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Utpanna Ekadashi Aarti: उत्पन्ना एकादशी के दिन करें एकादशी माता का पूजन, पढ़ें ये आरती

Utpanna Ekadashi Aarti: उत्पन्ना एकादशी के दिन पूजन के दौरान भगवान विष्णु के साथ एकादशी माता की आरती का पाठ करने से मोह, माया के बंधन से मुक्ति मिलती है. उत्पन्ना एकादशी व्रत 20 नवंबर को रखा जाएगा. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है.

Utpanna Ekadashi Aarti: उत्पन्न एकादशी 20 नवंबर को है. यह एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. एकादशी का दिन भगवान विष्णु (Vishnu Ji) को समर्पित होता है. हर माह दो एकादशी आती है. और सभी एकादशियों का महत्व अलग होता है. उत्पन्ना एकादशी के दिन पूजन के दौरान भगवान विष्णु के साथ एकादशी माता की आरती करने से मोह, माया के बंधन से मुक्ति मिलती है. साथ ही, सांसारिक दुखों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आगे पढ़ें उत्पन्न एकादशी व्रत आरती.

मां एकादशी की आरती (Maa Ekadashi Aarti)

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।

विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।

गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,

शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,

पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,

नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,

नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।

इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।

शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।

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