पटना: राज्यसभा चुनाव में 19 जून को यदि सभी 232 विधायकों ने वोट डाले तो जिन उम्मीदवार को 117 वोट आयेंगे उनकी जीत पक्की होगी. खास यह कि बागी विधायकों की मुहिम तभी रंग लायेगी जब उनको भाजपा का खुला समर्थन मिलेगा. हालांकि, इस संबंध में बागियों की उम्मीद बंधी जब उनके नेता ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने भाजपा नेताओं से मुलाकात की. सूत्र बताते हैं कि भाजपा ने अभी खुल कर समर्थन देने की बात नहीं कही है. लेकिन, इतना तय है कि बिना भाजपा के साथ के बागियों का खेल आगे नहीं बढ सकता है.
जानकारी के मुताबिक 12 जून को नाम वापसी के बाद भाजपा अपना पत्ता खोलेगी. विधानसभा के संख्या बल बताते हैं कि बागियों के पक्ष में यदि भाजपा खुल कर नहीं आती है तो निर्दलीय उम्मीदवारों का सपना धरा रह जायेगा. दूसरी ओर भाजपा के सभी 84 विधायकों ने वोट किया तो सत्ताधारी दल का समीकरण धराशायी हो जायेगा. बिहार विधानसभा में जदयू के 117 विधायक हैं. उसे दो निर्दलीय, भाकपा के एक और कांग्रेस के चार विधायकों का समर्थन हासिल है. कुल मिला कर जदयू के पक्ष में विधायकों की संख्या 124 होती है. जबकि, खिलाफ में वोट बचते हैं 108. उनमें राजद के 21 विधायकों को अलग कर देने से भाजपा समेत विधायक हो जाते हैं 87. इस गणित में यदि जदयू के 117 विधायकों में टूट होती है और 20 विधायक क्रॉस वोटिंग में साथ देते हैं तो जदयू के पक्ष में वोट की संख्या हो जायेगी 104, और बागियों के पक्ष में वोट होंगे 107. ऐसी स्थिति में राजद के 21 विधायकों का वोट काफी मायने रखता है. राजद के 21 विधायकों के मत जदयू के पक्ष में जाता है तो शरद समेत दोनों अधिकृत उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित हो जायेगी. जदयू के पक्ष की बात यह है कि साबिर अली के ऊपर भाजपा का रंग लग चुका है. ऐसे में राजद कम से कम साबिर अली के पक्ष में वोट करने से परहेज कर सकता है.
ऐसी नौबत आती है तो जदयू के मौलाना गुलाम रसूल बलियावी की जीत का रास्ता खुल सकता है. रही बात जदयू के तीसरे उम्मीदवार पवन कुमार वर्मा की तो उनके खिलाफ आये दो निर्दलीय उम्मीदवारों में एक की नाम वापसी तय मानी जा रही है. दिलीप जायसवाल ने नाम वापस लिया तो अनिल कुमार शर्मा को समर्थन देने में राजद को कोई गुरेज नहीं होगा. भाजपा के 84, राजद के 21 और जदयू के बागियों के वोट मिल गये तो जदयू के लिए पवन वर्मा की राह मुश्किल हो सकती है. हालांकि, विधानसभा चुनाव करीब देख कर राजद के लिए भाजपा के साथ वोट करना इतना आसान नहीं होगा.
दूसरी ओर जदयू ने बागी विधायकों को मनाने की कोशिश शुरू कर दी है. पार्टी का मानना है कि अधिकतर विधायक मान जायेंगे और दल के अधिकृत उम्मीदवार के पक्ष में ही वोट करेंगे. इधर, बागियों की अगुवायी करने वाले ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने दावा किया कि दोनों सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत होगी. बागियों की सूची में 30 से अधिक विधायक हैं. उन्होंने कहा कि विधायकों को डराने- धमकाने की कोशिश बेकार जायेगी. हम अडिग हैं और किसी भी कीमत पर कदम वापस नहीं होंगे.
कौन किसके प्रस्तावक
शरद यादव (जदयू प्रत्याशी)
नीतीश मिश्र, श्याम रजक, विनोद प्रसाद यादव, बीमा भारती, लेसी सिंह, दामोदर रावत, रमई राम, रामधनी सिंह, अजय कुमार मंडल व शालीग्राम यादव.
गुलाम रसूल बलियावी व पवन कुमार वर्मा (जदयू प्रत्याशी)
श्रवण कुमार, गुड्डी देवी, मनीष कुमार, अरुण मांझी, रजिया खातून, मनोज कुमार सिंह, अवधेश प्रसाद कुशवाहा, वैद्यनाथ सहनी, नौशाद आलम और रंजू गीता.
साबिर अली (निर्दलीय)
गजानन शाही ऊर्फ मुन्ना शाही, दाउद अली, राहुल कुमार, राजू कुमार सिंह, अजीत कुमार, अमला देवी, सुजाता देवी, रेणु कुमारी, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और रवींद्र राय.
अनिल शर्मा (निर्दलीय)
ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, अजीत कुमार, पूनम देवी, रवींद्र राय, रेणु कुमारी, राजू कुमार सिंह, सुरेश चंचल, अमला देवी, सुजाता देवी और पवन कुमार जायसवाल.
दिलीप जायसवाल (निर्दलीय)
विजय कु सिन्हा, अनिल सिंह, संजय टाइगर, भूपेंद्र ना. सिंह, अनिल कुमार, कन्हैया कुमार, कृष्णनंदन पासवान, शिवेश कुमार, मुन्नी देवी व आशा देवी.