पटना: शिक्षा मंत्री पीके शाही ने कहा कि मशरक के धर्मासती गांव में 16 जुलाई को नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, गंडामन में मध्याह्न् भोजन में जहर मिलाने की साजिश रची गयी थी या लापरवाही थी, सरकार इसकी जांच करा रही है. प्रधान शिक्षिका के पति अर्जुन राय ने कीटनाशक की खरीद सिधवलिया चीनी मिल से की थी. 23 बच्चों की मौत से सभी मर्माहत हैं. वह मंगलवार को विधान परिषद में ‘धर्मासती नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में विषाक्त मध्याह्न् भोजन से हुई मौत एवं उससे उत्पन्न स्थिति’ पर आयोजित विशेष वाद-विवाद पर सरकार का पक्ष रख रहे थे. उनके संबोधन के दौरान भाजपा, राजद व कांग्रेस के सदस्य सदन से वाकआउट कर गये. विपक्ष का कहना था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुद इस मसले पर जवाब देना चाहिए. मंत्री ने फिर भी अपना संबोधन जारी रखा.
तीन बातों पर करना होगा विचार
श्री शाही ने कहा कि मिड डे मील गुणवत्तापूर्ण हो, इसके लिए हमें तीन बातों पर विचार करना होगा. पहला, मध्याह्न् भोजन योजना क्या है? दूसरा, क्या इस घटना को रोका जा सकता था? तीसरा, घटना के बाद इलाज की समुचित व्यवस्था हुई थी या नहीं? साथ ही इस योजना के कुशल प्रबंधन पर भी विचार करना होगा. मंत्री ने भाजपा-राजद के तीखे तेवर की आलोचना करते हुए कहा कि बालू की भीत पर महल नहीं बनाना चाहिए. मिड डे मील योजना में अनाज एफसीआइ के माध्यम से मिलता है.
ट्रांसपोर्टेशन के लिए केंद्र सरकार राशि देती है. सब्जी, जलावन, मसाला, नमक, तेल इत्यादि की खरीद करनी होती है, इसके लिए केंद्र व राज्य 75-25 फीसदी के अनुपात में राशि खर्च करती है. मिड डे मील योजना में वर्ष 2013-14 में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिए प्रति बच्चे 3.37 रुपये व कक्षा छह से आठ तक के लिए पांच रुपये की व्यवस्था है. रसोइया के लिए एक हजार रुपये मानदेय निर्धारित है, वह भी न्यूनतम 25 बच्चे व अधिकतम 100 बच्चे तक के लिए है. ऐसे में सूबे के 71 हजार विद्यालयों के करोड़ों बच्चों को गुणवत्तापूर्ण व पौष्टिक भोजन देने तथा उनमें शिक्षा के प्रति ललक कैसे उत्पन्न किया जा सकता है. उन्होंने एक जाति विशेष के लोगों को 38 में से 25 जिलों में मिड डे मील बनाने के राजद के आरोपों को चुनौती दी और कहा कि तथ्यहीन बातों को आधार नहीं बनाया जाना चाहिए. वाद-विवाद के लिए निर्धारित समय कम रहने के कारण मंत्री का वक्तव्य अधूरा रह गया.