पटना: पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा कि शंकराचार्य ने बेवजह एक विवाद खड़ा कर दिया है. देश में सांईं बाबा की पूजा लोग लंबे अरसे से कर रहे हैं. फिर अचानक शंकराचार्य स्वरूपानंद जी को यह कैसे लगने लगा कि सांईं की मूर्ति पूजा सनातन धर्म का अपमान है. उन्होंने शंकराचार्य से इस विवाद को समाप्त करने की अपील की है.
शिवानंद ने कहा, मुङो याद है, 1970 में पुरी के तत्कालीन शंकराचार्य ने पटना में आयोजित विश्व हिंदू धर्म सम्मेलन के दौरान बयान दे दिया था कि दलित पैदाइशी अछूत हैं. इस बयान के विरु द्ध छुआछूत कानून के अंतर्गत मैंने उन पर मुकदमा दर्ज कराया था. उस मुकदमे में रामविलास पासवान मेरे पक्ष से गवाह थे. आज भी अनेकों जगह दलित समाज के लोग प्रताड़ित किये जाते हैं. दहेज के लिए बहुओं को जिंदा जला दिया जाता है. सरेआम औरतों के साथ बदसलूकी और बलात्कार हो जाता है. लड़कियों पर तेजाब डाल दिया जाता है. लेकिन, शंकराचार्यो ने समाज की इन व्याधियों के विरु द्ध कभी अभियान नहीं चलाया. देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, गरीबी, भूख, कुपोषण सनातन धर्म के लिए अपमान है, ऐसा कभी सनातन धर्म के इन साधु-संतों के ख्याल में नहीं आया.
शिवानंद ने कहा कि समाज में पहले से ही तरह-तरह के तनाव व्याप्त हैं. यह नया विवाद उसी दिशा में बढ़ता दिखायी दे रहा है. शंकराचार्य जी से अनुरोध है कि इस विवाद को विराम देकर देश पर कृपा करें.