पटना: पिछले दो वर्षो से राज्य के 25 लाख से अधिक परिवारों को राशन कार्ड नहीं मिल सका है. इसको लेकर दो सवाल उठ रहे हैं. पहला यह कि ये राशन कार्ड फर्जी हैं. दूसरा, जिन परिवार के नाम पर राशन कार्ड बने हैं, उन परिवारों का पता नहीं है या राशन कार्ड ले नहीं रहे हैं.
एक ही परिवार के दो राशन कार्ड बनने का भी मामला सामने आ रहा है. 2009 के सर्वे के अनुसार राज्य में 2,45,21,270 परिवारों को राशन कार्ड उपलब्ध कराया जाना था. सितंबर के अंत तक 2,19,38,459 परिवारों को कार्ड मिल गया, जबकि शेष 25,82,711 परिवारों को राशन कार्ड नहीं मिल पाया है. पटना में सबसे अधिक 56,1596 परिवारों को राशन कार्ड नहीं मिला है. राज्य में 1,81,10,157 राशन कार्ड का डिजिटलाइजेशन हो चुका है. प्रखंड एवं जिला प्रशासन की जिम्मेवारी है कि सभी सर्वेक्षित परिवारों को राशन कार्ड उपलब्ध कराया जाये. बताया जाता है स्थानीय प्रशासन एवं आपूर्ति पदाधिकारियों की निष्क्रियता के कारण राशन कार्ड नहीं बंट रहे हैं.
सर्वे के आधार पर परिवारों का बनता है राशन कार्ड : ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण विकास विभाग एवं शहरी क्षेत्र में नगर विकास विभाग परिवारों का सर्वे कर सूची उपलब्ध कराता है.
इस सूची के आधार पर ही खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग बीटीबीसी द्वारा मुद्रित करा कर राशन कार्ड जिला प्रशासन को उपलब्ध कराता है. एपीएल परिवार को हरा, बीपीएल परिवार को लाल और अंत्योदय परिवार को पीला कार्ड दिया जाता है. प्रखंड स्तर पर बीडीओ और प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी और नगर निगम क्षेत्र में निगम आयुक्त द्वारा अधिकृत अधिकारी व आपूर्ति पदाधिकारी के हस्ताक्षर के राशन कार्ड उपलब्ध कराये जाते हैं.
उठ रहे सवाल
– पिछले दो वर्षो से क्यों नहीं बांटे जा सके हैं कार्ड
– खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग के अधिकारियों की लापरवाही तो नहीं
– फर्जी कार्ड बना कर राशन कालाबाजारी की मंशा तो नहीं
अधिकारियों के जवाब
– राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया में देर होती है
– लापरवाही नहीं है.
– राशन कार्ड के आधार पर फर्जीवाड़ा की आशंका नहीं है. पिछले तीन वर्षो से कूपन के आधार पर राशन दिया जाता है.