नयी दिल्ली : भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान सोना चौधरी ने हाल में जारी अपनी किताब में खेल प्रशासकों पर कुछ गंभीर आरोप लगाये हैं और उनका कहना है कि उनके समय में महिला खिलाडियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था.
चौधरी ने दावा किया कि वह 1994 से 1998 के बीच भारत की तरफ से खेली. उन्होंने हिन्दी में ‘गेम इन गेम’ शीर्षक से किताब लिखी है जिसमें ये आरोप लगाये हैं. चौधरी ने कहा, ‘‘मैंने किसी खास व्यक्ति या संगठन पर आरोप नहीं लगाये हैं.
मैंने व्यवस्था की कमियों को उजागर किया है. किस तरह से महिला फुटबॉलरों के साथ बुरा बर्ताव किया जाता था, किस तरह से उनके लिये टूर्नामेंट या दौरों के दौरान रहने की व्यवस्था की जाती थी, उन्हें किस तरह का भोजन दिया जाता था और किस तरह से वे विपरीत परिस्थितियों में खेलती थी. ” उन्होंने हालांकि खंड़न किया कि महिला खिलाड़ी अधिकारियों के शारीरिक उत्पीड़न से बचने के लिये समलैंगिक के तौर पर आपस में संबंध होने का ढोंग करना पड़ता था.
चौधरी ने कहा, ‘‘यह गलत है मैंने अपनी किताब में ऐसा नहीं लिखा है. मैंने कहा है कि फुटबॉल में खेल के अंदर खेल होता था. ” उन्होंने कहा, ‘‘आज हमारे पास खेल में अच्छी व्यवस्था है लेकिन हमारे समय में ऐसा नहीं था. मैंने उन चीजों के बारे में लिखा है जिससे व्यवस्था खराब हो रही थी. हमने खिलाडियों के रुप में काफी कुछ सहा है लेकिन भावी खिलाडियों के लिये ऐसा नहीं चाहती थी.
मैंने अपने समय में जो भी कठिनाईयां झेली हैं उनको लिखा है. ” अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के सूत्रों ने कहा कि उन्हें पहले यह पता करना होगा कि क्या वह भारत की तरफ से खेली थी और यदि वह नहीं खेली होगी तो फिर उसके खिलाफ कडी कार्रवाई की जाएगी.