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डंडा मार कर अपराधी बनाती है मां

पटना: कटिहार का कोढ़ा गैंग. इस गैंग ने कई राज्यों के शहरों की पुलिस को परेशान कर रखा है. इसका नेटवर्क दिल्ली, मुंबई, के रल व असम तक फैला है. बैग झपट कर भागने, गाड़ी की पिछली सीट से बैग लेकर भागने और अन्य तरह से लूट की घटनाओं को अंजाम देने में इस गैंग […]

पटना: कटिहार का कोढ़ा गैंग. इस गैंग ने कई राज्यों के शहरों की पुलिस को परेशान कर रखा है. इसका नेटवर्क दिल्ली, मुंबई, के रल व असम तक फैला है. बैग झपट कर भागने, गाड़ी की पिछली सीट से बैग लेकर भागने और अन्य तरह से लूट की घटनाओं को अंजाम देने में इस गैंग के अपराधी माहिर हैं. इस गैंग ने पटना में भी लगातार घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस की नींद हराम कर दी थी. इसके बाद पटना पुलिस की टीम जब कोढ़ा पहुंची, तो इस गिरोह के विषय में जो जानकारी मिली, वह चौंकानेवाली थी.

नहीं खोलते हैं जुबान
पुलिस टीम में शामिल सदस्यों के अनुसार, कोढ़ा गैंग मूल रूप से बंजारा ग्रुप है. ये लोग राजस्थान से कोढ़ा थाना क्षेत्र में 1968 में आकर बसे थे. बिहार में आने के बाद इन लोगों ने अपने नाम के पीछे जाधव लगाना शुरू कर दिया. हालांकि, यह ग्रुप कीचक जाति से संबंधित था. इनका काम ही अपराध करना है. बचपन से ही इनकी मां इन्हें अपराध के गूढ़ रहस्यों को समझाती हैं और इन्हें शारीरिक रूप से मजबूत करने के लिए शरीर पर डंडे से प्रहार किया जाता है. इसके साथ ही इन्हें शिक्षा दी जाती है कि वे पुलिस से पकड़े जाने के बाद न तो अपने ग्रुप के किसी सदस्यों की जानकारी दें और न ही चुराये गये धन के विषय में बतायें. खास बात यह है कि इन लोगों को पहचानना भी काफी मुश्किल होता है.

इन लोगों की शादी भी चुनिंदा जगहों पर ही होती है. इन लोगों के विषय में जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार सिलीगुड़ी में फट्टा पोखरटोला, छत्तीसगढ़ में पत्थरगढ़ व गोरखपुर में स्थित छोटे से गांव में इनकी शादी होती है. शादी के बाद ये अपनी ससुराल में आकर बस जाते हैं और पूर्वजों से मिली अपराध की विरासत को आगे बढ़ाने लगते है. जबकि सिलीगुड़ी, छत्तीसगढ़ व गोरखपुर के युवकों की शादी कटिहार के कोढ़ा थाने के जोराबगंज नयाटोला में होती है. नियम के अनुसार ये युवक कटिहार में आकर बस जाते हैं और अपराध की दुनिया में सक्रिय होकर अपने पुश्तैनी धंधे में लग जाते हैं.

रखते हैं अपना वकील
सबसे बड़ी बात तो यह है कि गिरोह बजाप्ता अपना वकील भी रखता है और इसके सदस्य फर्जी नाम और पते पर कई बार जमानत भी ले चुके हैं. पकड़े जाने के बाद इनका वकील सक्रिय हो जाता है और जमानत करवाने में लग जाता है. इसके लिए वकील को मुंहमांगी रकम इस गिरोह द्वारा दी जाती है. यह जानकारी भी पुलिस को हाथ लगी है. इस इलाके के एक दर्जन से अधिक गिरोह पटना में सक्रिय हैं. लेकिन, पुलिस इस गिरोह की जड़ तक नहीं पहुंच सकी है. इनकी पृष्ठभूमि ऐसी है कि इनके निश्चित स्थान की भी जानकारी पुलिस को नहीं हो रही है. इसका परिणाम यह है कि इस इलाके के मात्र दो गिरोह ही अब तक पुलिस के हत्थे चढ़े.

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