किक्रेट जगत के इतिहास पर अगर हम गौर करें, तो पायेंगे कि वेस्टइंडीज की टीम 1983 के दौर में एक अजेय टीम मानी जाती थी और भारत जैसी टीम के लिए उसे हरा पाना नामुमकिन ही माना जाता था. लेकिन उस वर्ष भारतीय टीम के धुरंधरों ने ऐसा प्रदर्शन किया, जिसके बाद यह धारणा बनी की वेस्टइंडीज की टीम को भी हराया जा सकता है. यह यादगार मैच मैनचेस्टर में भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था और ग्रुप बी का चौथा मैच था.
यशपाल शर्मा भारतीय टीम के भरोसेमंद खिलाड़ी थे और इस मैच में उन्होंने इस बात को साबित किया कि आखिर क्यों टीम उनपर भरोसा करे. यशपाल शर्मा ने 89 रन बनाये थे, जिसमें नौ चौके शामिल थे. यशपाल शर्मा की बदौलत भारत ने वेस्टइंडीज के सामने 262 रन का स्कोर खड़ा किया. भारतीय टीम के दृष्टिकोण से यह अच्छा लक्ष्य था, लेकिन सभी को जीतने वाली टीम वेस्टइंडीज के लिए यह टारगेट कोई खास मायने नहीं रखता था.
परिणामस्वरूप वेस्टइंडीज भारत के स्कोर से 34 रन पीछे ही ऑल आउट हो गया. यशपाल शर्मा को मैन ऑफ द मैच चुना गया. मैनचेस्टर में भारत की इस जादुई जीत ने यह साबित किया कि खेल के मैदान में कोई भी टीम अजेय नहीं हो सकती. इस मैच ने भारतीय क्रिकेट को एक नयी परिभाषा दी और वह मार्ग भी प्रशस्त कर दिया, जिसपर चलकर भारत फाइनल तक पहुंचा और वेस्टइंडीज को रौंदकर विश्वकप का विजेता बना.