महादलित परिवार से मुख्यमंत्री बने जीतन राम मांझी ने कानून और व्यवस्था को दुरुस्त करना पहली प्राथमिकता बतायी है. प्रभात खबर से खास बातचीत में उन्होंने शासन-प्रशासन के कामकाज को लेकर अपनी राय जाहिर की. पूर्व सीएम नीतीश कुमार को उन्होंने फिलॉसफर और गाइड बताया. ब्यूरो प्रमुख मिथिलेश और वरीय संवाददाता शशिभूषण कुंअर से उनकी खास बातचीत के अंश.
प्रश्न : आपको 15 माह का समय मिला है. इतने कम दिनों में आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी?
सीएम : हम ऐसा नहीं मान रहे हैं कि 15 माह का समय मिला है. हमको सिर्फ 10-12 माह का समय मिला है. किसी भी योजना के संचालन में सबसे पहले कानून व्यवस्था की बात होती है. चार दिन पहले इसको लेकर उच्च स्तरीय बैठक की गयी. यह हिदायत दी गयी कि कोई भी व्यक्ति अगर कानून व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा करता है तो उसकी पहचान कर कार्रवाई की जायेगी. मुङो बिगड़ा बिहार नहीं मिला है. 2005 में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिगड़ा बिहार मिला था. चाहे वह विकास के किसी क्षेत्र का मामला हो, सबमें विकास हुआ है. चाहे प्रति व्यक्ति आय का मामला हो, सड़क, बिजली, विधि-व्यवस्था का मामला हो, आज सुखद स्थिति है. उन्हें विकास का बनाया हुआ रोडमैप मिला है. उस पर चलना है. रोडमैप को ही आगे बढ़ाने की आवश्यकता है. अगर उसमें जोड़ने की आवश्यकता हुई तो उसे जोड़ा जायेगा. प्राथमिकताओं में विकास की रोशनी उन तक पहुंचाना है जिनका विकास ठीक से नहीं हुआ है. विकास की योजना, सड़क, पुल या स्कूल उनके नजदीक ले जाना है. इसके साथ ही सामाजिक वातावरण को ठीक करेंगे. प्रशासन को कड़ी हिदायत दी गयी है. अभी सरकार को नयी योजना बनाने की जरूरत नहीं है. जो योजनाएं पहले से चल रही हैं, उसका ही लाभ दे दिया जाये तो उनका विकास हो जायेगा.
प्रश्न : निवेशकों का विश्वास कम हुआ. पिछले वर्ष बाहर का निवेश घटा है?
सीएम : निवेश का मामला सीधे कानून से जुड़ा हुआ है. कानून ठीक है तो बाहर से लोग आयेंगे. बिजली के कारण निवेशक नहीं आते थे.
अब बिजली सेक्टर में बढ़कर काम हुआ है. वर्ष 2005-06 में बिहार में 500-600 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता था. उस समय दो-चार घंटे बिजली रहती थी. आज सूबे को 2400 मेगावाट बिजली दी जा रही है. इसके कारण 18-20 घंटा बिजली रहती है. 24 घंटा बिलजी देने का लक्ष्य रखा गया है. वर्ष 2015 तक सूबे में 4500-5000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. जब चुनाव आता है तो लॉ में डिटोरिएशन आता है. पर मेंटनेंस करने में कोई दिक्कत नहीं होगी. कानून की हालत में सुधार होने लगा है. 80 हजार अपराधियों को जेल में डाला गया है. यही नहीं आर्थिक अपराध व भ्रष्टाचार की दिशा में भी कार्रवाई हो रही है. इसका रिजल्ट भी आ रहा है.
प्रश्न : राजद ने आपको बाहर से समर्थन दिया है. क्या मंत्रिमंडल में शामिल करने पर विचार होगा?
