पटना: बिहार सरकार जेपी आंदोलन के सेनानियों को भी स्वतंत्रता सेनानियों जैसी सुविधाएं दे. जेपी सेनानियों की सम्मान पेंशन राशि पांच से बढ़ा कर 10 हजार होनी चाहिए. यही नहीं, 60 की उम्र पार कर चुके सेनानियों को सरकारी व निजी बसों में नि:शुल्क यात्र और चिकित्सा की भी सुविधा दी जाये.
सेनानी की मृत्यु होने पर विधवा को सम्मान पेंशन की राशि देने का प्रबंध हो. ये मांगें भाजपा नेता सुशील मोदी ने आपातकाल की 39वीं वर्षगांठ पर भाजपा मुख्यालय में आयोजित समारोह में कीं. उन्होंने कहा कि आपातकाल की याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि जेपी आंदोलन पूरी तरह कांग्रेस के खिलाफ था. आंदोलन के अगुआ रहे लालू प्रसाद और नीतीश कुमार आज उसी कांग्रेस की गोद में जा बैठे हैं. भाजपा कभी आपातकाल के गुनाहगारों से हाथ नहीं मिलायेगी.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा 25 जून, 1975 का दिन भारतीय लोकतंत्र का काला-दिवस है. विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने कहा कि आपातकाल आजादी की दूसरी लड़ाई थी. अफसोस इस बात का है कि जेपी आंदोलन की अगुआई करने वाले नीतीश-लालू जेपी के सिद्धांतों को भूल गये. सांसद डॉ सीपी ठाकुर ने कहा आपातकाल के खिलाफ छिड़ा आंदोलन देश की जरूरत थी.
उन्हें जेपी की चिकित्सा करने का अवसर मिला था. पूर्व विधान पार्षद गंगा प्रसाद ने कहा आरएसएस ने जेपी आंदोलन को ताकत देने में महत्ती भूमिका अदा की थी. विस में विरोधी दल के मुख्य सचेतक अरुण सिन्हा ने कहा कि आपातकाल ने देश में तानाशाही लादने का काम किया था. समारोह को विधान पार्षद प्रो सूरज नंदन कुशवाहा, संजय मयूख, विनोद नारायण झा, विजय सिन्हा, सत्येंद्र नारायण कुशवाहा, नितिन नवीन, विजय सिंह यादव, विश्वनाथ भगत और टीएन सिंह ने भी आपातकाल के अपने-अपने कटु अनुभव सुनाये.