पटना: अधिकारियों की लापरवाही कहेंगे या मजबूरी. पूरे वर्ष सोते रहे और जब वित्तीय वर्ष की समाप्ति की बेला आयी,तो उन्हें विकास कार्य की निकासी करने की याद आयी. जब तक याद आयी, तब तक देर हो चुकी थी. वित्त विभाग ने चैप्टर क्लोज करते हुए कहा कि योजना मद में दो करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि निकासी नहीं कर सकते हैं.अगर खास जरूरी हुआ,तो उनसे अनुमति लेने के बाद ही राशि की निकासी होगी.
वहीं गैर योजना मद में दो लाख तक ही निकासी की छूट है. सख्ती का नतीजा यह रहा कि 901 करोड़ रुपये की निकासी फंस गयी है. अब विभागीय प्रमुख नियम को शिथिल करने के लिए वित्त विभाग के समक्ष आरजू मिन्नत कर रहे हैं.
नियम शिथिल करने का अनुरोध : अधिकारियों के अनुसार पटना में बननेवाली साइंस सिटी, स्वास्थ्य विभाग की चालू योजनाओं के लिए तथा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की राशि की निकासी के लिए नियम शिथिल करने का अनुरोध किया गया है.
इसी तरह पंचायती राज विभाग के अधीन चतुर्थ वित्त आयोग की अनुशंसा पर मिलने वाली 370 करोड़ रुपये, शिक्षा विभाग के अधीन सर्वशिक्षा अभियान की 39 करोड़, मध्याह्न् भोजन, ग्रामीण कार्य विभाग की बसावटों को जोड़ने, नगर विकास विभाग व कृषि विभाग की राशि जारी करने के लिए विभागीय प्रमुखों ने नियम शिथिल करने का अनुरोध वित्त विभाग से किया है. पंचायती राज विभाग समय पर राशि निकाल कर जिलों को दे देती तो सड़क, पुल- पुलिया, स्ट्रीट लाइट आदि जैसे लोकोपयोगी कार्य संपन्न हो जाते.
गैर योजना पर रहेगी पाबंदी
केंद्र प्रायोजित योजना के लिए मिलनेवाली केंद्रांश की राशि की निकासी की अनुमति दी जा रही है. यह केंद्र से मिलनेवाले अनुदान व सहायक अनुदान की राशि है. शेष अन्य मदों की राशि की निकासी के लिए सरकार से विमर्श के बाद नियम को शिथिल किया जायेगा. लेकिन, गैर योजना मद की राशि निकासी पर पाबंदी जारी रहेगी.
– रामेश्वर सिंह, प्रधान सचिव, वित्त विभाग