सीएम : यह हाइपोथेटिकल सवाल है. राजनीति में न तो कोई परमानेंट दोस्त होता है और न ही दुश्मन. पीछे बहुत सी बातें होते रहती हैं. जब मुख्यमंत्री नियुक्त हुए तो बहुमत था. 124 का आंकड़ा था. ऐसे में हमने उनसे समर्थन की मांग नहीं की. उन्होंने समर्थन दिया. वर्तमान में कोई बात नहीं है और न ही आनेवाले समय में गंठबंधन होनेवाला है. सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ साथ लेने की जरूरत होगी तो सबका साथ लेंगे. किसी भी दल को साथ लेना अलग बात है जबकि मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना अलग बात. आगे कोई गंठजोड़ होगा ऐसी बात नहीं है. सांप्रदायिक शक्ति से राजद खुद लड़ रहा है अपनी ताकत से हम व वे अपनी ताकत से लड़ रहे हैं. हम अलग-अलग लड़ रहे हैं. कांग्रेस का साथ मिला है तो क्या कांग्रेस के हम साथ हैं?
प्रश्न : आरोप है कि आपको रिमोट से चलाया जायेगा?
सीएम : यह बकवास है. ऐसी बात करनेवाले कुत्सित मानसिकता की बात कर रहे हैं. मनुवादी सोच वाले लोग हैं. हमारे पूर्वजों ने चाहे वह बाबा साहेब हो या जगजीवन राम सबने अपनी क्षमता दिखा दी है. कहने वाले कहते रहे. हमको अपना काम करते रहना है. हम न तो क्षमता में किसी से कम है और न ही दक्षता में. 1980 से विधायक बने हैं. शुरू से ही सिंडिकेट के सदस्य के रूप में अपनी बात मनवाते रहे हैं. नीतीश कुमार पारखी आदमी हैं. चुनाव में भी कहते थे कि जीतन राम मांझी कर्मठ है. ऐसे में जब उनको विधायकों द्वारा उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुनने के लिए अधिकृत किया तो निर्णय लेने में उन्हें परेशानी नहीं हुई. जब प्रस्ताव राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव जी के पास गया तो उन्होंने एक सेकेंड भी विलंब नहीं किया. सच तो यह है कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं वे स्वयं रिमोट से चल रहे हैं. नागपुर के रिमोट से. क्या भागवत या संघ के खिलाफ वे बोल सकते हैं.
प्रश्न : अब नीतीश कुमार जी की भूमिका क्या होगी?
सीएम : नीतीश कुमार पार्टी के फिलॉस्फर हैं. नीतीश जी ने अपनी भूमिका तय कर ली है. हमने विकास किया. पर हार इसके कारण नहीं हुई. दुनिया जानती है कि बिहार में विकास हुआ है. पौने सात लाख लड़कियों को साइकिल देना, पंचायतों में 50 फीसदी आरक्षण देना या एकल पद पर आरक्षण की व्यवस्था करना. पासवान व लालू प्रसाद तो त्रिस्तरीय पंचायतों के एकल पद पर आरक्षण नहीं दे सके थे. आरक्षण का नतीजा है कि सूबे में 1500 अनुसूचित जाति के मुखिया हजारों की संख्या में अन्य सदस्य हैं. हमारी धारणा है कि धार्मिक उन्माद से भाजपा को सफलता मिली है. पूर्व में जो समझौता हुआ था उसमें धारा 370, सिविल नागरिक संहिता और अयोध्या को लेकर कुछ नहीं करने की सहमति बनी थी. नरेंद्र मोदी के नाम पर कैसे समझौता हो सकता था. रही बात नीतीश कुमार की तो सत्ता से बाहर रहकर संघर्ष जारी रखेंगे. हमारे अच्छे दिन आने वाले हैं.
सवाल : कैबिनेट का विस्तार कब होगा.
सीएम : विस्तार शीघ्र होगा. एक – दो वेकेंसी को छोड़ कर समाज और क्षेत्र का ध्यान रख कर जल्द ही विस्तार किया जायेगा. सभी जाति को उनकी संख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व दिया जायेगा.
सवाल : पार्टी में कैबिनेट को लेकर विरोध हो रहा है.
सीएम : राजनीति में अपेक्षा होती है. पार्टी में समझदारी विकसित हो रही है. पार्टी नेतृत्व और हम भी समझाने का काम करेंगे. जो बोल रहे हैं वह विरोध नहीं कर रहे. विरोध करते तो विश्वास मत के दौरान यह दिखता. भाजपा कह रही थी कि पचास विधायक उनके संपर्क में है तो वह भी किसी का नाम नहीं बता पायी.
