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मकर राशि में अमृत बूंदों की होती है संचरण
गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान की है परंपरा बक्सर : मकर संक्रांति को लोगों द्वारा काफी उत्साहपूर्वक मनाया जाता है. मकर संक्रांति को प्राय: हिंदुस्तान के सभी क्षेत्रों सभी लोगों द्वारा मनाया जाता है. अवधारणा के अनुसार मकर संक्रांति को लोग सरोवर, नदी एवं तीर्थ स्थलों के जल में स्नान करते हैं. मकर संक्रांति […]
गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान की है परंपरा
बक्सर : मकर संक्रांति को लोगों द्वारा काफी उत्साहपूर्वक मनाया जाता है. मकर संक्रांति को प्राय: हिंदुस्तान के सभी क्षेत्रों सभी लोगों द्वारा मनाया जाता है. अवधारणा के अनुसार मकर संक्रांति को लोग सरोवर, नदी एवं तीर्थ स्थलों के जल में स्नान करते हैं.
मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायणी होने से जलों में अमृत बूंदों का संचरण होता है, जिससे इन जल सरोवरों में स्नान से शुभ फलदायी होता है. वर्ष में सूर्य छह माह उत्तरायण एवं छह माह दक्षिणायन होते हैं.
छह महीने मकर राशि से मिथुन राशि र्पयत सूर्य के रहने पर उत्तरायण होता है तथा कर्क से धनु राशि र्पयत सूर्य के रहने पर छह महीना उत्तरायणी होते हैं. सूर्य का उत्तरायण होना अत्यंत शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि सूर्य के उत्तरायण होने पर सभी अच्छे कार्यो को करने का समय व मार्ग खुल जाते हैं.
शास्त्रों के अनुसार उत्तरायणी में सूर्य का होना पूरी प्रकृति के लिए शुभ माना जाता है.ज्योतिषाचार्य पंडित विजय कुमार शर्मा ने बताया कि हमारी शास्त्रीय मान्यता है कि सूर्य के उत्तरायण के प्रवेश के समय ग्रह-नक्षत्रों के विशेष परिस्थिति के कारण उनकी रश्मियों से नदियों एवं तीर्थो के जल में अमृत बूंदों का संचरण हो जाता है. इसलिए उस पवित्र काल में नदियों, सरोवरों व तीर्थ स्थलों के जल में स्नान करना अत्यंत शुभ एवं फलदायी होता है. गंगा तो सदैव ही अमृतमयी हैं.
यह प्रक्रिया मकर संक्रांति के दिन होती है. इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं. ऐसी परिस्थिति में सरोवरों एवं नदियों में स्नान करने से पापों का नाश, दुखों का हरण एवं मानव जीवन में नये ऊर्जा का संचरण होता है.
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