कोलकाता : एन श्रीनिवासन की मौजूदगी को लेकर बीसीसीआई कार्यसमिति की महत्वपूर्ण बैठक आज नाटकीयता से भरी रही जिससे बोर्ड के पूर्व प्रमुख की स्थिति को लेकर वैधानिक स्पष्टता के अभाव में मौजूदा अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने बैठक अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दी.
बोर्ड सचिव अनुराग ठाकुर ने एक संक्षिप्त बयान में कहा , भारतीय क्रिकेट बोर्ड की कार्यसमिति की बैठक अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दी गई चूंकि यह तय किया गया कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय की राय ली जायेगी कि एन श्रीनिवासन तमिलनाडु क्रिकेट संघ के अधिकृत प्रतिनिधि के तौर पर बीसीसीआई की बैठकों में भाग ले सकते हैं या नहीं.
कार्यसमिति को आईपीएल मामले चार सदस्यीय कार्यसमूह की रिपोर्ट पर चर्चा करनी थी. उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त जस्टिस आर एम लोढा समिति द्वारा दो फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रायल्स को दो साल के लिये निलंबित किये जाने के बाद कार्यसमूह का गठन किया गया था. श्रीनिवासन की मौजूदगी को लेकर बैठक स्थगित करनी पड़ी. उच्चतम न्यायालय ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण के बाद श्रीनिवासन के बीसीसीआई अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी.
तमिलनाडु क्रिकेट संघ के अध्यक्ष के तौर पर बैठक में भाग लेने आये श्रीनिवासन ने अपने बचाव में जस्टिस श्रीकृष्णा की राय का हवाला दिया जिन्होंने कहा था कि वह बैठक में भाग ले सकते हैं. बीसीसीआई के कुछ सदस्यों ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने साफ तौर पर कहा है कि वह बीसीसीआई की बैठकों से दूर रहे.
बैठक में मौजूद एक अधिकारी ने कहा , चूंकि श्रीनिवासन की कानूनी स्थिति को लेकर स्पष्टता नहीं है लिहाजा अध्यक्ष ने बैठक स्थगित कर दी. बोर्ड के कानूनी सलाहकार उषानाथ बनर्जी ने भी कहा कि उन्हें श्रीनिवासन की मौजूदा कानूनी स्थिति के बारे में पता नहीं है.
अधिकारी ने कहा कि श्रीनिवासन को साफ तौर पर कहा गया कि वह बैठक में भाग नहीं लें और उन्हें इससे परे रहने के लिये कहने वाले आईपीएल अध्यक्ष राजीव शुक्ला और बीसीसीआई कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी थे. इसके बावजूद श्रीनिवासन बैठक में आये. उन्होंने बोर्ड सदस्यों को अपनी स्थिति यह कहकर स्पष्ट करने की कोशिश की कि बतौर खेल प्रशासक और चेन्नई सुपर किंग्स की मालिक इंडिया सीमेंट्स के मालिक के तौर पर हितों का कोई टकराव नहीं है. समझा जाता है कि बीसीसीआई की सालाना आम बैठक 27 सितंबर को कोलकाता में होगी.
कार्यसमिति को आज जस्टिस लोढा समिति की रिपोर्ट और कार्यसमूह के सुझावों पर बात करनी थी. इसमें मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले पर भी बात होनी थी जिसमें सीएसके लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर बोर्ड, इंडिया सीमेंट्स और अन्य संबंधित पक्षों को जवाबी हलफनामे दाखिल करने के लिये कहा गया था.
उच्च न्यायालय ने संबंधित पक्षों को लिखित हलफनामे निर्धारित समय सीमा में जमा करने के लिये कहा है. मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी. बैठक में एनसीए समिति के उन सुझावों पर भी बात होनी थी कि अकादमी में बेंगलूर में रखना है या नहीं. इसके अलावा छत्तीसगढ़, बिहार और मणिपुर के मान्यता के मसले और तकनीकी समिति के सुझाव पर भी बात की जानी थी.