सवाल : पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरह आप जनता दरबार करेंगे.
सीएम : हां, मैं भी जनता दरबार का आयोजन करूंगा. प्रमंडल मुख्यालयों तक इसे ले जाया जायेगा. भूमि विवादों से संबंधित मामलों का त्वरित निष्पादन होगा. इसके लिए प्रचारित किया जायेगा. प्रमंडलों में जाकर जनता दरबार की तरह इस समस्या का समाधान निकाला जायेगा. महादलितों को तीन डिस्मिल जमीन देने का पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी आदेश दिया था. मैं भी तीन डिस्मिल जमीन खरीद कर 20 हजार रुपये को समाप्त कर जितने की जमीन होगी, सरकार खरीद कर देगी.
सवाल : बिहार में जितने नरसंहार हुए, सबके आरोपी छूट जा रहे, आप इसे किस प्रकार को देखते हैं.
सीएम : जहां घटना होती है, वहां तीस दिनों में चाजर्शीट दाखिल किया जाना है. नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के पहले अनुश्रवण समिति की बैठक 15 सालों से नहीं हुई थी. सरकार बनी तो बैठक प्रारंभ हुई. अब एक वर्ष में तीन बार तक बैठकें हो रही हैं. जिन जिलों में अघिक घटनाए हुई हैं, वहां कोर्ट बनाने का निर्णय हुआ है. यह देखा गया है प्रशासनिक सुस्ती के कारण गवाह नहीं मिलते और प्रभावित परिवार पलायन कर जाते हैं. सरकार इन चीजों को देखेगी. गवाह सही समय पर आयें उन्हें सुरक्षा दी जायेगी और निर्धारित समय पर मामला दर्ज हो, इसके उपाय किये जायेंगे.
सवाल : बिहार को विशेष राज्य का दर्जा पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सपना था. भाजपा ने चुनाव के दौरान इसे पूरा करने का वादा किया है. आप नरेंद्र मोदी की सरकार से इसे अविलंब पूरा करने की मांग करने जायेंगे.
सीएम : हमारी मांग सतत जारी रहेगी. पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने सौतेला व्यवहार किया. तेलंगाना और सीमांध्र को तुरंत दे दिया. बिहार ने सवा करोड़ हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन सौंपा. दिल्ली-पटना में रैली की. रघुराम राजन कमेटी गठित हुई. रिपोर्ट भी दी, नैतिकता नहीं न्याय का सवाल था.लेकिन केंद्र ने नहीं दिया. एनडीए सरकार के सामने भी यही पहला मुद्दा होगा. विशेष दर्जा देंगे तो हम धन्यवाद देंगे. नहीं मिलेगा तो हम आंदोलन करेंगे. नीतीश कुमार और पार्टी इसके लिए तैयारी कर रही है. हमने नरेंद्र मोदी से कहा था, दर्जा मिलेगा तो गरीब आपकी इज्जत करेंगे. नहीं तो बिहार का गरीब यह समङोगा कि यहां महादलित परिवार से मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी है, इसलिए नहीं दे रहे.
सवाल : नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का आमंत्रण मिला है.
सीएम : 26 मई के समारोह में आने का निमंत्रण मिला है, विचार कर रहे हैं.
सवाल: क्या आप सोचे थे कि मुख्यमंत्री बन पायेंगे.
सीएम : न चाहत थी और न अपेक्षा थी. अपेक्षा थी विधायक बनने की तो मंत्री भी बन गये और अब मुख्यमंत्री भी बने. विधायक से अधिक मेरी कोई चाहत नहीं थी.
सवाल : आपको मुख्यमंत्री बनाने का नीतीश कुमार का अकेला निर्णय था.
सीएम : नीतीश जी अकेले निर्णय नहीं लेते. सबसे राय लेते हैं.
सवाल : आपके पास 15 महीने हैं, कितना काम करेंगे.
सीएम : शेरशाह ने कितने दिन काम किये. उसने अपनी छाप छोड़ी. यदि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बन जाते हैं तब फिर बात कुछ होगी.