भागलपुर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के चौथे स्थापना दिवस समारोह का उदघाटन करते हुए मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि जब तक खेती को उद्योग का दर्जा नहीं मिलेगा, इसका विकास नहीं हो सकता है. आज खेती-किसानी करने वालों को हेय दृष्टि से देखा जाता है.
समाज में किसानों को वह सम्मान नहीं मिल पाता है, जिसके वे हकदार हैं. उद्योग का दर्जा मिल जाने के बाद यह स्थिति नहीं रहेगी. सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है और इसमें कृषि विश्वविद्यालय अहम भूमिका निभा रहा है. स्थापना दिवस समारोह के साथ-साथ जीविका के लिए गुणवत्ता युक्त शहद उत्पादन विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार का भी शुभारंभ करते हुए मांझी ने कहा कि हमारे पूर्वज खेती को सबसे उत्तम मानते थे.
खेती सिर्फ धान-गेहूं का उत्पादन करना ही नहीं, बल्कि इसमें दुग्ध उत्पादन, शहद उत्पादन, बागवानी, पशुपालन सभी चीजें शामिल हैं. पहले के लोग खेती को सर्वश्रेष्ठ मानते थे. लेकिन आज के समय में खेती करने वाले को निचले स्तर का समझा जाता है. हमें यह सोच बदलनी होगी और कृषि को अपनाना होगा. इसके लिए कृषि को उद्योग का दर्जा देना आवश्यक हो गया है. मुख्यमंत्री ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय और कुलपति डॉ मेवालाल चौधरी द्वारा किये जा रहे कार्यो की सराहना की और उसे आगे बढ़ाने में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया.
कार्यक्रम के अध्यक्ष कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि हमें बेहद खुशी है कि हमने और हमारी सरकार ने जिस सपने को सच करने के लिए चार वर्ष पूर्व बिहार में दूसरा कृषि विश्वविद्यालय को सबौर में स्थापित किया था, उसका परिणाम दिख रहा है.