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जीत के बाद कोच हरेंद्र सिंह अपने आंसुओं पर नहीं रख पाये काबू

लखनऊ : खचाखच भरे मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर चारों ओर से आते ‘इंडिया इंडिया’ के शोर के बीच भारत ने आज बेहतरीन हॉकी का नमूना पेश करते हुए बेल्जियम को 2-1 से हराकर जूनियर हॉकी विश्व कप अपने नाम करने के साथ इतिहास पुस्तिका में नाम दर्ज करा लिया. भारतीय हॉकीप्रेमियों ने ऐसा अप्रतिम मंजर […]

लखनऊ : खचाखच भरे मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर चारों ओर से आते ‘इंडिया इंडिया’ के शोर के बीच भारत ने आज बेहतरीन हॉकी का नमूना पेश करते हुए बेल्जियम को 2-1 से हराकर जूनियर हॉकी विश्व कप अपने नाम करने के साथ इतिहास पुस्तिका में नाम दर्ज करा लिया.

भारतीय हॉकीप्रेमियों ने ऐसा अप्रतिम मंजर बरसों बाद देखा जब टीम के हर मूव पर ‘इंडिया इंडिया’ के नारे लगाते 10000 से ज्यादा दर्शकों का शोर गुंजायमान था. मैदान के चारों ओर दर्शक दीर्घा में लहराते तिरंगों और हिलोरे मारते दर्शकों के जोश ने अनूठा समा बांध दिया. जिसने भी यह मैच मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर बैठकर देखा, वह शायद बरसों तक इस अनुभव को भुला नहीं सकेगा.

हूटर के साथ ही कप्तान हरजीत सिंह की अगुवाई में भारतीय खिलाडियों ने मैदान पर भंगड़ा शुरू कर दिया तो उनके साथ दर्शक भी झूम उठे. कोच हरेंद्र सिंह अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके. हर तरफ जीत के जज्बात उमड़ रहे थे. कहीं आंसू के रुप में तो कहीं मुस्कुराहटों के बीच.
पंद्रह बरस पहले ऑस्ट्रेलिया के होबर्ट में खिताब अपने नाम करने के बाद भारत ने पहली बार जूनियर हॉकी विश्व कप जीता. भारत 2005 में स्पेन से कांस्य पदक का मुकाबला हारकर चौथे स्थान पर रहा था और उस समय भी कोच हरेंद्र सिंह ही थे. इससे पहले 2013 में दिल्ली में हुए टूर्नामेंट में भारत दसवें स्थान पर रहा था.

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