मिथिला पंचांग के अनुसार 21 तो बनारस पंचांग के अनुसार 22 को उपवास
धनबाद : संतान के बेहतर स्वास्थ्य एवं दीर्घायु होने के लिए माताएं जिउतिया व्रत करती हैं. यह व्रत आश्विन माह कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को किया जाता है. पंडित गुणानंद झा बताते हैं मिथिला पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 21 सितंबर को दोपहर तीन बजे प्रवेश कर रहा है जो 22 सितंबर को दोपहर ढाई बजे तक रहेगा. मिथिलांचल पंचांग को मानने वाली माताएं 20 सितंबर को नहाय खाय व 21 को निर्जला उपवास रखेंगी. शाम को राजा जिमूतवाहन की पूजा अर्चना कर संतान की लंबी आयु का आशीष मांगेगी. बनारस पंचांग के अनुसार माताएं 21 को नहाय खाय व 22 को उपवास करेंगी. 23 को पारण होगा. पूजा के लिए खीरा, कुसिया केराव, झींगा, नौनी साग जरूरी होता है.
हम तो बेटियों के लिए करते हैं जिउतिया
बदलते वक्त के साथ लोगों की मानसिकता भी बदली है. पहले ऐसी सोच थी कि केवल बेटों के लिए जिउतिया का व्रत किया जाता है. आज की माताएं इसे दरकिनार कर बेटियों के लिए जिउतिया कर रही हैं. वे कहती हैं बेटा हो या बेटी, दोनों हमारी संतान हैं. हमारी गोद हमेशा भरी रहे जिमूतवाहन हमें यही आशीष दें.
मेरी दो आखें हैं दोनों बेटियां
मुझे जिउतिया करते बीस साल हो गये. मेरी दोनों बेटियां मेरी दो आंखे हैं. बड़ी बेटी लक्षिता पूणे से एलएलबी कर रही है. छोटी बेटी अलंकृता दसवीं में है. हम पांच भाई-बहन हैं. मां को अपनी सभी संतान के लिए तिउजिया करते देखा था, सिर्फ बेटे के लिए नहीं. मुझे बेटियों के लिए व्रत कर सुकून मिलता है. निर्जल उपवास करना कठोर तप है.
भारती श्रीवास्तव, धैया, धनबाद
मेरी बेटी के सपने पूरे हों
मेरी नजर में बेटा हो या बेटी, दोनों मां की ही संतान होते हैं. अब लोग स्वीकार करने लगे हैं कि बेटियां बेटों से कम नहीं. मेरी एकमात्र संतान मेरी बेटी सुरेशी सिद्धि डी-नोबिली स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढ़ती है. जब से उसका जन्म हुआ मैं उपवास करने लगी. मेरी बिटिया के सभी सपने साकार हों.
शालिनी सहाय, मैथन,धनबाद
भेदभाव पसंद नहीं
बेटा-बेटी के बीच मतभेद मुझे पसंद नहीं. मेरी दो बेटियां हैं. त्योहार संतान के लिए होता है न कि बेटा और बेटी के लिए. मैं अपनी संतान के लिए उपवास रख असीम शांति मिलती है. मेरी बेटियां जीवन में सफल हों यही प्रार्थना है. बड़ी बेटी अदित्री डीएवी कोयला नगर में छठी कक्षा और छोटी अनवी प्रिया दूसरी कक्षा में पढ़ती है.
सुधा मिश्रा, भूईंफोड़, धनबाद
नियम से करती हूं उपवास
हम पांच बहने हैं. मेरी मां हम बहनों के लिए उस समय जिउतिया का व्रत करती थी. आज तो वक्त काफी बदल गया है. मैं अपनी चार साल की बेटी आराध्या के लिए निर्जला उपवास रखती हूं. आज मां नहीं है लेकिन उनकी सीख काम आती है. मेरी बेटी अभी प्ले स्कूल जाती है. जिउतिया का उपवास नियम से करती हूं.
प्रगति सिन्हा, कोलाकुसमा, धनबाद