पटना : शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल शुक्रवार को विधान परिषद में विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के सवालों के बीच घिरते नजर आये. प्रश्नकाल के दौरान नियोजित शिक्षकों के बकाया मानदेय के भुगतान के मुद्दे पर जब शिक्षा मंत्री घिरने लगे, तो उन्होंने कहा कि सरकार अब बिना उपयोगिता प्रमाणपत्र के भी शिक्षकों को तीन-चार महीने तक मानदेय के भुगतान पर विचार करेगी.
उन्होंने स्वीकार किया कि प्रारंभिक विद्यालयों में नियोजित शिक्षकों को चार माह के मानेदय का भुगतान नहीं किया गया है. इसके पीछे उन्होंने उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं होना और धन की कमी कारण बताया. इस पर नेता प्रतिपक्ष सुशील मोदी ने कहा कि जब सरकार ने जुलाई तक का बजट स्वीकृत कराया था, तो फिर यह समस्या कैसे हो गयी? शिक्षा मंत्री भाजपा सदस्य किरण घई सिन्हा के अल्पसूचित प्रश्न का जवाब दे रहे थे. भाजपा के ही नवल किशोर यादव ने भी सरकारी स्कूलों की कमी का मामला उठाया, तो शिक्षा मंत्री इस प्रश्न का सटीक जवाब नहीं दे पाये.
जदयू सदस्य संजय कुमार सिंह ने अपने अल्पसूचित प्रश्न में पूछा था कि नियोजित शिक्षकों को यूटीआइ के माध्यम से सरकार द्वारा पेंशन कब तक उपलब्ध करायी जायेगी. इस पर सुशील मोदी ने एक बार फिर सरकार को घेरा, लेकिन मंत्री स्पष्ट जवाब नहीं दे सके. मोदी ने कहा कि शिक्षा मंत्री बिना तैयारी के सदन में आये हैं.
जब सरकार ने निर्णय ले लिया, तब डेढ़ वर्षो से पेंशन की व्यवस्था क्यों नहीं की गयी? भाकपा के केदारनाथ पांडेय ने भी अप्रशिक्षित नियोजित शिक्षकों को अवैतनिक प्रशिक्षण पर सरकार को घेरा, पर मंत्री सटीक जवाब देने में विफल रहे. कांग्रेस सदस्य रामचंद्र भारती ने वाणिज्य महाविद्यालय में वर्ष 1978 से टूटी खिड़कियों का मामला उठाया. इस पर सत्तापक्ष और विपक्ष ने मिल कर सरकार से जानना चाहा कि जब सभी छात्र-छात्रओं से हर साल सौ-सौ रुपये विकास मद में वसूले जाते हैं, तब यह राशि कहां जाती है? मंत्री ने कहा कि हम इसकी जांच करायेंगे.