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नये आइपीएस पढ़ेंगे पटना ब्लास्ट की जांच की कहानी

पटना: पटना में आतंकी हमले की जांच की कहानी अब नजीर बननेवाली है. देश के विभिन्न राज्यों में गठित आतंकवाद निरोधी दस्तों में शामिल पुलिस अधिकारियों व जवानों को प्रशिक्षण में पटना ब्लास्ट की जांच में एनआइए और आइबी को मिली सफलता की पूरी कहानी पढ़ायी जायेगी. इसे भारतीय पुलिस सेवा के नवनियुक्त अधिकारियों के […]

पटना: पटना में आतंकी हमले की जांच की कहानी अब नजीर बननेवाली है. देश के विभिन्न राज्यों में गठित आतंकवाद निरोधी दस्तों में शामिल पुलिस अधिकारियों व जवानों को प्रशिक्षण में पटना ब्लास्ट की जांच में एनआइए और आइबी को मिली सफलता की पूरी कहानी पढ़ायी जायेगी. इसे भारतीय पुलिस सेवा के नवनियुक्त अधिकारियों के प्रशिक्षण कोर्स में भी शामिल किया जा रहा है.

एनआइए की यह जांच पूरी तरह वैज्ञानिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित है. पटना में पिछले साल 27 अक्तूबर को गांधी मैदान में भाजपा की हुंकार रैली के दौरान बम विस्फोट किये गये थे, जिसमें आधा दर्जन लोगों की मौत हो गयी थी, जबकि करीब दो दर्जन लोग बुरी तरह घायल हुए थे.

सभी आरोपित गिरफ्तार

एनआइए के आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि पटना में आतंकी हमला देश भर में हुए दर्जनों आतंकी हमलों से कई मामले भिन्न है. यह देश में पहला आतंकी हमला है, जिसके सभी आरोपितों को एनआइए ने आइबी की मदद से गिरफ्तार कर लिया है. साथ ही इस हमले का कारण, साजिश और अन्य पहलुओं को सुलझाया जा चुका है. इस मामले में एनआइए ने पटना स्थित अपनी विशेष अदालत में अब तक दो चार्जशीट भी दायर कर चुकी है, जिसमें करीब एक दर्जन आतंकियों को मुख्य आरोपित बनाया गया है. एनआइए के सूत्रों ने बताया कि वैसे तो देश के लगभग सभी राज्यों में इस तरह के आतंकी हमले हो चुके हैं, लेकिन पटना ब्लास्ट ही देश का एकमात्र आतंकी हमला है, जिससे जुड़े सभी सवालों का जवाब एनआइए ने बहुत ही कम समय के अंदर ढूंढ लिया. एनआइए सूत्रों ने बताया कि किसी भी आतंकी हमले के बाद जांच की पहली शर्त वह ‘लीड’ होती है, जो हमले के तुरंत बाद जांच एजेंसियों को ढूंढनी होती है.

पटना ब्लास्ट में सबसे पहला लीड बिहार पुलिस ने एनआइ को दिया था, जब पटना जंकशन के दस नंबर प्लेटफॉर्म पर हुए विस्फोट के बाद मौके से इम्तियाज अंसारी नामक एक आतंकी को गिरफ्तार कर लिया गया था. इस आतंकी की जांच में तब पुलिस को न तो कोई मोबाइल फोन मिला था और न ही ऐसा कोई संदिग्ध वस्तु ही बरामद किया गया था, जिससे उसकी पहचान एक आतंकी के रूप में की जा सके.

ऐसे में पटना पुलिस ने इम्तियाज की जेब से एक कागज का टुकड़ा बरामद किया था, जिस पर सात टेलीफोन नंबर लिखे थे. इसमें एक टेलीफोन नंबर जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण था उसका एक अंक गायब था. लेकिन, बिहार पुलिस ने उस अंक का भी पता विस्फोट के महज चंद घंटे के अंदर लगा लिया था. सबसे सुखद बात तो यह है कि पटना में आतंकी हमले से करीब चार महीने पूर्व बोधगया में हुए सीरियल ब्लास्ट की भी गुत्थी एक साथ सुलझ चुकी है.

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