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अफसरों की सुस्ती से 75 करोड़ का नुकसान

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ड्रीम प्रोजेक्ट पुलिस मुख्यालय के नये भवन का मामला एक वर्ष की लंबी प्रक्रिया के बाद एक कदम और आगे बढ़ा है. शुरुआत में इस पर 206 करोड़ खर्च होने का आकलन किया गया था, लेकिन अधिकारियों की लेटलतीफी के कारण इसकी लागत अब 281.24 करोड़ रुपये हो गयी है. […]

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ड्रीम प्रोजेक्ट पुलिस मुख्यालय के नये भवन का मामला एक वर्ष की लंबी प्रक्रिया के बाद एक कदम और आगे बढ़ा है. शुरुआत में इस पर 206 करोड़ खर्च होने का आकलन किया गया था, लेकिन अधिकारियों की लेटलतीफी के कारण इसकी लागत अब 281.24 करोड़ रुपये हो गयी है. समय पर निर्णय लिया जाता, तो जनता की गाढ़ी कमाई के 75 करोड़ रुपये बचते और उसका उपयोग विधि व्यवस्था, ट्रैफिक सिस्टम में सुधार और नागरिक सुविधाओं में विस्तार पर किया जा सकता था. अब गृह विभाग इस प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने के प्रयास में जुट गया है. प्रस्ताव को योजना प्राधिकृत समिति को भेजा गया है. अगर समिति इस माह प्रस्ताव पर सहमति दे भी देगी, तो इस पर काम अगले वित्तीय वर्ष में ही शुरू हो पायेगा.

अगले वित्तीय वर्ष में ही शुरू होगा काम
बेली रोड पर बिहार पुलिस रेडियो बेतार भवन के इर्द-गिर्द के परिसर को मिला कर नया पुलिस मुख्यालय भवन बनना है. योजना है कि पुलिस मुख्यालय से संबंधित जितने भी कार्यालय हैं, उन्हें एक ही छत के नीचे लाया जायेगा. इसके अलावा भवन को अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया जाना है. सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरे भवन को बुलेट प्रूफ बनाया जाना है. नये भवन के डिजाइन को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सहमति दे दी है. अधिकारी बताते हैं कि योजना प्राधिकृत समिति नये प्रस्ताव पर सहमति दे भी देगी, तब भी इसकी शुरुआत अगले वित्तीय वर्ष में ही हो पायेगी. कारण सहमति के बाद कैबिनेट में प्रस्ताव को भेजा जायेगा. वहां से मंजूरी मिलने के बाद भी कार्य शुरू करने में कम-से-कम छह माह लग जायेंगे.

गत वर्ष मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा
21 अक्तूबर, 2012 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांधी मैदान थाना के नये भवन का उद्घाटन करते हुए बिहार पुलिस का नया मुख्यालय भवन बनाने की घोषणा की थी. भवन का निर्माण आइकोनिक डिजाइन से होना था. निर्माण की जिम्मेवारी बिहार राज्य पुलिस भवन निर्माण निगम को दी गयी थी. अधिकारियों के अनुसार, शुरुआती दौर में इसके निर्माण की लागत 206 करोड़ रुपये आंकी गयी थी, लेकिन वित्त विभाग व योजना विकास विभाग द्वारा समय पर निर्णय नहीं होने से योजना लेट हो गयी. परिणाम यह हुआ कि अब निर्माण सामग्री की कीमतों में वृद्धि होने से इसका लागत खर्च करीब 75 करोड़ रुपये बढ़ गया. यानी, इसकी लागत अब 281.24 करोड़ हो जायेगी.

अब देरी की, तो और बढ़ेगी लागत
अगर अब भी जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो लागत और बढ़नी तय है. मुख्य सचिव की अध्यक्षतावाली योजना प्राधिकृत समिति में प्रस्ताव को भेजा गया है. समिति की बैठक इस माह के अंत तक या अगले माह के प्रथम सप्ताह होने की बात कही जा रही है.

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