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सीएम ने रिपोर्ट पर उठाये सवाल

जमीनी हकीकत और सरकारी रिपोर्ट अलग पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सुखाड़ को लेकर जिलों से भेजी जा रही सरकारी रिपोर्ट पर ऊंगली उठाते हुए कहा कि प्राप्त रिपोर्ट और जमीनी हकीकत में काफी अंतर है. मुख्यमंत्री ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में साफ तौर पर कहा कि दोनों मेल नहीं खा […]

जमीनी हकीकत और सरकारी रिपोर्ट अलग

पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सुखाड़ को लेकर जिलों से भेजी जा रही सरकारी रिपोर्ट पर ऊंगली उठाते हुए कहा कि प्राप्त रिपोर्ट और जमीनी हकीकत में काफी अंतर है. मुख्यमंत्री ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में साफ तौर पर कहा कि दोनों मेल नहीं खा रहे.

मुख्यमंत्री सोमवार को पटना जिले के नौबतपुर में एक निजी कार्यक्रम में गये थे. उन्हें पूरे इलाके में सूखे जैसी स्थिति दिखी. लेकिन, जिले से प्राप्त रिपोर्ट में ऐसी स्थिति का जिक्र नहीं था. बताया जाता है कि इस बारे में मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग के अफसरों से बातचीत भी की है. मुख्यमंत्री शुक्रवार या शनिवार को अफसरों के साथ बैठक कर पुन: सुखाड़ की स्थिति की समीक्षा करेंगे.

सूत्रों के मुताबिक, कृषि विभाग को जिलों से मिली रिपोर्ट में कहा गया कि पटना में 100 फीसदी बिचड़ा डाला गया है और 20 फीसदी रोपनी हो चुकी है. लेकिन, वास्तविकता यह है कि रोपनी उन्हीं इलाकों में हुई है, जहां पंप सेट की व्यवस्था है. धान का कटोरा कहे जानेवाले रोहतास में 43 फीसदी रोपनी की सरकारी रिपोर्ट है. जबकि बारिश नहीं होने के कारण वहां के किसानों के बीच हाहाकार मचा है. बेगूसराय में लक्ष्य से ज्यादा 112 फीसदी बिचड़ा की सरकारी रिपोर्ट है. दिक्कत यह है कि सोन नहर का पानी भी बक्सर, कैमूर, भोजपुर, अरवल और पटना में नहीं पहुंचा है.

19% कम बारिश

34 %रोपनी ही अब तक

प्रदेश में 26 से 31 जुलाई तक बारिश की है संभावना

100% बिचड़ा तैयार, 10 दिनों में हो जायेगा बेकार

पटना – राज्य में सुखाड़ की समस्या गंभीर होती जा रही है. कई जिलों में बारिश के अभाव में धान की रोपनी अब तक काफी कम हुई है. कृषि विभाग को चिंता सता रहा है कि राज्य भर में सौ फीसदी बिचड़ा तैयार होने के बावजूद रोपनी का प्रतिशत बढ़ नहीं रहा है. कृषि विभाग के उपनिदेशक (सूचना) अशोक प्रसाद ने बताया कि राज्य में एक सौ फीसदी बिचड़ा तैयार हो गया है. यदि 10 दिनों के अंदर रोपनी पूरी नहीं हुई, तो बिचड़ा ही रोपनी के लायक नहीं रहेगा. ऐसे में किसानों को वैकल्पिक खेती के लिए तैयार रहना होगा. कृषि विभाग के अधिकारी के अनुसार 22 जुलाई तक राज्य में 19 प्रतिशत कम वर्षा हुई है. धान की रोपनी अब तक 34 प्रतिशत ही हो सकी है.

सरकार के उपाय

धान और मक्के की तीन पटवन पर डीजल सब्सिडी , 769 करोड़ जिलों में आवंटित

वैकल्पिक खेती के लिए 16 करोड़ से अधिक की राशि जारी

पशुपालकों के लिए 2300 पशु राहत कैंप का चयन. यहां पशु चारा उपलब्ध कराया जायेगा.

10% से कम रोपनी

भोजपुर, अरवल, कैमूर, गया, लखीसराय, नवादा, जमुई, बांका

20% से कम रोपनी

पटना, नालंदा, बक्सर, जहानाबाद, औरंगाबाद, सीवान और शेखपुरा

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