों को ही अब सरकार अनुदान देगी. शेष शिक्षकों को कॉलेज से हटा दिया जायेगा.
डॉ वारसी ने कहा कि सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि ऐसे शिक्षकों के अनुदान पर रोक लगे. उनकी सेवा समाप्त कर रिक्त पदों पर विधिवत नियुक्ति करायी जाये. इसके लिए नियमित प्रबंध समिति का गठन सुनिश्चित करने को कहा गया है. शासी निकाय के गठन में एसडीओ रैंक के अधिकारी सचिव होंगे. डॉ वारसी ने कहा कि राज्य सरकार मान्यताप्राप्त कॉलेजों को अनुदान देती है, लेकिन इसका उपयोगिता प्रमाणपत्र राज्य सरकार को कॉलेज भेजता नहीं है.
सरकार ने निर्देश दिया है कि ऐसे कॉलेजों से उपयोगिता प्रमाणपत्र अविलंब उपलब्ध कराया जाये. कॉलेज को यह लिख कर देना है कि वे धारा 56 से 60 तक अनुपालन कर रहे हैं. डॉ वारसी ने बताया कि अब अंगीभूत व मान्यताप्राप्त कॉलेजों को फंड तभी मिलेगा, जब वह नैक से मान्यता प्राप्त कर लेगा. ऐसे में सभी मान्यताप्राप्त कॉलेजों को नैक से एक्रिडिटेशन कराना अनिवार्य हो गया है. इसके बाद ही यूजीसी से भी वह फंड पा सकता है.