पटना: इंदौर से डॉ प्रियंका के साथ उनकी मासूम बेटी सूही, पिता प्रेमचंद्र पांडेय व माता गायत्री देवी का शव मंगलवार को जेट एयरवेज के विमान से दोपहर करीब 12:10 बजे पटना लाया गया. शव के पटना पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया. शव को लेकर प्रियंका के मौसा डॉ देव प्रकाश त्रिपाठी (कदमकुआं) व भाई पीयूष उर्फ सोनू पहुंचे थे. उनके साथ मामा अश्विनी भी थे. एयरपोर्ट पर पुलिस अधिकारी व रिश्तेदार गुप्तेश्वर पांडेय भी मौजूद थे. चारों के शव को एंबुलेंस से पटेल नगर के गोकुल पथ स्थित आवास पर लाया गया, जहां धार्मिक रीति-रिवाज से गुलबी घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.
रोहित के माता-पिता पर भी शक
डॉ देव प्रकाश त्रिपाठी ने घटना को अंजाम देने में रोहित के पिता गणोश प्रसाद द्विवेदी व माता पर भी सहयोग करने की आशंका जाहिर की है. उन्होंने कहा कि वे दोनों भी रात में इंदौर पहुंचे थे. लेकिन, होटल में कमरा लेकर रह रहे थे. घर में जगह नहीं थी, तो होटल में रुकने की बात समझ में आती है. पर, उनलोगों ने अगले दिन पुलिस को जानकारी दी कि उनका बेटा काफी परेशान है और वे बेटे का घर कहां पर है नहीं जानते हैं. एक सवाल के जवाब में बताया कि उनलोगों ने तुरंत ही सभी के शव को ले जाने की इजाजत दे दी.
पहले से तो नहीं थी योजना
घटना को अंजाम देने के लिए रोहित ने पहले से ही योजना बना रखी थी. वह सभी को मौत के घाट उतारने के बाद फरार होने की फिराक में था. श्री त्रिपाठी ने बताया कि रोहित एक बजे अपने क्लिनिक पहुंचा और वहां से सामान निकाल कर बगल में स्थानांतरित कर दिया.
केवल बच गये पीयूष व मनीष
इस घटना के बाद घर में केवल पीयूष व मनीष ही बचे हैं. पीयूष कोलकाता में हिंडॉल्को में इंजीनियर है और मनीष दिल्ली में रह कर प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करता है. मनीष की शादी दो साल पहले हुई थी. उस शादी में डॉ रोहित व प्रियंका भी पहुंचे थे.
शादी के लिए दिया था विज्ञापन
सूही के जन्म को लेकर डॉ प्रियंका ने मेटरनिटी लीव ले रखी थी, जो नौ सितंबर को समाप्त हो रही थी. छुट्टी की समाप्ति होने के कारण डॉ प्रियंका के पिता और माता चाहते थे कि अब वे लोग एक साथ रहें. इसी उद्देश्य को लेकर वे लोग इंदौर भी गये थे. डॉ प्रियंका महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थी.एक साल पहले ही प्रियंका को यह नौकरीमिली थी. उसने बीएचयू से गायनी में एमएसकिया था और उसी दौरान अखबार में विज्ञापन देख कर शादी हुई थी.
पढ़ने में थीं काफी तेज
डॉ प्रियंका बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थी. मैट्रिक से लेकर मेडिकल डिग्री हासिल करनेतक वह हमेशा प्रथम श्रेणी में रही. मेडिकल कॉलेज में अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद के लिएपांच हजार अभ्यर्थियों में प्रियंका ने दूसरा स्थान प्राप्त किया था.